बड़ेरिया मेट्रोप्राइम मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में एकमो मशीन ने दिया नया जीवन 3 दिन हृदय ने नहीं किया काम फिर भी बची मरीज की जान
हार्ट बंद होने की कगार पर एक्मो मशीन बनी जीवनदायनी - गम्भीर केस में हार्ट और फेफड़ों को बायपास करके एक्मो मशीन से बचाई जा रही मरीजों की जान

जबलपुर, यशभारत। किसी भी तरह की गम्भीर बीमारी में जब मरीज के हार्ट पर असर होता है और हार्ट बन्द होने की स्थिति में पहुंचने लगता है तब इस तरह के क्रिटिकल केयर के लिए एक्मो मशीन मरीजों के लिए जीवनदायनी सिद्ध हो रही है। सल्फास खाने के बाद मरीज का बचना मुश्किल है लेकिन बड़ेरिया मेट्रोप्राइम मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में इंस्टाल की गई एक्मो मशीन से सल्फास खाए हुए व्यक्ति की जान बचाई गई।
इस केस में ऐसी स्थिति भी आई जब मरीज के हार्ट ने काम करना बंद कर दिया था, तब एक्मो मशीन से मरीज की जान बची। मरीज छह दिन में स्वस्थ होकर घर चला गया। एक्मो मशीन से उपचार की सुविधा महाकोशल – विंध्य में केवल बड़ेरिया मेट्रोप्राइम हॉस्पिटल जबलपुर में उपलब्ध है।
यह है एक्मो :
एक्मो वेंटीलेटर से ऊपर का लाइफ सपोर्ट मशीन है। यह हार्ट और लंग्स (फेफड़ों) को बायपास करते हुए बाहर से हार्ट का काम करती है, पंपिंग भी करती है।इसके अलावा बाहर से ही अक्सीनेशन भी देती है। एक्मो के पास अपना अक्सीनेटर होता है। जबकि वेंटीलेटर मरीज के फेफड़ों का उपयोग करके अक्सीजन देता है। मरीज को एक्मो लगाते समय उसके हार्ट और लंग्स (फेफड़ों) को बायपास कर देते हैं।इससे मरीज के हार्ट और लंग्स को आराम मिलता है जिससे मरीज की हालत सुधरती है।
क्रिटिकल केयर में एक्मो का अपयोग:
– क्रिटिकल केयर के ऐसे केस जिसमें मरीज का हार्ट बंद होने की स्थिति में पहुंच जाता है,जैसे कि एक्सिडेंट केस, इसमें क्रिटिकल केयर की आवश्यकता होती है, वा अन्य गम्भीर केस में क्रिटिकल केयर की आवश्यकता होती है। इस स्थिति में एक्मो मशीन मरीज का जीवन बचाती है। बड़ेरिया मेट्रोप्राइम मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में स्थापित एक्मो मशीन का क्रिटिकल केयर में उपयोग किया जा रहा है।
केस स्टडी:-
क्रिटिकल केस में एक्मो मशीन से बचाई जान:-
सल्फास का सेवन किए हुए गाडरवारा निवासी एक व्यक्ति को विगत सप्ताह बड़ेरिया मेट्रोप्राइम मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में गंभीर हालत में भर्ती किया गया। सल्फास पॉइजन के कारण उसके ऑर्गन खराब हो रहे थे। मरीज का बल्ड प्रेशर रिकार्ड में नहीं आ रहा था,उसके खून में आक्सीजन का स्तर भी मापदंड से कम था। पल्स भी नहीं मिल रही थी। मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए हास्पिटल में मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ शैलेंद्र सिंह राजपूत, कार्डियोलॉजिस्ट डॉ दिलीप तिवारी, छाती रोग विशेषज्ञ डॉ अरविन्द कुमार जैन, इंटेसिविस्ट डॉ सुनील जैन की टीम ने गहन विचार करने के बाद मरीज के परिजन से अनुमति लेते हुए मरीज को एक्मो मशीन लगाने का निर्णय लिया।
मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ शैलेंद्र सिंह राजपूत का कहना है कि सल्फास कार्डिएक पॉइजन है,जब मरीज को उसके परिजन हमारे पास लेकर आए तो उसका हार्ट डेमेज हो गया था। ईको की रिपोर्ट के अनुसार हार्ट का फंक्शन 5 से 10 प्रतिशत ही था। इससे एक्मो लगाने का निर्णय लिया।
डॉ अरविन्द जैन का कहना है कि सल्फास का एंटीडोट नहीं है,इससे यदि सल्फास ने शरीर के अंगों को खराब करना शुरू किया तो उसे बचाना मुश्किल होता है।उसका एंटीडोट वह है जो बॉडी खुद बनाती है। एक्मो पर मरीज को लिया गया। कार्डियोलॉजिस्ट डॉ दिलीप तिवारी का कहना है कि मरीज को सेलिंगम विधि से बिना आपरेशन के सर्किट लगाया गया और एक्मो लगाया गया।
वह मुश्किल घंटे:
एक्मो मशीन लगाने के बाद पहले तीन दिन मरीज का हार्ट पांच से दस प्रतिशत ही काम कर रहा था।
डॉ अरविन्द जैन ने बताया कि एक वक्त ऐसा भी आया जब मरीज का हार्ट बिल्कुल काम नहीं कर रहा था। ऐसे रिदम में मरीज 24 घंटे रहा।जिसमें किसी भी मरीज का जिंदा रहना मुश्किल होता है लेकिन एक्मो के कारण मरीज सरवाइव कर सका।क्योंकि एक्मो मशीन से हार्ट और लंग्स को बायपास कर दिया था और मशीन बाहर से हार्ट का काम कर रही थी। इसका खुद का अक्सीनेटर होने के कारण यह कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त शुद्ध आक्सीजन पंप कर रही थी।
धीरे धीरे मरीज के हार्ट ने काम करना शुरू किया और 6 दिन में उसका हार्ट 45 प्रतिशत काम करने लगा। शरीर के बाकी अंग भी काम करने लगे। मरीज पूर्ण स्वस्थ होकर घर चला गया है।वह अब अपने काम स्वयं कर रहा है और केवल दवाएं ले रहा है।
टीम वर्क से सम्भव:
डॉ सुनील जैन का कहना है कि यह टीम वर्क से सम्भव हुआ। एक्मो के जरिए बेहतरीन उपचार की सुविधा पूरे महाकोशल विंध्य में केवल बड़ेरिया मेट्रोप्राइम में उपलब्ध है।
क्रिटिकल केयर में एक्मो मशीन आज की जरूरत:-
क्रिटिकल केयर में एक्मो मशीन आज की जरूरत है। बड़ेरिया मेट्रो प्राइम हॉस्पिटल में उपलब्ध इस मशीन से गम्भीर स्थिति में पहुंच रहे मरीजों की जान बचाई जा रही है।