मॉडल स्कूल के टीचरों से छात्रा का सवाल: मैम अपना स्कूल इंग्लिश मीडियम तो मैथ्यस को हिंदी में क्यों? पढ़ाते हो
जबलपुर, यशभारत। मैम अपना स्कूल इंग्लिश मीडियम का है तो फिर मैथ्यस को क्यों? हिंदी में पढ़ाया जाता है। मैम हिन्दी में मैथ्यस से पढ़ाए जाने से कुछ समझ नहीं आता है। इस तरह के सवाल आठवीं कक्षा की छात्रा ने पं.लज्जा शंकर झा उत्कृष्ट माध्यमिक स्कूल के टीचरों से व्हाटसएप ग्रुप में पूछे है। छात्रा के सवालों का जवाब देने की वजाय मॉडल स्कूल के टीचरों ने इससे किनारा कर लिया।
सोशल मीडिया पर एक मैसेज वायरल हो रहा है जिसमें मॉडल स्कूल की एक छात्रा व्हाटसएप ग्रुप में टीचरों से पूछ रही है कि मैथ्यस हिंदी मीडियम में पढ़ाई जा रही है जबकि उसका प्रवेश इंग्लिश मीडियम में हुआ है। छात्रा का कहना है कि हिंदी में पढ़ाई होने से उसे कुछ समझ में नहीं आता है। छात्रा लगातर टीचरों से सवाल करती रही है परंतु व्हाटसएप ग्रुप में उसे किसी भी टीचर ने जवाब नहीं दिया।
इंग्लिश मीडियम कर दिया लेकिन टीचरों की भर्ती नहीं हुई
मालूम हो कि स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रदेश के समस्त मॉडल स्कूल कक्षा 6 से लेकर आठवीं तक को इंग्लिश मीडियम कर दिया है परंतु टीचरों की भर्ती करना भूल गया। स्कूल शिक्षा विभाग की लापरवाही का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। मॉडल स्कूल को इंग्लिश मीडियम की कार्रवाई कागजों में ओके है लेकिन धरातल में स्कूल में इंग्लिश जैसा कुछ नहीं है।
निजी स्कूलों को टक्कर देने इंग्लिश मीडियम किया गया
प्राइवेट स्कूलों को टक्कर देने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने मॉडल स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम किया जिसका एक ही मकसद था कि बच्चों के अभिभावक निजी स्कूलों में बच्चों का दाखिला न करके सरकारी स्कूल में प्रवेश दिलाए। परंतु यह सपना पूरा करने में विभाग ने कंजूसी दिखाई स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम कर दिया गया लेकिन टीचरों की पदस्थापना नहीं की गई।