जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

म. प्र. वूशु संघ में हुई धोखाधड़ी के प्रकरण में जिला न्यायालय जल्द से जल्द करे कार्यवाही : हाई कोर्ट

WhatsApp Icon
Join Yashbharat App

जबलपुर! खेलो में मध्यप्रदेश को सर्वाधिक पदक दिला कर गौरवान्वित करने वाले मध्यप्रदेश वूशु संघ के पूर्व और निष्कासित पदाधिकारियों द्वारा किए धोखाधड़ी संबंधी जिला न्यायालय में प्रस्तुत प्रकरण पर कार्यावाही जल्द से जल्द पूर्ण करने का दिनांक 25 मार्च 2023 को आदेश मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के न्यायधीश माननीय श्री मनिंदर सिंह भट्टी ने जिला न्यायालय को देकर याचिका का निराकरण कर दिया है।

प्रदेश भर में वकीलों की हड़ताल के कारण याचिका कर्ता के वकील ब्रजभूषण पांडे की अनुपस्थिति में मध्यप्रदेश वूशु संघ के सचिव मनोज गुप्ता ने अपना पक्ष स्वयं कोर्ट के समक्ष रख कर कोर्ट को बताया की मध्यप्रदेश वूशु संघ के पूर्व अध्यक्ष एन के त्रिपाठी (आई पी एस), और पूर्व सचिव सारिका गुप्ता द्वारा संस्था प्राप्त शासकीय अनुदान का गबन करने पर संस्था के अन्य पदाधिकारियों सहित याचिकाकर्ता मनोज गुप्ता (तात्कालीन सहसचिव) द्वारा विरोध किया गया जिस पर एन के त्रिपाठी और सारिका गुप्ता ने नरेंद्र अग्रवाल ,सिद्धार्थ श्रीवास्तव, सपना श्रीवास्तव, रजनीश सक्सेना , शैलेंद्र शर्मा, माया रजक तथा नरेंद्र अग्रवाल के साथ मिल कर कूट रचित दस्तावेज तैयार कर फर्जी समाननांतर मध्यप्रदेश वूशु संघ का गठन कर लिया, जिसकी शिकायत थाना संजीवनी नगर व पुलिस अधीक्षक को 25 अप्रैल 2022 की गई है।

इस धोखाधड़ी पर पुलिस ने अपने जांच प्रतिवेदन में यह लेख किया है की जिस दिनांक 28 दिसंबर 2021 को भोपाल में वूशु संघ की बैठक दर्शा कर जिन व्यक्तियों को पदाधिकारी बनाना दर्शाया गया उस दिनांक को उनमें से किसी भी व्यक्ति का मोबाइल लोकेशन भोपाल में होना नही पाया गया, एन के त्रिपाठी का लोकेशन इंदौर, सारिका गुप्ता का लोकेशन जबलपुर, शैलेंद्र शर्मा का लोकेशन सतना और माया रजक का लोकेशन मंडला में होना पाया गया है, तथा इनके द्वारा रजिस्ट्रार फर्म व संस्थाएं को प्रस्तुत दस्तावेजों तथा इनके वास्तविक हस्ताक्षरों में भिन्नता पाए जाने से प्रथम दृष्टया फर्जीवाड़ा होना प्रतीत होता है ।

मनोज गुप्ता ने न्यायालय को यह भी अवगत कराया की जिस 28 दिसंबर 2021 की फर्जी बैठक में इन आरोपियों ने मध्यप्रदेश वूशु संघ के जिस ऑडिट रिपोर्ट का अनुमोदन करना लेख किया है वो ऑडिट रिपोर्ट ही बैठक दिनांक के 52 दिन बाद दिनांक 18.2.2022 को बनी है, अर्थात उक्त फर्जी बैठक में आरोपियों ने उस ऑडिट रिपोर्ट का भी अनुमोदन करना दर्शाया है जो उस वक्त अस्तित्व में ही नही थे।

याचिकाकर्ता मनोज गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि संज्ञेय अपराध की सूचना पुलिस को दिए जाने के बावजूद पुलिस द्वारा आरोपियों के विरुद्ध एफ. आई. आर. दर्ज न करने से व्यथित होकर जिला न्यायालय में धारा 156(3) के तहत आवेदन प्रस्तुत किया गया था जिसमे शीघ्र कार्यवाही न होने से खेल और खिलाड़ियों के हित में मजबूरीवश उच्च न्यायालय की शरण में आना पड़ा है।

याचिकाकर्ता मनोज गुप्ता की दलीलो का अवलोकन कर माननीय उच्चन्यालय द्वारा जिला न्यायालय को आरोपियों के विरुद्ध धोखाधड़ी के प्रस्तुत प्रकरण का शीघ्र अतिशीघ्र निराकरण का आदेश देकर याचिका क्रमांक 3660/ 2023 का निराकरण कर दिया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Notifications Powered By Aplu