मप्र हाई कोर्ट जज पर शोषण का आरोप लगाने वाली पूर्व महिला न्यायिक अधिकारी का चार साल बाद बदला बयान अनुचित

जबलपुर। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एल नागेश्वर राव व जस्टिस बीआर गवई की युगलपीठ में गुरुवार को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ओर से पक्ष रखा गया। मामला एक हाई कोर्ट जज, अब सेवानिवृत्त पर पूर्व महिला न्यायिक अधिकारी द्वारा शारीरिक शोषण के आरोप से सम्बंधित है। हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की ओर से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बहस की।
उन्होंने कहा कि चार साल पहले इस्तीफा दे चुकी पूर्व महिला न्यायिक अधिकारी का बदला बयान अनुचित है। चार साल पहले शिकायत के आधार इस मामले की जांच हुई थी, जिसमे आरोप मिथ्या पाए गए थे। अब जबकि घटना को चार साल बीत चुके हैं, पूर्व महिला न्यायिक अधिकारी इस्तीफे के लिए बाध्य करने का आरोप लगाकर बहाली की मांग कर रही है, जो कि तर्कसंगत नहीं है। इसलिये हाई कोर्ट ने इस आशय की मांग वाली याचिका निरस्त कर दी थी। लिहाजा, सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया गया है।
वस्तुतः यह आरोप लगाना कि उस समय वातावरण उसके प्रतिकूल हो गया था, उसे इस्तीफा देने विवश किया गया था, उसने अपनी मर्ज़ी से इस्तीफा नहीं दिया था, ठीक नहीं है। चूंकि किसी महिला न्यायिक अधिकारी द्वारा हाई कोर्ट जज द्वारा शारीरिक का आरोप बेहद गम्भीर प्रकृति का था, अतः एक संस्थान की गरिमा के संरक्षण के लिए उतनी ही गम्भीरता से जांच कराई गई थी। किन्तु शिकायत में कोई ठोस तथ्य नहीं पाया गया। अब पूर्व महिला न्यायिक अधिकारी बहाली की मांग करते हुए उस समय किये जा रहे स्थानांतरण को लेकर भी गलतबयानी कर रही है।
पूर्व महिला न्यायिक अधिकारी की ओर वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जय सिंह ने बहस की। उन्होंने कहा कि उस समय हाई कोर्ट प्रशासन ने रूखा व्यवहार प्रदर्शित करते हुए कहा दिया था कि या तो बेटी का करियर बनाने की चिंता करो या फिर नौकरी कर लो। जहां स्थानांतरित कर रहे हैं, ज्वाइन करो, बेटी की पढ़ाई के नुकसान का हवाला मत दो। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्ष सुनने के बाद अगली सुनवाई एक फरवरी को निर्धारित कर दी।