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भक्ति की शक्ति : महाकुंभ पहुंचे दो युवक, माँ नर्मदा की महिमा से प्रभावित होकर अचानक निकल पड़े नर्मदा परिक्रमा पर . … हुए भाव विभोर

उत्तराखंड और हरियाणा के हैं युवक, पूर्व में नहीं थी तैयारी, अमरकंटक से अंजनियां पहुंचे

मंडला lमहाकुंभ प्रयागराज पहुंचे दो मित्रों का नर्मदा जी के प्रति ऐसा आकर्षण हुआ कि दोनों कुंभ छोड़कर नर्मदा परिक्रमा में निकल गये। परिक्रमा के दौरान दोनों युवक अमरकंटक से अंजनियां पहुंचे। उत्तराखंड के ऋषिकेष निवासी आलोक सेमवाल और हरियाणा के बहादुरगढ़ निवासी विकास सिंह अपने मित्रों के साथ जनवरी में महाकुंभ स्नान करने के लिए प्रयागराज आए हुए थे। इसी दौरान उनकी मुलाकात संत अभिराम दास और बाल किशन गोस्वामी से हुई।

 

दोनों युवकों की मुलाकात के दौरान संतों ने उन्हें बताया कि सभी धार्मिक यात्राओं का सार नर्मदा परिक्रमा है। आलोक सेमवाल ने बताया कि वे काफी वर्षों से धार्मिक यात्राएं कर रहे हैं। बारह ज्योतिर्लिंग की यात्रा के दौरान नर्मदा दर्शन हुए थे। आलोक ने बताया कि नर्मदा परिक्रमा करने की उन्होंनें पूर्व से कोई रूपरेखा नहीं बनाई थी। महाकुंभ में संत अभिराम दास और बालकिशन गोस्वामी की प्रेरणा के बाद उनका और विकास का नर्मदा जी के प्रति ऐसा आकर्षण हुआ कि परिक्रमा करने का प्रण प्रयागराज में ही ले लिया। आलोक ने बताया कि परिक्रमा पर निकलने के लिए दोनों प्रयागराज से इंदौर आए और अपने भाई की मदद से रेल्वे पार्सल से अपनी बुलेट बाईक बुक करवाकर उत्तराखंड से मंगवाकर 17 जनवरी से ओमकारेश्वर से परिक्रमा प्रारंभ कर दी। परिक्रमा के दौरान वे प्रतिदिन लगभग 100 से 150 किलोमीटर की यात्रा करते हैं। प्रतिदिन शाम को मार्ग में पडऩे वाले आश्रमों या मंदिरों में रूक जाते हैं और दूसरे दिन आगे के गंतव्य की ओर निकल जाते हैं। आलोक ने बताया कि ओमकारेश्वर से मां नर्मदा के उत्तर तट से यात्रा शुरू कर अमरकंटक से तट परिवर्तन कर दक्षिण तट में यात्रा कर रहे हैं।

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