यशभारत खास : 1971 का वो मंजर, सायरन बजते ही छा जाता था अंधेरा…भारत-पाक युद्ध को याद कर आज भी सिहर उठते हैं कटनी के बुजुर्ग

कटनी, यशभारत। आज से 54 साल पहले वर्ष 1971 में भी ब्लैक आउट हुआ था। वह समय भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध का था। हालांकि इन सालों में काफी कुछ बदल चुका है, किंतु भारत-पाक के इस युद्ध को लोक कभी भूल नहीं पाएंगे। बीती रात आतंकवादी ठिकानों पर भारतीय सेना की एयर स्ट्राइक के बाद दोबारा भारत.पाकिस्तान के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में लोगों के जहन में दोबारा से वर्ष 1971 के दिन याद आ गए। उस समय क्या माहौल हुआ करता था। बहुत से लोग ऐसे भी हैं,जो तब बच्चे रहे होंगे और अब वृद्ध या प्रौढ़ रहे होंगे।
देश में भय का माहौल था : त्रिपाठी
85 वर्षीय सेवानिवृत्त अध्यापक पंडित विभवराम त्रिपाठी के अनुसार 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान हालात बहुत तनावपूर्ण थे। युद्ध के दौरान भय का माहौल था। सरकार की ओर से युद्ध के दौरान घरों में रात के समय लाइट जलाने पर प्रतिबंध लगाया गया था। लोग अंधेरे में जीवन यापन करते थे। शहर में रात के समय लाइट न जलाने को लेकर मुनादी करवाई जाती थी। युद्ध के दौरान लोगों ने एक-एक दिन डर के साये में गुजारा। हर कोई जल्द युद्ध खत्म होने की कामना करता नजर आता था। युद्ध के दौरान लोग आपस में बैठकर केवल इसी मामले को लेकर चर्चा करते नजर आते थे। उस समय मनोरंजन के लिए किसी किसी के पास रेडियों हुआ करता था।
रात में कोई लाइट नहीं जलाता था : खंपरिया
जालपा वार्ड पुरानी बस्ती निवासी 75 वर्षीय डॉ एसके खंपरिया 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान के हालात के बारे में बताते हैं जब भारत-पाकिस्तान का युद्ध हुआ तो उनकी आयु करीब 21वर्ष थी। युद्ध के दौरान जब आसमान में जहाज आते थे तो सभी डर कर छिप जाया करते थे। युद्ध के दौरान रात के समय कोई भी लाइट नहीं जलाता था। घरों के अंदर दीया जलाने पर खिड़कियां व रोशनदान कागज व गत्ते लगाकर पूरी तरह से बंद कर दिया करते थे। जिससे रोशनी बाहर न जाए। युद्ध के दौरान लोग रात के समय बेचैन रहते थे और डर के मारे सो तक नहीं पाते थे। ज्यादतर लोग दिन में सो कर नींद पूरी किया करते थे। पुलिस बाजार में गश्त करती थी और जल्दी दुकानें बंद करवा दिया करती थी।
डरकर गड्ढों में छिप जाते थे लोग : चौहान
दुबे कालोनी निवासी 80 वर्षीय ठाकुर प्रताप सिंह चौहान ने बताया कि 1971 के ब्लैक आउट में सायरन बजते ही अंधेरा छा जाता था। क्षेत्र में हर घर में लोगों ने अपने आंगन व खाली प्लाट में एल टाइप तीन से चार फीट गहरे गड्ढे बनाए हुए थे। रात को सायरन बजते ही पूरे क्षेत्र में ब्लैक आउट की स्थिति हो जाती थी। ग्रामीण लोग तो गड्ढे में छिप जाते थे। रात के समय लोग जागते रहते थे। घरों के अंदर दीया जलाने पर खिड़कियां व रोशनदान पूरी तरह से बंद कर दिया करते थे। पूरा गांव में एकता का माहौल था। सुबह होते ही चौपाल पर विचार विमर्श किया जाता था। एक दूसरे के सहयोग की बात होती थी। सभी एक-दूसरे का साथ देने के लिए तैयार रहते थे।
सायरन बजते ही हो जाती थी दहशत : गौतम
वृंदावन कालोनी झिंझरी निवासी सेना के रिटायर्ड जवान 80 वर्षीय बैजनाथ गौतम बताते हैं 1971 की लड़ाई में रात को सभी लाइटेंए आग रोशनी बंद करा दी जाती थी। पाकिस्तान जमीन पर रोशनी लाइट देखकर हमला करते थे। जब सायरन बजता था तो उस समय दहशत का माहौल हो जाता था। हमें याद है 1971 में अंबाला में हवाई हमला हुआ था। भारतीय वायुसेना के पायलट निर्मल सिंह शेखों ने पाकिस्तान के सियालकोट स्थित इस एयर बेस उड़ा दिया था। इस हमले में पायलट निर्मल सिंह शेखों भी शहीद हो गए थे। उस समय वाहन बहुत कम थे तो बॉर्डर के पास लगते गांवों से लोग बैलगाड़ी पर सामान रखकर बॉर्डर के गांव खाली कर देते थे। सायरन बजते ही दहशत हो जाती थी।
भारत-पाक युद्ध के समय घरों में छा जाता था अंधेरा : चतुर्वेदी
कैप्टन परमानंद चतुर्वेदी ने कहा कि दरअसल 1971 के भारत-पाक युद्ध के समय शाम होते ही घरों में अंधेरा छा जाता था। आमतौर पर लोगों के घरों की लाइट नहीं जला करती थी, क्योंकि ये हिदायत थी कि शहरों को अंधेरा रखा जाए ताकि अगर दुश्मन का विमान वहां आ भी जाए तो उसको नीचे कुछ भी नजर नहीं आए। रात के समय ब्लैकआउट किया जाता था।




