बाघ कर रहा था जंगली सुअर का शिकार : दोनों कुएं में गिरे,कुरई वन परिक्षेत्र के हरदुआ की घटना,किया गया रेस्क्यू

सिवनी यश भारत:-कुरई वन परिक्षेत्र कुरई के अंतर्गत आने वाले हरदुआ ग्राम के समीप जंगली सुअर का शिकार करने बाघ दौड़ा जहां बाघ और जंगली सुअर कुएं में गिर गए। जिन्हें निकालने का प्रयास किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार कुरई वन परिक्षेत्र के हरदुआ ग्राम के पास जंगल से लगे एक कुएं के पास जंगली सुअर का शिकार करने बाघ ने प्रयास किया और दोनों कुएं में गिर गए। सुबह ग्राम के लोग जब कुएं से पानी लेने गए तो उन्हें बाघ और जंगली सुअर जिंदा हालत में कुएं में दिखाई दिए। इस बात की सूचना ग्रामीणों ने वन विभाग को दी। जिसके बाद वन अमला व कुरई पुलिस मौके पर पहुंच गई है। और बाघ व जंगली सुअर को निकालने का प्रयास किया जा रहा है। इस घटनाक्रम को देखने बड़ी संख्या में लोग भी मौजूद रहा और सफलता पूर्वक रेस्क्यू किया गया।
पेंच नेशनल पार्क के डिप्टी डायरेक्टर रजनीश कुमार सिंह ने बताया कि सुबह कुरई वन परिक्षेत्र सहायक शारीक खान को सूचना मिली थी कि कुरई के समीप ग्राम हरदुआ में किसान किशोर भलावी के खेत में बने कुएं में एक बाघ और एक सुअर गिरा हुआ है। सूचना मिलते ही पेंच टाइगर रिजर्व का क्षेत्रीय रेस्क्यू स्क्वाड दल वरिष्ठ वन्यजीव चिकित्सक डॉ अखिलेश मिश्रा के नेतृत्व में घटनास्थल के लिए रवाना हुआ।
इस बीच उपस्थित वन परिक्षेत्र अधिकारी खवासा बफर एवं अन्य कर्मचारियों ने एक खाट को उल्टा बांध कर कुए के भीतर डाल दिया था। बाघ जो संभवतः कुछ देर पहले से कुएं में गिरा हुआ था और कुएं में भरे हुए पानी में तैर कर खुद को डूबने से बचा रहा था। खाट के डालते ही वह अपनी थकान दूर करने के लिए खाट पर आकर बैठ गया। गांव समीप में होने के कारण आसपास भीड़ भी जमा हो चुकी थी। लेकिन वन अमले ने उपस्थित पुलिस बल के साथ मिलकर पूरी भीड़ को सुरक्षित दूरी पर रोक रखा था। मौके की स्थिति को देखते हुए हाइड्रोलिक क्रेन मशीन और जेसीबी मशीन को भी रेस्क्यु में मदद हेतू तो बुला लिया गया था।
वरिष्ठ वन्यजीव चिकित्सक एवं रेस्क्यू सामग्री पहुंचते ही एक पिंजड़े को हाइड्रोलिक क्रेन में बांधकर कुएं के अंदर डाला गया और बाघ के समीप ले जाया गया। बाहर रस्सी की मदद से पिंजरे के द्वार को खोल के रखा गया था। प्रारंभ में बाघ जो खाट के ऊपर बैठा हुआ था, पिंजरे में जाने में इच्छुक नहीं था लेकिन थोड़े से प्रयासों के बाद और पिंजरे को अस्थिर करने पर बाघ पिंजरे के भीतर चला गया। बाघ के पिंजरे के भीतर जाते ही पिंजरे के गेट को बंद कर दिया गया और हाइड्रोलिक क्रेन के द्वारा पिंजरे को बाहर निकाल लिया गया। कुएं के भीतर डाला गया पिंजरा हल्का एवं छोटा था एवं बाघ को परिवहन कर अन्यत्र ले जाने के लिए बड़े पिंजरे में रखना आवश्यक था। इसलिए निकाल कर रेस्क्यू वाहन में रखे बड़े पिंजरे में बाघ को हस्तांतरित किया गया।
ट्रक को मौके से सुरक्षित स्थल के लिए रवाना करने के उपरांत कुएं में तैरते हुए जंगली सूअर का भी रेस्क्यु संपन्न किया गया। सूअर को रेस्क्यू करने के लिए पिंजरे को पुनः हाइड्रोलिक क्रेन की मदद से कुएं के भीतर डाला गया और पूर्व की भांति जंगली सूअर को भी पिंजरे में बिठाकर क्रेन की मदद से बाहर निकल गया। जंगल की ओर पिंजरे का मुंह कर पिंजरे के गेट को खोलने पर सुअर जंगल की ओर स्वतः भाग गया।
रेस्क्यू की गई बाघिन लगभग 3 वर्ष आयु की युवा बाघिन है और राज्य के मुख्य वन्यजीव अभिरक्षक द्वारा इस बाघिन को वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व सागर के अंतर्गत नौरादेही अभ्यारण में मुक्त करने बाबत निर्देशित किया गया है।
इस रेस्क्यू अभियान में पेंच टाइगर रिजर्व के रेस्क्यु दल के अतिरिक्त दक्षिण सामान्य वन मंडल के वन मंडल अधिकारी एवं अन्य कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूमिका थी। रेस्क्यू के दौरान भीड़ को नियंत्रित करने में तथा कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने में जिला पुलिस बल के अधिकारियों एवं कर्मचारियों एवं राजस्व विभाग एवं जिला पंचायत के क्षेत्रीय अमले की अत्यंत उल्लेखनीय भूमिका रही।