भक्त को स्वप्न देकर भूमि से प्रकट हुए भोलेनाथ, जंगल से लाए गए शिवलिंग में समाए कई रहस्य
सावन के पहले सोमवार पर यशभारत विशेष
कटनी, यश भारत। सावन मास के शुरू होते ही शहर के शिव मंदिरों में श्रद्धा का सैलाव उमड़ने लगा है। शहर में जगह जगह पार्थिव शिवलिंग निर्माण बल्कि घरो में भी महिलाएं श्रद्धा भाव से मिट्टी के पार्थिव शिवलिंग कर निर्माण कर अभिषेक पूजन कर रही है। श्री कृष्ण वृद्धा आश्रम दद्दा धाम, ब्राह्मण सत्संग भवन के शहर के विश्वकर्मा पार्क प्राचीन शिव मंदिर मघई मंदिर, शिवनगर स्थित मसुरहा वाड़े में 150 साल पूरे शिव मंदिर, मसुरहा घाट स्थित मंदिरों सहित शहर के अनेक मंदिरों में आज सुबह से ही भगवान शिव की पूजा आराधना का क्रम शुरू हो गया। भोर से ही महिलाएं भगवान भोले नाथ का अभिषेक करने कतार लगाए खड़ी दिखी। सबसे प्राचीन शिव मंदिर मधई मंदिर में सावन के प्रथम सोमवार पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा हुआ है। भगवान भोलेनाथ का पूजन अभिषेक करने के लिए बड़े ही उत्साह के साथ श्रद्धालु पहुच रहे हैं और भगवान भोलेनाथ का विधि विधान से पूजन कर रहे हैं वहीं मंदिर में मंदिर के पुजारी बिहारी चतुर्वेदी के सानिध्य में पार्थिव शिवलिंग निर्माण चल रहा है। 12 बजे श्रृंगार अभिषेक कराया जाएगा। शहर के अन्य मंदिरों एवं शिवालयों में भगवान भोलेनाथ के पूजन को श्रद्धालु पहुंचे हुए हैं। बिहारी चतुर्वेदी ने बताया कि भगवान भोलेनाथ की उपासना के लिए श्रावण का मास अत्यंत पवित्र माना जाता है इस दिन क्षणिक मात्र पूजन करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है इसी भावना को लेकर के भगवान भोलेनाथ को मनाने पहुंचे हुए हैं।
■ मघई मंदिर का चमत्कार
मंदिर के पुजारी श्री चतुर्वेदी के अनुसार मघई मंदिर में बिराजमान स्वमं भू शिव की महिला अपरम्पार हैं। बाबा के कई चमत्कारों से शहर लोग परिचित है। पुजारी ने बताया कि एक ऐसे चमत्कार के बारे में बता रहे हैं, जिसे सुनकर आपका रोम-रोम पुलकित हो उठेगा। शहर के प्रमुख सिद्ध पीठ मधई मंदिर में विराजे भगवान भोलेनाथ की अपार कृपा भक्तों पर 200 साल से बरस रही है। आपको सुनकर ताज्जुब होगा कि यहां पर एक मुर्दा 1 घंटे के अंदर जीवित हो गया था। घनघोर जंगल से प्रकटे स्वयं-भू शिवलिंग के इस मंदिर में अनेकों रहस्य समाए हुए हैं।
■ ऐसे अस्तित्व में आया मंदिर
शहर के विश्वकर्मा पार्क में स्थित है यह प्राचीन शिव मंदिर। इस मंदिर को श्रद्धालु मधई मंदिर के नाम से जानते हैं। मंदिर के पुजारी श्री रामकृष्णाचार्य महाराज के अनुसार लगभग तीन पीढ़ियों पूर्व यह मंदिर अस्तित्व में आया। एक भक्त को भगवान भोलेनाथ ने स्वप्न दिया और भूमि से प्रकट हुए।
■ ये है कमाल का रहस्य
मधई मंदिर के पुजारी के अनुसार मंदिर में कई ऐसे चमत्कारी तथ्य सामने आए हैं जो भगवान भोलेनाथ की कृपा के प्रमाण हैं। 116 साल पहले मैहर क्षेत्र के ग्राम पोड़ी निवासी बैजनाथ सिंह की मौत हो गई थी, लेकिन उसके पुत्र को भोलेनाथ ने स्वप्न दिया कि उसे मंदिर लेकर आओ। जब मुर्दे को लेकर परिजन मंदिर पहुंचे और भगवान के दरबार में लिटाया तो एक घंटे के अंदर वह जीवित हो उठा। उसके बाद से उसने पूरी उम्र भगवान की सेवा में बिताई। इसके साथ कि लोगों की कई असाध्य बीमारियां शिवजी की कृपा से ठीक हुईं। आज भी लोग अपनी अर्जी लेकर बाबा के दरबार में पहुंचते हैं।
■ 200 साल पुराना है मंदिर
पुजारी महाराज ने बताया कि यह शहर का सबसे पुराना शिव मंदिर है। सन 1817 में एक शिवभक्त को भोलेनाथ ने स्वप्न दिया कि मैं इस जंगल में हूं। शिवलिंग का खनन कराकर प्राण प्रतिष्ठा कराओ। शिवभक्त ने स्वप्न के बारे में परिजनों सहित शहर के लोगों को बताया। उसके बाद जमीन को खोदकर शिवलिंग निकाला गया और स्थापना की गई।
■ तीन दिनों तक चला महोत्सव
पुजारी के अनुसार शिवलिंग के प्राकट्य के बाद तीन दिनों तक बड़े ही धूमधाम से महोत्सव मनाया गया। पहले एक पेड़ के नीचे चबूतरे में शिवलिंग को स्थापित किया गया, फिर मंदिर निर्माण होने पर वेदपाठी ब्राम्हणों के द्वारा प्राण प्रतिष्ठा कराई गई। देश के कोने-कोने से दर्शन के लिए श्रद्धालु शिवलिंग प्राकट्स महोत्सव में शामिल हुए।
■ 1950 में हुआ जीर्णोद्धार
छोटे से मंदिर में विराजे भगवान भोलेनाथ की 1950 में कृपा बरसी और मंदिर ने बड़ा आकार लिया। मधई मंदिर के सर्वराहकार गोयनका परिवार द्वारा मंदिर का भव्य जीर्णोद्धार कराया गया। विशेष नक्कासी वाला मंदिर तैयार हुआ और फिर पुन: भोलेनाथ की बड़े मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कराई गई।
■ स्वयं-भू प्रकट हैं शिवलिंग
कटनी शहर के इस मंदिर में शिवलिंग में विराजे भगवान भोलेनाथ का अद्भुत शिवलिंग है। खास बात यह है कि ये स्वयं-भू प्रकट शिवलिंग हैं। मंदिर के पुजारी के अनुसार एक रहस्य यह भी है कि यह शिवलिंग तिल-तिल कर बढ़ रहा है। 200 साल में इनकी आकृति डेढ़ गुना हो गई है।
■ आस्था का प्रमुख केंद्र
शहर में शक्ति की अराधना का प्रमुख धाम जालपा मढिय़ा है तो वहीं मधई मंदिर आस्था का केंद्र है। शहर के इन दोनों मंदिर में 365 दिन सुबह से लेकर देर शाम तक पूजन-दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है। मधई मंदिर में पूरे सावन माह मेले सा माहौल रहता है।