जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

प्राइम टाइम विथ आशीष शुक्ला – नीति निर्माण में उद्योग व्यापार का हो प्रतिनिधित्व  कोरोना की तीसरी लहर से कितनी प्रभावित होगी अर्थव्यवस्था

जबलपुर यश भारत ।कोरोना की तीसरी लहर ने पूरे देश में अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। इससे जबलपुर शहर भी अछूता नहीं है । लगातार मामले बढ़ते जा रहे हैं और शासन द्वारा प्रतिबंध बढ़ाने की शुरुबात हो गई है। ऐसे में सबसे ज्यादा असर उद्योग व्यापार ऊपर पड़ता है। पहली दो लहर में नुकसान उठा चुके व्यापारी व उद्योगपति अब तीसरी लहर को लेकर परेसान है। आने वाली चुनौतियों और शासन की नीतियों को लेकर प्राइम टाइम विद आशीष शुक्ला में शहर के अलग-अलग चेंबर से जुड़े व्यापारियों व उद्योगपतियों ने अपनी बात खुलकर सामने रखी। जिसमें महाकौशल चेंबर ऑफ कॉमर्स, जबलपुर चेंबर ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधि मौजूद रहे। जिसमें रवि गुप्ता, हिमांशु खरे, नवनीत जैन पप्पू, अखिल मिश्रा शामिल हुए जिसमें उन्होंने आने वाली समस्याएं और सुझाव साझा किये।

 

योजनाएं वास्तविकता से परे

चर्चा की शुरुआत महाकौशल चेंबर ऑफ कॉमर्स के रवि गुप्ता से शुरू हुई जिन्होंने बताया कि कोरोना वायरस का असर आम जनता पर पड़ता है। उद्योग व्यापार आम जनता से जुड़े हुए हैं जिस कारण यह भी उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रहते। पहली लहर के दौरान आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई चैन टूट गई थी जिस कारण पहले उद्योग प्रभावित हुए और उससे व्यापार पर असर पड़ा। सरकार द्वारा कुछ घोषणाएं हुई हमें लोन दिया गया। जिससे व्यापार में कुछ सहायता मिली। लेकिन दूसरी लहर के बाद हमें कोई भी पैकेज नहीं मिला। अभी हम दूसरी लहर से उबरे ही थे कि तीसरी लहर सामने आकर खड़ी हो गई। जिसका सामना हमें करना है। उन्होंने बताया कि इस दौरान सर्वाधिक कोरोना से छोटा व्यापारी व मध्यम और लघु आकार का उद्योगपति प्रभावित हुआ है। जो रोज करने रोज कमाने वाले लोग हैं उनके पास इतनी पूंजी नहीं होती कि वह स्टॉक रख सकें। इस कारण छोटे व्यापारी इस महामारी के समय सबसे ज्यादा परेशान हो रहे हैं। उन्होंने एक महत्वपूर्ण बिंदु पर जोर दिया कि सरकार जो नीतियां निर्धारित करती है उसमें उद्योग व्यापार से जुड़े लोगों की सहभागिता ना के बराबर होती है ऐसे में उनकी योजनाएं वास्तविकता से बहुत दूर रहती हैं। जिस कारण उसका फायदा हमें मिल नहीं पाता।

भविष्य को लेकर आशंकित

चर्चा के दौरान जबलपुर चेंबर ऑफ कॉमर्स के हिमांशु खरे ने यश भारत के प्रयासों की सराहना करते हुए महामारी के समय व्यापार पर पड़ने वाले असर को लेकर कहा कि पहली दो लहरें बहुत घातक थी जिस से अभी तक हम बाहर नहीं आ पाए हैं वहीं तीसरी लहर के विषय में उन्होंने कहा कि इसकी घातक ता थोड़ा कम है लेकिन इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। उन्होंने मजदूरों के पलायन को गंभीर समस्या बताते हुए कहा कि अभी बड़े शहरों से मजदूर पलायन कर रहे हैं जिसका असर सीधे सप्लाई पर पड़ेगा और छोटे उद्योग व व्यापार तो इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि आपदा प्रबंधन को लेकर हमारी नीतियां कभी भी स्पष्ट नहीं रही हैं जिस कारण आगामी भविष्य में भी इस तरह की समस्या नहीं आएगी कहा नहीं जा सकता। शासन द्वारा एक लोन का झुनझुना हमें पकड़ा दिया गया जिससे राहत पैकेज का नाम दिया जाता है। उन्होंने पहली बार मिले राहत पैकेज के बाद दूसरी बार जनता कर्फ्यू के नाम पर शासन द्वारा जो खेल किया गया उस पर भी गंभीर सवाल उठा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि श्रमिकों के लिए रेडी वालों के लिए सरकार के पास ढेरों योजनाएं हैं लेकिन उद्योगपति व्यापारियों को लेकर कभी भी कोई योजना सामने नहीं आती।

 

जमा पूंजी से चल रहा व्यापार

चर्चा में शामिल अखिल मिश्रा ने बताया कि लंबे समय से व्यापार मंदी की मार झेल रहा था। उसके बाद gst के प्रावधानों से परेशानी का सामना करना पड़ा। उस से उभरे ही नहीं थे की 2 साल से लगातार कोरोना वायरस और लॉकडाउन व्यापार को घाटे की ओर ले जा रहा है। लोन लेकर व्यापार चल रहा है लेकिन लगातार बढ़ता घाटा बैंक खातों को npa की तरफ ले जा रहा है। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान लाभ तो बहुत दूर की बात है जमा पूंजी से खर्चों की पूर्ति करना पड़ रही है। ऐसे में व्यापार का भविष्य स्पष्ट नहीं है। उन्होंने साफ कहा कि शासन की मंशा और कार्य शैली स्पष्ट नहीं है। जिसका खामियाजा व्यापारियों को उठाना पड़ता है।

शादियों पर रोक कपड़ा व्यापार पर आपदा

चर्चा में शामिल थोक वस्त्र विक्रेता संघ के नवनीत जैन पप्पू इस दौर को कपड़ा व्यापार के लिए सबसे घातक बताया। उन्होंने कहा कि कपड़े का व्यापार शादियों के सीजन में सबसे ज्यादा चलता है। भारतीय परंपराओं में इस दौरान मेहमानों को कपड़े देने का रिवाज रहा है। जब सादी में महमान ही सीमित संख्या में होंगे तो कपड़े की बिक्री इससे अछूती नहीं रहेगी। एक ओर जहां 2 साल से कपड़े का व्यापार मंदा पड़ा है वहीं सरकार द्वारा कपड़े में gst की दर को बढ़ा दिया गया था। जिस को बाद में वापस लेना पड़ा। यदि सरकार की इसी तरह की मंशा रही तो आपदा से कपड़ा व्यापार को आने वाले समय में कड़ी चुनौतियो का सामना करना पड़ेगा।

कार्यक्रम के संचालक आशीष शुक्ला द्वारा व्यापार उद्योग और सरकारी नीतियों पर कई तार्किक सवाल उठाए गए। जिस पर तर्कसंगत चर्चा हुई जिसमें कई महत्वपूर्ण बिंदु निकल कर सामने आए। कार्यक्रम के अंत में आशीष शुक्ला द्वारा आपदा के दौरान बनने वाली नीतियों में व्यापारियों और उद्योगपतियों से प्रतिनिधित्व की बात कही। वही योजनाओं को वास्तविकता के धरातल पर उतारने के लिए सुझाव रखें। जिसे आप विस्तार से यश भारत के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर देख सकते हैं।

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