राज्यसभा में सांसद विवेक तन्खा ने प्रश्नकाल मेें उठाया मामला : इंतजार कर रहे करोड़ों छात्रों को किताबों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए
नई दिल्ली, यशभारत।जबलपुर यशभारत।राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने गत दिवस एनसीईआरटी की किताबों की अनुपलब्धता का प्रश्न उठाते हुए गंभीरता जताते हुए कहा कि करोड़ों विद्यार्थी इससे जूझ रहे हैं।इसलिए सरकार और एनसीईआरटी इसकी व्यवस्था सुनिश्चित करे। तन्खा ने कहा, ”मेरा सुझाव है कि देश में जैसे ब्लड बैंक हैं, उसी तरह किताबों का भी बैंक बनाया जाए।
उन्होंने सरकार से अपील की कि वह जल्द से जल्द छात्रों को पुस्तक उपलब्ध कराए ताकि छात्रों की पढ़ाई प्रभावित न हो।
श्री तन्खा ने राज्यसभा के सभापति के समक्ष प्रश्न उठाते हुए कहा कि मेरा विषय है कि नये सत्र में एनसीईआरटी की किताबें उपलब्ध नहीं है। अकेले लखनऊ शहर में पांच लाख विद्यार्थी इस समस्या से जूझ रहे हैं। नेल्सन मंडेला ने कहा है कि नागरिकों के लिए शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है। इसके बिना कोई देश तरक्की नहीं कर सकता है।यह विश्व परिदृश्य को बदल सकता है।वर्तमान में 10 लाख 20 हजार सरकारी स्कूल हैं और 82हजार से ज्यादा सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल हैं।जहां 26 करोड़ से अधिक विद्यार्थी पढ़ रहे हैं।12करोड़ बच्चों को किताबें नहीं मिली हैं।सरकार और एनसीईआरटी को किताबों की उपलब्धता सुनिश्चित करना चाहिए।लेकिन अकादमिक सत्र शुरू होने के बाद भी एनसीईआरटी की किताबों की भारी कमी बनी हुई है। यहां तक कि राष्ट्रीय आयोग ने लिखित में सिफारिश की है कि शिक्षा के अधिकार के तहत राज्य और शहरों में किताबें उपलब्ध होना चाहिए।मेरा मानना है कि हर साल सिलेबस क्यों बदला जाता है।यदि सिलेबस बदला जाता है तो आग्रह है कि सरकार और एनसीईआरटी किताबों की उपलब्धता सुनिश्चित करे ताकि करोड़ों बच्चों को इंतजार न करना पड़े।