लाखों के कैमरो की आंखें बंद : तकनीकी खराबी के कारण कैमरे हो गए खराब, अपराधियों की पहचान करने में पुलिस को छूट रहे पसीने, अब चलाया जा रहा अभियान

रीवा lशहर में आपराधिक गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए लगाए गए 249 सीसीटीवी कैमरे भी कई बार पुलिस के लिए मददगार साबित नहीं हो पा रहे हैं। आलम यह है कि शहर में लूट, मारपीट और हत्या जैसे जघन्य अपराधों की संख्या बढ़ती जा रही है और कई मामलों में तकनीकी खराबी के चलते अपराधियों की पहचान करना मुश्किल हो रहा है।
कल देर रात शहर में एक युवक पर हुए हमले के मामले में भी सीसीटीवी कैमरे खराब होने के कारण हमलावरों की पहचान अब तक नहीं हो पाई है। इस स्थिति ने शहर की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आरती सिंह ने इस संबंध में कहा कि शहर की सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखना पुलिस की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है और इन कैमरों के माध्यम से पुलिस शहर की गतिविधियों पर नजर रखती है, जिससे अपराध नियंत्रण में मदद मिलती है। उन्होंने स्वीकार किया कि तकनीकी उपकरण होने के कारण सीसीटीवी कैमरे समय-समय पर खराब होते रहते हैं, लेकिन पुलिस उनका समय पर रखरखाव भी कराती है।
एडिशनल एसपी ने आगे बताया कि यदि कोई सीसीटीवी कैमरा खराब होता है, तो पुलिस तुरंत उस पर ध्यान देती है और रेडियो प्रभारी को उसे ठीक करने की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि एसपी विवेक सिंह के निर्देशन में शहर के सभी खराब कैमरों को सुधारने का अभियान चलाया जा रहा है।
श्रीमती सिंह ने सीसीटीवी कैमरे खराब होने का प्राथमिक कारण पेड़ों की कटाई को बताया। इन खराब कैमरों के कारण पुलिस को अपराधियों की पहचान करने और उन्हें पकड़ने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे कई आरोपी पुलिस की नजरों से बच निकलते हैं।
हालांकि पुलिस प्रशासन कैमरों के रखरखाव और मरम्मत की बात कर रहा है, लेकिन लगातार खराब हो रहे कैमरे और उनके कारण अपराधियों का पकड़ में न आना शहर की सुरक्षा व्यवस्था पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। यह देखना होगा कि पुलिस इन तकनीकी खामियों को दूर कर शहर को अपराध मुक्त बनाने में कब तक सफल हो पाती है।