फॉमर्र रजिस्ट्री अभियान में सर्वर का रोना, राज्य सरकार ने पटवारियों और सर्वेयरों को दी जिम्मेदारी

कटनी, यशभारत। जिले में फॉर्मर रजिस्ट्री बनाने का अभियान एक बार फिर से चर्चाओं में हैं। दो महाभियानों की सफलता के बाद राज्य सरकार ने अब इसे पटवारियों और सर्वेयरों से युद्ध स्तर पर पूर्ण कराने के दिशा निर्देश दिए हैं। मध्यप्रदेश शासन राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा विगत 3 मार्च को जारी किए गए पत्र के अनुसार पटवारियों और सर्वेयरों को 20 मार्च तक शत प्रतिशत फॉर्मर आईडी युद्ध स्तर पर बनाने के निर्देश दिए गए है, जिससे अब हाल ही में समाप्त हुए राजस्व महाभियान 3.0 की मार झेला हुआ पटवारी एक बार फिर से जी जान लगाकर फॉर्मर रजिस्ट्री पूर्ण करने के लिए जुट गया है लेकिन इतने बड़े पैमाने पर जोर शोर से चल रही यह युद्ध स्तर की तैयारी केवल कागजों तक ही सिमटती नजर आ रही है।
मौके पर हालात यह है कि जुलाई माह से चल रही फॉर्मर आईडी का सर्वर ठीक से कार्य नहीं कर पा रहा है और जिन सर्वेयरों के सहयोग से इसे पूरा करने की बात की जा रही है। उन सर्वेयर के हालात यह हैं कि आधे से अधिक सर्वेयरों ने इस सीजन के लिए कार्य करना तो दूर लॉगिन भी नहीं किया है। पिछली गिरदावरी में समय पर कार्य करने के बावजूद भी उनके पैसे का भुगतान न होने के कारण अधितकर सर्वेयर पैसों की उम्मीद छोड़ अन्य कार्य में लग गए हैं, जो बाकी बचे हैं, वो सिर्फ पटवारी के बार-बार मनाए जाने और आश्वासनों के भरोसे टिके हुए हैं। गौरतलब है कि पिछले साल सर्वेयरों की भर्ती पटवारी सहायक के रूप में गिरदावरी के लिए की गई थी, जिन्होंने बारिश के दौरान भी खेतों जाकर गिरदावरी का कार्य किया लेकिन इतनी मेहनत और इतने समय के बाद भी आज तक किसी सर्वेयर के कार्य का भुगतान न होने से कार्य के प्रति उनकी उदासीनता बढ़ती जा रही है और सर्वेयरों के कार्य न करने से इनके कार्य का सारा बोझ पटवारी के कंधों पर ही बढ़ता जा रहा है। सर्वेयर की कार्य के प्रति बढ़ती अरुचि के कारण प्रदेश में आज तक फसल गिरदावरी पूर्ण नहीं हो सकी है, जबकि प्रदेश के अधिकतर हिस्सों में फसलों की कटाई तक चालू हो चुकी है और अब पूरे इस युद्ध स्तर के अभियान का जिम्मा पटवारियों के ऊपर आ गया है। मतलब इस युद्ध के मैदान में पटवारी पहाड़ जैसी समस्याओं के सामने अकेला निहत्था खड़ा जूझ रहा है लेकिन अकेले जूझना भी पटवारी के लिए कोई नहीं बात नहीं है। पटवारी अपने पूरे सामथ्र्य से इस कार्य में लग भी गया है। असली समस्या आज तक ज्यों की त्यों बनी हुई है। आज भी पटवारी सर्वर की कभी न खत्म होने वाली परेशानियों से जूझ रहा है। फॉर्मर रजिस्ट्री की मुख्य समस्या यह है कि इसमें रियल टाइम भू अभिलेख का डाटा का प्रदर्शित नहीं होता है, वहीं इस समय जब सारे किसान खेत की कटाई में व्यस्त हैं तब मुश्किल से किसान मिलने के बाद भी ओटीपी का न आना, भूमि स्वामी की जमीन को अटैच न होना, सह खातेदारों की भूमि की जानकारी न उपलब्ध हसाइट न चलना और ई साइन साइन जैसी ढेर सारी समस्याये पटवारियों को तो परेशान कर ही रहीं हैं साथ ही साथ किसान भाई भी इससे लगातार परेशान हैं।
पटवारियों पर बनाया जा रहा प्रेशर
- सर्वर की समस्याओं के अतिरिक्त बहुत सी ऐसी बातें हैं जैसे गांव के बहुत से किसान पलायन पर है। किसानों के मोबाइल आधार से लिंक नहीं हैं, अति पिछड़े, मजदूर, जनजातीय लोग जिनके पास मोबाइल भी नहीं हैं। ऐसी तमाम समस्याओं और सर्वर के साथ शत प्रतिशत लक्ष्य के लिए प्रयास करता पटवारी और सर्वेयरए पहाड़ में सर मारता ही प्रतीत होता है लेकिन इतना तो सभी जानते हैं कि इस सरकार में पटवारी की प्रताडऩा तो होकर ही रहनी है सो हो रही है। अब देखना यह है कि युद्ध स्तर पर चलने वाले इस अभियान में पटवारियों और सर्वेयरों की मदद के लिए सर्वर में सुधार कर उनकी अन्य समस्याओं को ठीक किया जाएगा या हर अभियान की तरह इसमें भी बिना समस्याओं को सुने, पटवारियों को कार्यवाही और अत्यधिक प्रेशर करके बंदूक की नोक पर उनको मानसिक प्रताडि़त कर यह कार्य भी किसी तरह करा लिया जाएगा।