जबलपुरमध्य प्रदेश

पार्टी के प्रति समर्पण और धैर्य का पुरस्कार मिला आशीष को

 

जबलपुर। भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ता आधारित पार्टी है और यही ऐसा दल है जिसमें साधारण से साधारण कार्यकर्ता भी विधायक और सांसद बनने के सपने देख सकता है। जबलपुर संसदीय सीट के लिए घोषित हुई भाजपा की टिकट से यह बात एक बार फिर साबित हो गई। आशीष दुबे के रूप में केंद्रीय नेतृत्व ने महाकौशल के केंद्र बिंदु जबलपुर को ऐसा चेहरा दे दिया, जिनके संयम, धैर्य और सौम्यता की मिसाल दी जा सकती हैं।

 

अपने व्यक्तित्व में इन्ही गुणों की वजह से आज आशीष दुबे को पार्टी ने जबलपुर जैसे महत्वपूर्ण संसदीय क्षेत्र के लिए चुना है। माता-पिता से मिले संस्कारों को अपनाते हुए उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को अपनी मातृसंस्था बनाया और पूरे समर्पण भाव से जुट गए। समय-समय पर उन्हें पार्टी ने संगठनात्मक स्तर पर जो भी जिम्मेदारी सौंपी उसे पूरी लगन, मेहनत और समर्पण के भाव से पूरा किया।

 

1990 से एक कार्यकर्ता के रूप में भाजपा के साथ जुड़ने के बाद पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा को देखते हुए वर्ष 2000 में उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा का जिला मंत्री बनाया गया। इसके उपरांत 2007 से 2010 तक उन्होंने भाजयुमो के जिलाध्यक्ष के रूप में अपने दायित्व का निर्वहन कर कुशल संगठनकर्ता के रूप में गहरी छाप छोड़ी। पार्टी ने इसके बाद 2010 में उन्हें जिलाध्यक्ष की कमान सौंपी तो पूरी सक्रियता के साथ अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह कर उन्होंने संगठन को मजबूत किया। 2015 तक वे इस पद पर रहने के बाद 2016 से 2021 तक प्रदेश कार्यसमिति सदस्य रहे। इस दौरान जो भी कार्य पार्टी ने उन्हें सौंपे उस पर खरे उतरने का ही नतीजा था कि 2021 में गठित हुई प्रदेश कार्यकारिणी में उन्हें प्रदेश मंत्री का दायित्व सौंपा गया।

 

उनके करीबी लोग जानते हैं कि आशीष दुबे ने विभिन्न पदों पर कार्य करने के बावजूद लोगों से सरोकार और जमीनी राजनीति को कभी नही छोड़ा। विधानसभा चुनावों में टिकट के लिए उनका नाम चलता, लेकिन टिकट न मिलने पर वे कभी विचलित नही हुए बल्कि उसी समर्पण भाव के साथ पार्टी के कामकाज में जुटे रहे। आशीष दुबे उन युवाओं के लिए भी एक तरह से प्रेरणास्रोत हैं जो जरा सी असफलता पर हताश हो जाते हैं।

 

पार्टी ने आशीष को आज लोकसभा टिकट के रूप में उनके धैर्य और संयम का ही पुरस्कार दिया। यशभारत से बातचीत में वे कहते हैं कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय के सिद्धांतों को अंगीकार करते हुए सेवा के क्षेत्र में उन्होने कदम रखा है और जबलपुर के लोगों के साथ आत्मीयता के रिश्तों को वे जीवन पर्यंत निभाएंगे। जबलपुर को अभी विकास के कई सोपान तय करना है। हम सब मिलकर जबलपुर की प्रगति की नई इबारत लिखेंगे।

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