यशभारत खास खबर : शत्रु संपत्ति का होगा डिजिटलीकरण, रिमोट सेंसिंग से होगी ई-मैपिंग, भारत सरकार की नई नीति के तहत होनी है कार्रवाई
कटनी, यशभारत। भारत सरकार की अभिरक्षा में खाली पड़ी शत्रु संपत्तियों के दिन अब फिरने वाले हैं। सरकार अब इन संपत्तियों का क्रय-विक्रय करने की दिशा में विचार कर रही है। इसको लेकर जितनी भी शत्रु संपत्तियां है, उनकी खोज शुरू हो गई है। इसी क्रम में कटनी जिले में भी ऐसी सभी संपत्तियों का डिजिटलीकरण किया जाएगा। इसके लिए रिमोट सेंसिंग के जरिये इन जमीनों के ई-मैप डिजिटल मैप बनाए जाएंगे। इसके लिये जिले से आवश्यक जानकारी तलब की गई है। विदित हो कि जिले की लगभग सभी तहसीलों में शत्रु संपत्तियां हैं।
कटनी जिले में है इतनी शत्रु संपत्ति
जिले से बंटवारे के दौरान कई लोग पाकिस्तान चले गये थे। अपने पीछे वे अपनी जमीनें छोड़ गये थे। सूत्रों की मानें तो जिले में एक सैकड़ा से ज्यादा शत्रु संपत्तियां घोषित हैं। सबसे ज्यादा शत्रु संपत्ति मुड़वारा व बरही में है। इसी तरह कटनी तहसील के कैलवाराकला में ी शत्रु संपत्तियां है। इस संबंध में जिले के राजस्व अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है। या तो जिले में शत्रु संपति में बड़ा गोलमाल है या अधिकारियों में जानकारी का अभाव है। सूत्रों ने बताया कि इन जमीनों के अधिकांश हिस्से में अतिक्रमण हो चुका है। भूमाफियाओं द्वारा खरीद फरोख्त कर राजस्व अधिकारियों, पटवारियों की मिली भगत से नामांतरण तक करा लिया गया है।
यह है मामला
सूत्रों के अनुसार शत्रु संपत्तियों को लेकर पाकिस्तान गये लोगों के वारसानों ने वापस आकर इन पर अपना दावा करना शुरू कर दिया है। देश के कई न्यायालय में इनके पक्ष में फैसले भी हुए है। इस तरह से काफी संख्या में लोगों ने शत्रु संपत्तियों पर अपना दावा करना शुरू कर दिया। जानकारी के अनुसार भारत सरकार ने 17 मार्च 2017 को शत्रु संपत्ति अधिनियम में बदलाव कर दिया। नए कानून के हिसाब से शत्रु संपत्ति की व्याख्या बदल गई। अब वो लोग भी शत्रु हैं, जो भले ही भारत के नागरिक हैं, लेकिन जिन्हें विरासत में ऐसी संपत्ति मिली है, जो किसी पाकिस्तानी नागरिक के नाम है। इसी संशोधन में सरकार को ऐसी प्रॉपर्टी बेचने का भी अधिकार दे दिया गया। इसके बाद से सरकार ने देश भर की शत्रु संपत्तियों का नये सिरे से सत्यापन और डिजिटलीकरण प्रारंभ किया है।
कटनी सहित 7 जिलों से मांगी जानकारी
शत्रु संपत्तियों के डिजिटलीकरण एवं ई-मैपिंग के लिये अब कटनी सहित भोपाल, सतना, डिंडौरी, जबलपुर, खंडवा, मंडला और सिवनी जिलों से जानकारी चाही गई है। इसके तहत किस तरह की शत्रु संपत्ति है, संपत्ति का रकवा क्या है, कितनी जमीन है, कहां स्थिति है। आज की स्थिति में इसका मूल्य क्या है, जैसी जानकारी चाही गई है, हालांकि भारत सरकार ने यह जानकारी पहले भी मांगी थी, लेकिन जानकारी नहीं भेजे जाने पर नाराजगी व्यक्त की गई है। राजस्व विभाग की उपसचिव सुचिश्मिता सक्सेना के अनुसार इस जानकारी के बाद इन भूमियों के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ होगी।
यह होती है शत्रु संपत्ति
बंटवारे के दौरान देश छोड़ कर गए लोगों की संपत्ति सहित, 1962 के भारत-चीन युद्ध और 1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद भारत सरकार ने इन देशों के नागरिकों की संपत्तियों को सीज कर दिया था। इन्हीं संपत्तियों को शत्रु संपत्ति के नाम से जाना जाता है। इन्हें निष्क्रांत संपत्ति के नाम से भी पहचाना जाता है। इन संपत्तियों में भूमि, मकान, फार्म, शेयर, बैंक बैलेंस, प्रोविडेंट फंड समेत कई अचल और चल चीजें शामिल हैं। फिलहाल इन संपत्तियों की देखरेख की जिम्मेदारी कस्टोडियन ऑफ एनमी प्रॉपर्टी फॉर इंडिया के पास है।कटनी, यशभारत। भारत सरकार की अभिरक्षा में खाली पड़ी शत्रु संपत्तियों के दिन अब फिरने वाले हैं। सरकार अब इन संपत्तियों का क्रय-विक्रय करने की दिशा में विचार कर रही है। इसको लेकर जितनी भी शत्रु संपत्तियां है, उनकी खोज शुरू हो गई है। इसी क्रम में कटनी जिले में भी ऐसी सभी संपत्तियों का डिजिटलीकरण किया जाएगा। इसके लिए रिमोट सेंसिंग के जरिये इन जमीनों के ई-मैप डिजिटल मैप बनाए जाएंगे। इसके लिये जिले से आवश्यक जानकारी तलब की गई है। विदित हो कि जिले की लगभग सभी तहसीलों में शत्रु संपत्तियां हैं।
कटनी जिले में है इतनी शत्रु संपत्ति
जिले से बंटवारे के दौरान कई लोग पाकिस्तान चले गये थे। अपने पीछे वे अपनी जमीनें छोड़ गये थे। सूत्रों की मानें तो जिले में एक सैकड़ा से ज्यादा शत्रु संपत्तियां घोषित हैं। सबसे ज्यादा शत्रु संपत्ति मुड़वारा व बरही में है। इसी तरह कटनी तहसील के कैलवाराकला में ी शत्रु संपत्तियां है। इस संबंध में जिले के राजस्व अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है। या तो जिले में शत्रु संपति में बड़ा गोलमाल है या अधिकारियों में जानकारी का अभाव है। सूत्रों ने बताया कि इन जमीनों के अधिकांश हिस्से में अतिक्रमण हो चुका है। भूमाफियाओं द्वारा खरीद फरोख्त कर राजस्व अधिकारियों, पटवारियों की मिली भगत से नामांतरण तक करा लिया गया है।
यह है मामला
सूत्रों के अनुसार शत्रु संपत्तियों को लेकर पाकिस्तान गये लोगों के वारसानों ने वापस आकर इन पर अपना दावा करना शुरू कर दिया है। देश के कई न्यायालय में इनके पक्ष में फैसले भी हुए है। इस तरह से काफी संख्या में लोगों ने शत्रु संपत्तियों पर अपना दावा करना शुरू कर दिया। जानकारी के अनुसार भारत सरकार ने 17 मार्च 2017 को शत्रु संपत्ति अधिनियम में बदलाव कर दिया। नए कानून के हिसाब से शत्रु संपत्ति की व्याख्या बदल गई। अब वो लोग भी शत्रु हैं, जो भले ही भारत के नागरिक हैं, लेकिन जिन्हें विरासत में ऐसी संपत्ति मिली है, जो किसी पाकिस्तानी नागरिक के नाम है। इसी संशोधन में सरकार को ऐसी प्रॉपर्टी बेचने का भी अधिकार दे दिया गया। इसके बाद से सरकार ने देश भर की शत्रु संपत्तियों का नये सिरे से सत्यापन और डिजिटलीकरण प्रारंभ किया है।
कटनी सहित 7 जिलों से मांगी जानकारी
शत्रु संपत्तियों के डिजिटलीकरण एवं ई-मैपिंग के लिये अब कटनी सहित भोपाल, सतना, डिंडौरी, जबलपुर, खंडवा, मंडला और सिवनी जिलों से जानकारी चाही गई है। इसके तहत किस तरह की शत्रु संपत्ति है, संपत्ति का रकवा क्या है, कितनी जमीन है, कहां स्थिति है। आज की स्थिति में इसका मूल्य क्या है, जैसी जानकारी चाही गई है, हालांकि भारत सरकार ने यह जानकारी पहले भी मांगी थी, लेकिन जानकारी नहीं भेजे जाने पर नाराजगी व्यक्त की गई है। राजस्व विभाग की उपसचिव सुचिश्मिता सक्सेना के अनुसार इस जानकारी के बाद इन भूमियों के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ होगी।
यह होती है शत्रु संपत्ति
बंटवारे के दौरान देश छोड़ कर गए लोगों की संपत्ति सहित, 1962 के भारत-चीन युद्ध और 1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद भारत सरकार ने इन देशों के नागरिकों की संपत्तियों को सीज कर दिया था। इन्हीं संपत्तियों को शत्रु संपत्ति के नाम से जाना जाता है। इन्हें निष्क्रांत संपत्ति के नाम से भी पहचाना जाता है। इन संपत्तियों में भूमि, मकान, फार्म, शेयर, बैंक बैलेंस, प्रोविडेंट फंड समेत कई अचल और चल चीजें शामिल हैं। फिलहाल इन संपत्तियों की देखरेख की जिम्मेदारी कस्टोडियन ऑफ एनमी प्रॉपर्टी फॉर इंडिया के पास है।








