मनुष्य का आहार शुद्ध नहीं है तो फिर उसमे सात्विक गुण नहीं आ सकते – श्री रसराज दास जी महराज
सागर यश भारत (संभागीय ब्यूरो)/ यदि मनुष्य का आहार शुद्ध नही है तो फिर उसमे सात्विक गुण नहीं आ सकते हैं। सात्विक आहार गौ माता के दूध, दही, घी जैसे द्रव्य पदार्थों से मिलता है। इसलिए सात्विक आहार और जगत के कल्याण के लिए ज्यादा से ज्यादा गौ पालन कर उसकी सेवा करना चाहिए।
यह विचार श्रीधाम वृन्दावन से पधारे श्री गुरुदेव महाराज श्री रसराज दास जी महराज ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए व्यक्त किए। वे यहां गोवर्धन मंदिर परिसर में स्व श्री रामप्रसाद व्यास की स्मृति में उनके परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा हेतु सागर पधारे हैं।
यश भारत के सागर संभाग ब्यूरो चीफ द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने पितृपक्ष में पितरों की शांति के लिये किये जाने वाले कर्मकांड के बारे बताते हुये पितृपक्ष के महत्व के संबंध में विस्तार पूर्वक जानकारी दी एवम पत्रकार बंधुओ को धन्यवाद ज्ञापित किया।
श्री गुरुदेव महराज श्री रसराज दास जी महाराज ने कहा कि पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म को उत्सव पूर्वक मनाना चाहिए जिससे पितरों को शांति मिले और परिवार में खुशहाली आए। पितरों की शांति के लिए श्रीमद् भागवत सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ है। यह जरूरी नहीं है कि पितृ शांति के लिए इसकी कथा कराई जाए बल्कि इसके श्रवण मात्र से भी घर में सुख शांति और समृद्धि आती है। अंत में उन्होंने उपस्थित पत्रकारों के प्रति आशीर्वचन दिये।