यश भारत विशेष: पहाड़ी में है मां जगदम्बा का ऐसा दरबार जहां लोग रोते रोते आते है और हंसते हंसते जाते है : मिनी मैहर के नाम से है प्रसिद्ध
सागर यश भारत (संभागीय ब्यूरो)| जबलपुर-तेंदूखेड़ा- पाटन मार्ग पर रहली के नजदीक टिकीटोरिया पहाड़ी पर विराजी मां शेरावाली माता के दरबार में आने वाले सभी भक्तों की मुरादें मां पूरी करती है। रहली जबलपुर रोड पर रहली से 5 किमी दूर स्थित टिकीटोरिया पहाड़ी पर विराजमान मां सिंह वाहिनी के इस मंदिर को मिनी मैहर के नाम से जाना जाता है।
टिकीटोरिया माता मंदिर का इतिहास
मां सिंहवाहिनी के मंदिर निर्माण की कहानी पर इंतिहास एवं किवदंतियों के अनुसार टिकीटोरिया का मन्दिर मराठाकालीन है। पं गोपालराव और रानी लक्ष्मीबाई के द्वारा सन् 1732 से 1815 में मध्य निर्मित हुआ तब यहां पत्थर की मूर्ति स्थापित की गई थी। इस मन्दिर की भी प्राचीन मूर्ति अन्य मन्दिरों की प्राचीन मूर्तियों के भांति विदेशियों के द्वारा खण्डित कर दी गयी थी। जिससे वह मूर्ति नर्मदा नदी में विसर्जित करने के उपरान्त पुनः मां दुर्गा जी की मूर्ती सन् 1968 में ग्राम बरखेडा के अवस्थी परिवार श्रीमती द्रौपदी मातादीन अवस्थी के द्वारा स्थापित कराई गई। वर्तमान में टिकीटोरिया के मुख्य मंदिर में अष्टभुजाधारी मां सिंगवाहिनी की नयनाभिराम प्रतिमा है। लगभग 30 से 35 साल पहले यहां पहाड़ काटकर मिट्टी की सीढ़ियां बनायी गयी थीं फिर पत्थर रख दिये गये और जीर्णाेद्धार समिति का गठन किया गया। वर्तमान में जनसहयोग से मंदिर में ऊपर तक जाने के लिए 365 सीढ़ियां हैं। माता के भक्तों द्वारा दिये गए दान से यहां संगमरमर की सीढ़ियों का निर्माण किया गया हैैं। इसके अलावा यहां विभिन्न धार्मिक आयोेजन, विवाह आदि के लिए धर्मशालाएं भी हैं जो विभिन्न समाज समितियों द्वारा बनवायी गयी हैं।
मंदिर परिसर एक नजर में
टिकीटोरिया के मुख्य मंदिर के सामने ही ऊंचाई पर शंकर जी का मंदिर बना है तथा मंदिर के दाहिनी ओर से एक गुफा है जिसमें राम दरबार तथा पंचमुखी हनुमान जी की विशाल प्रतिमा है। अंनतेश्वर मंदिर है जो पूरा संगमरमर का बना हुआ है। मंदिर के पीछे यज्ञशाला और भैरव बाबा का मंदिर भी है। मान्यता के अनुसार टिकीटोरिया में मां भवानी के दरबार में आकर मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है।
प्रकृतिक सुन्दरता समेटे हुए है मंदिर परिसर
टिकीटोरिया का पहाड़ सागौन के वृक्षों से भरा हुआ है। मंदिर पहाड़ी के ऊपर होने के कारण यह पहाड़ सिद्ध क्षेत्र होने के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य से भरा हुआ है, पूरी पहाड़ी सागौन, बबूल, पलाश, नीम एवं अन्य छायादार एवं फलदार वृक्षों से आच्छादित है। टिकीटोरिया मन्दिर पहाडी के नीचे एक तालाब भी बना हुआ है जिसे लोग रामकुंड के नाम से जानते हैं।
मां भवानी के दरबार में पूरी होती है भक्तों की मनोकामनाएं
ऐेंसी मान्यता है कि टिकीटोरिया मंदिर में आने वाले भक्तों की सारी मनोकामनाएं माता पूरी करतीं हैं दरबार की इसी ख्याती के कारण माता के दरबार पर नवरात्रों में मेला लगता है। मेले के अवसर पर अनेक लोग अपने परिवार के साथ आते हैं। लोगों की मनोकामना पूरी होने के बाद वे मां भवानी के दरबार में हाजिरी देते है। ऐसी मान्यता है कि मां शेरावाली के दरबार में संपत्ति ही नही संतान की भी प्राप्ति होती है। मां के दरबार में लोग रोते रोते आते है हंसते हंसते जाते है।
टिकीटोरिया माता मंदिर कैसे पहुंचे
टिकीटोरिया मंदिर एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर सागर जिले की रहली तहसील में स्थित है। यह मंदिर जबलपुर सागर के नौरादेही वन क्षेत्र के पाटन- तेंदूखेड़ा मार्ग पर रहली के पास स्थित है। टिकीटोरिया मंदिर में पहुंचना बहुत ही आसान है, क्योंकि यह मंदिर जबलपुर और सागर मार्ग पर स्थित है। सागर अथवा जबलपुर से आप बड़ी ही आसानी से अपने निजी वाहन द्वारा अथवा सार्वजनिक यात्री बस इत्यादि के द्वारा पाटन- तेंदूखेड़ा मार्ग से आसानी से पहुंच सकते हैं।