मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय ने परीक्षा में बैठने की अंतरिम राहत पर आदेश के विरुद्ध जारी किया रिजल्ट
जबलपुर। मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (एमयू) एक नहीं बल्कि अनेक मामलो में न्यायालय के आदेशों की अवमानना में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। एमयू से संबद्ध दो यूनानी कॉलेजों को भारतीय चिकित्सा पद्धती राष्ट्रीय आयोग ने वर्ष 2020-21 के लिए मान्यता नहीं दी थी। इन कॉलेज प्रबंधकों ने अध्ययनरत विद्यार्थियों के भविष्य का हवाला देते हुए न्यायालय की शरण ली और परीक्षा में बैठने की अंतरिम राहत मांगी। मप्र उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने एमयू प्रबंधन को इन कॉलेज के विद्यार्थियों के अस्थाई परीक्षा में बैठने की अंतरिम राहत इस टीप के साथ दी थी कि इनके रिजल्ट को याचिका के निर्णय के अधीन रखते हुए जारी न किया जाए जिसके बाद एमयू ने इन छात्रो के अस्थाईऑफलाइन नामांकन जारी किए लेकिन एमयू ने न्यायालय के आदेश की अवमानना करते हुए रिजल्ट भी जारी कर दिए। अब एमयू प्रबंधन आनन-फानन में वैबसाइट से रिजल्ट हटाने की जद्दोजहद में जुटा हुआ है।
-यह है मामला
देवास के हकीम अब्दुल हमीद यूनानी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल संचालित करने वाले ट्रस्ट की ओर सेा मप्र उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ में याचिका दायर की गई। याचिका में संस्था के 42 विद्यार्थियों एवं अलफ़ारूक़ी के 15 छात्र को 4 जुलाई 2022 को होने वाली परीक्षाओं में शामिल होने का आदेश न्यायालय द्वारा दिया गया। इस संबंध में यूनानी मेडिकल कॉलेज के निदेशक द्वारा एमयू के रजिस्ट्रार को 2 जुलाई 2022 को प्रेषित पत्र के माध्यम से अवगत कराते हुए 42 छात्रों की सूची के साथ न्यायालय का 1 जुलाई को जारी आदेश भी संलग्न किया। न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से संस्था के विद्यार्थियों को केवल परीक्षा में बैठने की अंंतरित राहत दी थी। न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट तौर पर कहा था संस्था को लेकर अन्य मामले न्यायालय में विचाराधीन हैं इसलिए विद्यार्थियों का परीक्षा परिणाम याचिका के अंतिम आदेश के अधीन होगा। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर एवं सत्येंद्र कुमार सिंह की युगलपीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि परीक्षा में बैठने की अंतरिम राहत पर संस्था के विद्यार्थी अन्य अधिकारों का दावा नहीं कर सकते। बीयूएमएस की परीक्षा के साथ प्रायोगिक परीक्षाओं में उक्त संस्था की तरह अल फारुखी यूनानी तीबिया कॉलेज इंदौर के विद्यार्थियों को भी अंतरिम राहत दी गई थी।