जबलपुरमध्य प्रदेश

शोक परेड कर शहीदों को श्रद्धांजलि : आई जी उमेश जोगा ने शहीद हुये प्रदेश के 16 पुलिसकर्मियों सहित 284 शहीदों का किया वाचन……देखें वीडियो….

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जबलपुर, यशभारत। पुलिस स्मृति दिवस के मौके पर 6वीं बटालियन रांझी में आज शुक्रवार को अति पुलिस महानिदेशक जोन जबलपुर उमेश जोगा द्वारा शहीद स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित कर वीर शहीदों को श्रद्धांजली अर्पित की गई।

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पुलिस स्मृति दिवस के उपलक्ष्य में 6वीं बटालियन रांझी जबलपुर स्थित शहीद स्मारक परिसर पर पुलिस स्मृति दिवस की शोक परेड का आयोजन किया गया। जिसमें विशेष सशस्त्र बल, मप्र रेलवे पुलिस बल, जिला पुलिस बल एवं होमगार्ड के एक-एक प्लाटून के सम्मिलित हए। इस मौके पर मुख्य अतिथि उमेश जोगा अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक जोन जबलपुर द्वारा पुलित सेवा के दौरान वीरगति को प्राप्त हुये शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित कर वर्ष 2021-22 में शहीद हुये मध्यप्रदेश के 16 पुलिसकर्मियों सहित कुल 284 पुलिसकर्मियों की याद में उनके नाम का वाचन किया गया।

ये रहे उपस्थित
इस अवसर पर डीआईजी आरएस परिहार. कमाण्डेंट रुडोल्फ अपरेस, एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा , डिप्टी कमाण्डेंट अरुण कश्चार, संतोष डेहरिया, असिस्टेंट कमाण्डेंट यश बिजौरिया, एमपी सिंह, इन्सेक्टर सुबोध लोखडे, हितेश फु लझेले, शैलेन्द्र सिंह, बीएस जमरा व बटालियन स्टाफ मौजूद रहा। जिनके द्वारा भी शहीद स्मारक में पुष्प चक्र अर्पित कर वीर शहीदों को श्रद्धांजली दी गई।

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बहादुरी से चीनी सैनिकों का किया था सामना
21 अक्टूबर को भारत में हर साल पुलिस स्मृति दिवस इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन 21 अक्टूबर 1959 में लद्दाख के हॉट स्प्रिंग में सीमा की सुरक्षा में तैनात सीआरपीएफ के जांबाज सैनिकों के एक छोटे से गश्ती दल पर चीनी सेना द्वारा भारी संख्या में घात लगाकर हमला किया गया था। लेकिन हमारे जवानों ने बहादुरी से चीनी सैनिकों का सामना किया और शहीद हो गए। इस हमले में हमारे 10 केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के रण बांकुरो ने सर्वोच्च बलिदान दिया था। उन्हीं की याद में हर साल पुलिस स्मृति दिवस 21 अक्टूबर को मनाया जाता है। पुलिस स्मृति दिवस के दिन देश की राज्य पुलिस हो, केंद्रीय सुरक्षा बल हो या फिर अर्धसैनिक बल, सभी एक साथ मिलकर इस दिन को मनाते हैं।

– यह है इतिहास

भारत के तिब्बत में 2,500 मील लंबी चीन के साथ सीमा है। 21 अक्टूबर 1956 के वक्त इस सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारत के पुलिसकर्मियों की थी। चीन के घात लगाकर हमला करने से ठीक एक दिन पहले 20 अक्टूबर 1959 को भारत ने तीसरी बटालियन की एक कंपनी को उत्तर पूर्वी लद्दाख में हॉट स्प्रिंग्स के इलाके में तैनात किया था। इस कंपनी को तीन टुकडिय़ों में बांटकर सीमा के सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई थी। हमेशा की तरह इस कपंनी के जवान लाइन ऑफ कंट्रोल में गश्त लगाने के लिए निकले। 20 अक्टूबर को दोपहर तक तीनों टुकडिय़ा में से दो टुकड़ी के जवान दोपहर तक लौट आए। लेकिन तीसरी टुकड़ी के जवान उस दिन नहीं लौटे। उस टुकड़ी में दो पुलिस कांस्टेबल और एक पोर्टर था। 1 अक्टूबर की सुबह वापस नहीं लौटे टुकड़ी के जवानों के लिए तलाशी अभियान चलाने की योजना बनाई गई, जिसका नेतृत्व तत्कालीन डीसीआईओ करम सिंह कर रहे थे। इस टुकड़ी में लगभग 20 जवान थे। तलाशी अभियान के दौरान ही चीन के सैनिकों ने घात लगाकर एक पहाड़ के पीछे से फ ायरिंग शुरू कर दी। भारत के जवान, जो अपने साथी को खोजने निकले थे, वो हमले के लिए तैयार नहीं थे। उनके पास जरूरी हथियार नहीं थे। इस हमले में 10 जवान शहीद हो गए थे और ज्यादातर जवान घायल हो गए थे।

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