यात्री की सीट बदलने पर 20 हजार रुपए हर्जाना:रेलवे की मनमानी पर जिला उपभोक्ता आयोग का फैसला, यात्री को मिलेगा हर्जाने की रकम

जबलपुर जिला उपभोक्ता आयोग ने ट्रेन में आरक्षित सीट अचानक बदले जाने के मामले को गंभीरता से लिया है। यात्री के परिवाद पर आयोग ने रेलवे पर 20 हजार रुपए जुर्माना लगाया है। आयोग के अध्यक्ष केके त्रिपाठी और सदस्य योमेश अग्रवाल की कोर्ट ने केस खर्च के दो हजार रुपए भी चुकाने के आदेश दिए हैं।
रांझी निवासी मनोज कुमार यादव की ओर से परिवाद दायर की गई थी। परिवाद में कहा गया था कि उसने 23 अप्रैल 2018 को अपने परिवार सहित पांच सदस्यों के लिए गोंदिया एक्सप्रेस से कटनी से बलिया तक की टिकट बुक कराई थी। उसे एस-5 में 65 से 69 नंबर की सीट आवंटित की गई।
टिकट बुक कराई एस-5 में और सीट मिली एस-2 और 4 में
मनोज कुमार के अधिवक्ता अरुण कुमार जैन, विक्रम जैन ने कोर्ट को बताया कि परिवादी अपने परिजनों के साथ जब यात्रा के लिए पहुंचा तो पता चला कि ट्रेन में एस-5 कोच ही नहीं लगाया गया। ऑनलाइन शिकायत के बाद भी उन्हें एस-2 और एस-4 कोच में अलग-अलग सीटें आवंटित की गई। इससे उनके परिवार के सदस्यों की यात्रा परेशानियों भरा रहा।
रेलवे का कृत्य सेवा में कमी
पीड़ित के अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि रेलवे का कृत्य यात्री सेवाओं में कमी का है। अचानक सीट बदलना और उसकी जानकारी न देना भी रेलवे ने उचित नहीं समझा। रेलवे की ओर से पक्ष रखा गया कि यात्रियों को उनके बुकिंग के अनुसार सीट उपलब्ध कराई गई थी। कोच न लगने की वजह से ये परेशानी आई थी। आयोग के सदस्यों ने दोनों पक्ष सुनने के बाद पीड़ित यात्री मनोज कुमार यादव के पक्ष में निर्णय सुनाया। कहा कि रेलवे के कृत्य से परिवादी को मानसिक क्लेश पहुंचा था। इस कारण रेलवे को 20 हजार रुपए जुर्माना देना होगा।