
मानहानि मामले में सूरत की विशेष अदालत के 2 साल की सजा सुनाने के अगले दिन लोकसभा से राहुल गांधी की सदस्यता समाप्त हो गई। बिल्कुल ऐसा ही केस मध्यप्रदेश में 2019 में आ चुका है। दोनों केस में फर्क सिर्फ इतना है कि राहुल गांधी को मानहानि के केस में सजा हुई और विधायक प्रह्लाद लोधी को सरकारी अफसरों के साथ मारपीट मामले में सजा हुई थी।
जिस तरह अदालत के फैसले के 24 घंटे में ही राहुल की लोकसभा से सदस्यता समाप्त हुई, इसी तरह लोधी की विधानसभा की सदस्यता छिन गई थी। तब मप्र में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार थी। हालांकि, लोधी को सदस्यता समाप्त किए जाने के छह दिन बाद हाईकोर्ट से राहत मिल गई थी। मध्यप्रदेश में लोधी के अलावा और भी विधायक हैं जिन्होंने अपनी सदस्यता गंवाई है।
पन्ना जिले की पवई सीट से विधायक प्रह्लाद लोधी को रेत खनन के मामले में भोपाल की विशेष अदालत ने 1 नवंबर 2019 को 2 साल की सजा सुनाई थी। उन्हें सरकारी अफसरों से मारपीट को दोषी पाया गया था। इसके अगले दिन तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने लोधी की सदस्यता रद्द करने का निर्णय लिया था। विधानसभा सचिवालय द्वारा लोधी की सदस्यता समाप्त कर पवई विधानसभा सीट को भी रिक्त घोषित कर इसकी सूचना चुनाव आयोग को भी भेज दी गई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने 7 नवंबर को विशेष अदालत के फैसले पर रोक लगा दी थी।
विधानसभा के फैसले पर शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि विधानसभा स्पीकर का यह फैसला राजनीतिक द्वेष से लिया गया है। प्रह्लाद लोधी के पास हाईकोर्ट जाने का मौका है। हम इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे।
बीजेपी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा था कि विधानसभा अध्यक्ष के द्वारा जिस तरह से जल्दबाजी में, जिस हड़बड़ी में सदस्यता समाप्त की है उसके द्वारा ना सिर्फ मध्यप्रदेश, बल्कि देश में यह संदेश गया है कि किस तरह से राजनीतिक द्वेष में सदस्यता समाप्त की गई। बगैर राज्यपाल और बगैर हाईकोर्ट की अनुमति के मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ने जल्दबाजी में आनन-फानन में उनकी सदस्यता समाप्त करने की घोषणा की है।