जबलपुरमध्य प्रदेश

मुख्यमंत्री आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की जायज मांगों को तत्काल स्वीकार करें : राज्यसभा सांसद विवेक तंखा

जबलपुर यश भारत | प्रदेश में भाजपा सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने पिछले 40 दिनों से अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन पर बैठी प्रदेशभर की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका बहिनों की सुध नहीं ली है। संविधान निर्माता बाबा साहब अंबेडकर की जयंती मनाने का ढोंग करने वाली भाजपा की सरकार इन महिलाओं को उनका वाजिब हक और न्याय नहीं दे पा रही है।

राज्यसभा सांसद तथा वरिष्ठ कांग्रेस नेता विवेक तंखा ने कहा कि प्रदेश की साढ़े 7 करोड़ आबादी में से आधी आबादी का प्रतिनिधित्व महिलाएं कर रही हैं। फिर भी यह वर्ग न्याय और अधिकार के लिए वंचित है। उन्होंने कहा कि बच्चों के स्वयंभू मामा और बहिनों के भाई बन चुके शिवराज सिंह चौहान ने पिछले 40 दिनों से अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन पर बैठी प्रदेशभर की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं की सुध नहीं ली है। कड़ी धूप गर्मी और तेज लू के थपेड़ों के बीच अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ यह महिलाएं अपनी न्यायोचित मांगों को लेकर प्रदेश भर की सड़कों पर लगातार आंदोलन कर रही हैं। किंतु सत्ता के अहंकार में डूबे शिवराज सिंह चौहान इन महिला कर्मचारियों की समस्याओं का निराकरण कराने में कोई रुचि नहीं ले रहे क्योंकि इस समय कोई चुनाव नहीं है। ऐसे में वे अधिकारियों के माध्यम से आंदोलनकारी महिलाओं पर इस बात का दबाव बना रहे हैं कि बिना शर्त अपना आंदोलन वापस करें।

मध्यप्रदेश में अघोषित आपातकाल की स्थिति

कांग्रेस सांसद विवेक तंखा ने कहा कि मध्यप्रदेश में अघोषित आपातकाल की स्थिति बन गई है। जनता और कर्मचारियों को अपने साथ होने वाले अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की अनुमति भी नहीं दी जा रही है। उन्होंने कहा कि महिलाओं पर अत्याचार के मामले में मध्यप्रदेश देश के प्रमुख राज्यों में शामिल है। भाजपा सरकार मैं बैठे प्रतिनिधि लगातार महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने की बात करते हैं लेकिन हकीकत इसके विपरीत है। राजधानी भोपाल में ही प्रतिदिन महिलाओं के शोषण की खबरें सामने आ रही है। शिवराज सरकार सिर्फ महिलाओं के वोट हथियाने के लिए उनका उपयोग कर रही है उन्हें उनके अधिकारों और समाज में मिलने वाले सम्मान से वंचित किया जा रहा है।

सांसद विवेक तंखा ने कहा कि बेहतर हो कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की जायज मांगों को तत्काल स्वीकार करें। सीमित मानदेय में अपने परिवार का भरण पोषण करने वाली इन महिलाओं को भीषण गर्मी से मुक्ति दिलाने के लिए उनका आंदोलन तत्काल समाप्त कराया जाना चाहिए। कर्ज में डूबी राज्य सरकार जब अपने मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों पर लाखों रुपए खर्च कर उन्हें सुविधाएं मुहैया करा रही है तो ऐसे में सेवानिवृत्ति के बाद आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को भी पेंशन का अधिकार मिलना चाहिए।

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