पीएससी प्रारंभिक परीक्षा 2020 के प्रश्नों के मान्य किए उत्तरों के सम्वन्ध में दायर याचिकाओ में से 7 याचिकाओ की अंतिम सुनवाई की हॉईकोर्ट ने !
जबलपुर मध्य प्रदेश 03/03/2022:- मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा की जा रही अनिमितताओं का दौर नही थम रहा है । 2022 चल रहा रहा आयोग द्वारा, आरक्षण को लेकर या प्रश्न पत्रो के उत्तरो की बिभिन्नता को लेकर हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट मे चल रहे मुक्कदमो की बजह से 2019 की परीक्षा की प्रक्रिया अभी तक अपूर्ण है, तथा 2020 की परीक्षा भी विवादों के घेरे में आ चुकी है । प्रारंभिक परीक्षा 2020 के प्रश्नपत्र क्रमांक-1, सामान्य अध्ययन, में ऐसे लभगभ 13 प्रश्न है, जिनके पाठ्य पुस्तकों में प्रकाशित उत्तरों से भिन्न उत्तरों को आयोग ने सही उत्तर मान्य किए है, तथा 4 प्रश्नों के दो-दो उत्तरों को भी मान्य किया गया है । इसी प्रकार एक और प्रश्न है कि “आदि ब्रम्हम समाज की स्थापना किसने की ?” इसका आयोग में उत्तर मान्य किया है देवेन्द्रनाथ टैगोर, जबकि एनसीईआरटी की पाठ्य पुस्तकों में लिखा है, ‘केशव चंद्र सेन’ । प्रदेश के हजारों की संख्या में ऐसे छात्र है जिन्होंने केशव चंद सेन को सही टिकमार्क किया है अर्थात उन्हें उक्त प्रश्न के उत्तर पर 2 अंक नही दिए गए है,
जिसके कारण हजारों की संख्या में छात्र दो-दो अंको से फेल कर दिए गए जो मुख्य परीक्षा से बंचित हो गए ! उन्ही में से सर्वप्रथम एक याचिका क्रमांक WP/3693/2022 अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने चार चार छात्रों की ओर से दाखिल की गई थी, जिसमे हाइकोर्ट जबलपुर की एकल पीठ के न्यायमूर्ति श्री एस.ए. धर्माधिकारी, ने दिनाँक 17/02/22 को अंतरिम आदेश पारित कर केशव चंद सेन को भी सही आंसर मान्य करते हुए उक्त याचिका कर्ताओ को मुख्य परीक्षा में शामिल करने का अंतरिम आदेश दिया गया है ! उक्त आदेश के बाद सैकड़ो छात्रों ने अपनी अपनी OMR से मिलान करके, सैकड़ो की संख्या में छात्रों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया तथा दिनांक 28/02/2022 के पूर्व तक हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सिमिलर आदेश सभी याचिका कर्ताओ के पक्ष मे पारित किया गया तथा
28/02/2022 को कई दायर याचिकाओ की सुनवाई अलग अलग बैंचो मे (न्यायमूर्ति श्री अतुल श्रीधरन, श्री संजय दिवेदी, श्री विवेक अग्रवाल, श्री एस॰ए॰ धर्माधिकारी) याचिकाओ की सुनवाई की गई जिसमे PSC के अधिवक्ता द्वारा एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट दाखिल करने तथा सभी प्रकरणो को लिंक करके दिनांक 03/3/22 को सुनवाई हेतु नियत करने का निवेदन किया गया था, इस कारण याचिका कर्मांक WP/4788/2022, WP/3693/2022, WP/4411/2022, WP/4496/2022, WP/4594/2022, WP/4594/2022, WP/4607/2022, WP/4714/2022 याचिकाओ की एक साथ सुनवाई हाइकोर्ट द्वारा निर्धारित की गई, तथा आयोग ने आज एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट भी कोर्ट में दाखिल की गई उक्त याचिकाओ की सुनवाई माननीय न्यायमूर्ति श्री विवेक अग्रवाल की एकल पीठ द्वारा की गई । सुनवाई के दौरान कोर्ट को याचिका कर्ताओ की ओर से अपने दावा के समर्थन में NCERT, मध्य प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी सहित दर्जनों पाठ्य पुस्तकों का कोर्ट में हवाला दिया गया कि आदि ब्रम्हम समाज की स्थापना केशव चंद सेन ने ही है, तथा आयोग द्वारा मान्य किया गया
उत्तर ऑप्शन ‘A’ के साथ- साथ ऑप्शन ‘B’ भी मान्य किया जाना चाहिए क्यूकि गजेटियर मे कुछ भी लिखा हो छात्र तो प्रकाशित पाठ्य पुस्तकों का ही आध्यन के आधार पर ही प्रश्नो के उत्तरो को चुनेगे तथा गजेटियर भी भारत सरकार का है तथा NCERT द्वारा प्रकाशित पाठ्य पुस्तक भी तथा गजेटियर आम नागरिकों/छात्रों की पहुँच मे भी नही होता है, इसलिए भिन्नता या समानता की स्थिति मे दोनों उत्तरो को नियमानुसार मान्य किए जाना चाहिए ! तथा उक्त दोनों आप्शन मान्य किए जाते है तो याचिकाकर्तागण, मुख्य परीक्षा 2020, जो 24 अप्रेल से 29 अप्रेल 2022, को आयोजित होने वाली है उसमें शामिल हो सके ।
याचिकाकर्ताओ के आधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, के उक्त तर्कों को श्रवण करने के पश्च्यात न्यायालय द्वारा समस्त प्रकरणो को अंतिम आदेश हेतु रिजर्व कर लिए गए है । याचिका कर्ता के अधिवक्ता का कथन है, यदि फैसला याचिका कर्ताओ के पक्ष में नही आता है तो डिवीजन वैंच में रिट अपील दाखिल की जाएगी क्यूकि छात्रों की कोई त्रुटी नही है तथा आयोग की गलती का खामयजा छात्र अपने भविष्य से अदा नही करेगे।