श्री हनुमान जयंती पर विशेष: भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं सागर में गढ़पहरा मंदिर के स्वयं प्रकट हनुमान

सागर यश भारत (विशेष)/ सागर से करीब 8 किमी दूर उत्तर में झांसी मार्ग की पहाड़ी पर स्थित गढ़पहरा किला परिसर में भगवान हनुमान जी का ऐतिहासिक मंदिर पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र की आस्थाओं का केंद्र है। इस मंदिर की महिमा अपरम्पार है। आषाढ़ माह के हर मंगलवार को यहां विशेष रूप से मेला भी लगता है। कहा जाता है कि जो भी भक्त भगवान हनुमान की पूजा अर्चना करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।
पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर 300 से 400 वर्ष तक पुराना बताया जाता है। इस मंदिर को लेकर तरह-तरह की किंवदंती हैं। जिस समय गढ़पहरा के किले का निर्माण हो रहा था, तो भगवान हनुमान जी की मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी। जिस पर किले का निर्माण कराने वाले गौंड राजा संग्राम शाह ने विशेष रूप से इस मंदिर का निर्माण कराया था। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि गढ़पहरा के शीश महल में एक नट नर्तकी की परीक्षा ली गई थी और परीक्षा में उसकी जान चली गई थी। तब से उसकी आत्मा इस इलाके में भटकती थी, जिससे रक्षा के लिए भगवान हनुमान के मंदिर का निर्माण कराया गया था। इस मंदिर का आजादी की लड़ाई के तौर पर भी ऐतिहासिक महत्त्व है।
1857 की क्रांति के दौरान तात्या टोपे इसी मंदिर में छिपे थे। राजा मर्दन सिंह ने इन्हीं का आर्शीवाद लेकर अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी। इस मंदिर के बारे में यह भी कहा जाता है कि यहां पर हनुमान जी की मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी, जिसके बाद मंदिर का निर्माण उस समय के राजे रजवाड़ों ने कराया था। इस मंदिर की यह भी मान्यता है कि सच्ची आस्था और सच्चे मन से जो भी गढ़पहरा के हनुमान जी से जो मनोकामना मांगता है, वह पूरी होती है। इस प्राचीन मंदिर में सागर शहर के अलावा दूर-दूर से लोग भगवान हनुमान के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। गढ़पहरा के इस प्राचीन सिद्ध मंदिर में सागर शहर सहित सम्पूर्ण बुंदेलखंड के लोगों की विशेष आस्था है। वर्तमान में गढ़पहरा मंदिर की व्यवस्थाएं पंडित गोकलदास मोहत्तमकार की देखरेख में रजिस्टर्ड ट्रस्ट द्वारा संचालित होती हैं।