कटनीमध्य प्रदेश

यशभारत खास : 89 बरस पुराना है कटनी में घंटाघर रामलीला का अतीत, गोंद और वनोपज के व्यापारियों ने 1935 में शुरू कराया था मंचन

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89 साल पहले शुरू हुई घंटाघर रामलीला

घंटाघर रामलीला का इतिहास कटनी में 89 वर्ष पुराना है। 1935 का वह ऐसा दौर था, जब कटनी का स्वरूप इतना व्यापक नही था, लेकिन तब भी कटनी समूचे प्रदेश में एक व्यापारिक नगरी के रूप में जाना जाता था। प्राकृतिक संपदा के मामले में यह इलाका शुरू से समृद्ध था। चूने के साथ अन्य खनिज पदार्थों की प्रचुर मात्रा ने कटनी को लाइमसिटी के रूप में पहचान दिलाई। खनिज संसाधनों के साथ यहां गोंद एवम लाख का कारोबार भी होता था। इस व्यापार में काफी लोग रुचि लेते थे और कटनी एक समृद्ध व्यापारिक शहर बन चुका था। अतीत को याद करते हुए बुजुर्ग बताते हैं कि पहले कृषि उपज मंडी घंटाघर और गोलबाजार प्रांगण से संचालित होती थी। व्यापारी भी इन्ही मैदानों से अपना व्यापार करते थे। वनोपज के व्यापारियों का घंटाघर मैदान प्रमुख केंद्र था। इन लोगों ने इस इलाके से व्यापार भी किया और अपने निवास भी बनाए। बताते हैं कि व्यापारियों ने प्रभु में आस्था और धर्म के प्रचार के साथ व्यापार में संलग्न लोगों के मनोरंजन के लिए रामलीला के मंचन की योजना बनाई। उस दौर में सिनेमाघरों की स्थापना भी नही हुई थी। लोगों के लिए रामलीला का मंचन किसी बड़े आयोजन से कम नहीं था। 1935 में गोंद वनोपज एवम गल्ला व्यापारियों की एक बैठक फर्म मूसेराम किशुन प्रसाद की घंटाघर स्थित दुकान में हुई, जिसमें रामलीला की शुरुआत करने पर चर्चा हुई। इस बैठक में व्यापारियों के साथ कटनी शहर के प्रतिष्ठित नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी बुलाया गया।

मोतीलाल गुप्ता ने की प्रथम बैठक की अध्यक्षता

घंटाघर में रामलीला के आयोजन के लिए बुलाई गई बैठक की अध्यक्षता साव मोतीलाल गुप्ता ने की। बैठक में रामलीला के आयोजन के लिए एक कमेटी बना दी गई। यह भी निर्णय लिया गया कि रामलीला का आयोजन हिंदू माह अगहन में किया जाए। इस कमेटी ने पूरी तैयारी के साथ मंडली को बुलाकर रामलीला का मंचन कराया। लोगों ने इस प्रयास को काफी पसंद किया, तबसे यह सिलसिला चल निकला। बरस दर बरस रामलीला का मंचन और अधिक भव्य होता गया। लोग जुड़ते गए और मंचन के साथ दर्शकों को जोड़े रखने के लिए कुछ नए प्रयोग भी हुए। पहले सिर्फ रामायण से जुड़े प्रसंगों का ही मंचन होता था, बाद में देखने वालों के मनोरंजन के लिए कुछ नृत्य वगैरह भी जोड़े गए। रामलीला का स्टेज भी पहले पीपे से बनता था। समय के साथ बदलाव हुआ और डेकोरेशन के तरीके भी बदले, फिर टेबिलों को जोड़कर स्टेज बनाया जाने लगा। इसके बाद रामलीला मैदान में परमानेंट स्टेज बना दिया गया। जनप्रतिनिधियों ने भी इसमें काफी मदद की। रामलीला के मंचन में कुछ लीलाएं ऐसी हैं जिनमें अतिरिक्त सजावट करते हुए रामलीला देखने के लिए अतिथियों को बुलाने की परंपरा रही है, जैसे धनुष यज्ञ, शीशमहल, सीता हरण, लंका दहन आदि शामिल हैं।

यशभारत के पास जो जानकारी उपलब्ध है उसके मुताबिक घंटाघर रामलीला कमेटी के पहले अध्यक्ष दुर्गाराव नारलवार बने। इसके बाद साव मोतीलाल गुप्ता, नारायण दास गट्टानी, मोहनलाल साव, शिवनाथ गुप्ता, राजाराम यादव, महादेव प्रसाद अग्रवाल, जगन प्रसाद खेडिया, गोपालचारी गुप्ता, बल्लभदास गट्टानी और विश्वनाथ गुप्ता ने अध्यक्ष पद पर रहते रामलीला के गौरव और उसकी गरिमा को चरम पर पहुंचाया। शिवनाथ गुप्ता का जिक्र इसलिए अलग किया जा रहा क्योंकि एक समय ऐसा आया जब वे घंटाघर रामलीला के पर्याय बन गए। कई साल उन्होंने इसमें अपनी अटूट लगन का परिचय दिया और शासन प्रशासन के समक्ष दशहरा जुलूस में घंटाघर रामलीला का दबदबा कायम रखा। बुजुर्ग बताते हैं कि रामलीला कमेटी द्वारा कपड़ा व्यवसाई शिखर चंद जैन की अध्यक्षता में भगवान की भव्य बारात भी दशहरे के मौके पर शुरू कर दी गई।

इमरजेंसी का वह दौर…..

रामलीला से जुड़े बुजुर्ग बताते हैं कि 1975 में आपातकाल का ऐसा दौर भी आया जब भगवान श्रीराम की शोभायात्रा स्थगित करना पड़ी। करीब 5 बरस तक इंतजार के बाद 1980 में बजरंग बली के नेतृत्व में दशहरा जुलूस में घंटाघर रामलीला की शोभायात्रा शामिल होने लगी। तबसे यह परंपरा आज भी जारी है। घंटाघर रामलीला कमेटी का पंजीयन फर्म एवम संस्थाएं संभाग जबलपुर में 1990 में कराया गया, जिसका पंजीयन क्रमांक 6975 है। कमेटी के जिन सदस्यों ने इतने वर्षों में मेहनत करके रामलीला को प्रतिष्ठा दिलाई उनमें रामलाल बाजपेई, बाला प्रसाद पुरवार, मंगल प्रसाद कनकने, मोतीलाल सरावगी, पन्नालाल सरावगी, धन्ना लाल सरावगी, ब्रजकिशोर गट्टानी, आनंदी लाल बहरे, गया प्रसाद पाठक, राजेंद्र तिवारी, गिरधारी लाल स्वर्णकार शामिल हैं।

अब आशीष गुप्ता के हाथ बागडोर

लंबे समय से पूर्व पार्षद राजाराम यादव कमेटी के अध्यक्ष पद का दायित्व निभा रहे थे। इस बार वरिष्ठ भाजपा नेता आशीष गुप्ता को कार्यवाहक अध्यक्ष बना दिया गया है। कोषाध्यक्ष राजेंद्र तिवारी और संरक्षक गोपालचारी गुप्ता है। आशीष गुप्ता ने बताया कि वर्तमान में प्रतिदिन रामलीला का मंचन भव्यता के साथ चल रहा है।

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