पाटन में 6 करोड़ का फर्जीबाड़ा : मनरेगा-शौचालय के नाम पर शोरूम मालिक ने ग्रामीणों के नाम पर 886 बाइक कराईं फाइनेंस

जबलपुर, यशभारत। जबलपुर में हीरो बाइक एजेंसी संचालक ने लोगों के डॉक्यूमेंट्स का उपयोग कर दो बैंकों से 6 करोड़ की 886 बाइक फाइनेंस करवा लीं। इसका खुलासा तब हुआ, जब लोगों के पास बाइक फाइनेंस के EMI कटने के मैसेज पहुंचे। अब तक 150 से ज्यादा लोग इसकी शिकायत कर चुके हैं। उनसे मनरेगा में मजदूरी दिलवाने और शौचालय बनवाने के नाम पर डॉक्यूमेंट्स लिए थे। पुलिस ने 3 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था। एसडीओपी सारिका पांडे ने बताया मामला दर्ज कर, आरोपियों कि सरगर्मी से तलाश की जा रही है।
जबलपुर के पाटन क्षेत्र में साल 2016 में मोहित पैगवार ने श्री साईं ऑटो मोबाइल्स नाम से हीरो बाइक की एजेंसी खोली। एजेंसी को तीन साल तक चलाया।मोहित ने तीनों कर्मचारियों को आसपास के गांवों में भेजा। ये युवाओं को टारगेट करते थे। शिकायतकर्ता नितिन राजपूत ने बताया कि प्रमोद शर्मा ने कहा था, एजेंसी शौचालय के लिए 12 हजार रुपए दे रही है। इनमें से कमीशन के दो हजार रुपए खुद रखेगी। बाकी उसे मिलेंगे। इसके लिए प्रमोद ने आधार कार्ड, बैंक पासबुक, पैन कार्ड, वोटर कार्ड और फोटो ले लिए। कागजात पर दस्तखत भी करवा लिए।
एजेंट्स इसी तरह किसी को शौचालय तो किसी को मनरेगा में मजदूरी की बात कहकर एजेंसी पर बुलवाते थे। एक गांव में सिर्फ 8 से 10 लोगों के ही दस्तावेज लेते थे, क्योंकि ज्यादा लोगों से बात करने पर पोल खुलने का डर था। आरोपियों ने करीब 20 से 25 गांव में लोगों को शिकार बनाया। मोहित पैगवार ने इंडसइंड बैंक के ऑफिसर और श्रीराम बैंक के फाइनेंस एग्जीक्यूटिव को अपने साथ मिला लिया। सभी ने मिलकर गांव वालों के फर्जी दस्तावेज तैयार किए। इन्हें इंडसइंड और श्रीराम फाइनेंस लोन के लिए जमा किया। बीमा के लिए नेशनल इंश्योरेंस कंपनी में डॉक्यूमेंट्स जमा किए। श्रीराम फाइनेंस से 65 लाख 91 हजार और इंडसइंड से 5 करोड़ रुपए लोन लिया। इन पैसों से मोहित ने जबलपुर की मुख्य एजेंसी से 886 बाइक बुक कर दीं। इन गाड़ियों को नकद में ये कहते हुए बेचा कि जल्द ही रजिस्ट्रेशन नंबर मिल जाएगा। फाइनेंस के कागजात पर गाड़ियों के चेचिस नंबर और इंजन नंबर भी डाला गया था। ये बाइक बिना आरटीओ रजिस्ट्रेशन कराए काफी कम कीमत में बेची गई। यह बाइक अब तक रिकवर नहीं हो सकी है। ऐसा पुलिस की जांच में आया है। दिसंबर 2020 में एजेंसी बंद कर फरार हो गए थे। जिन डॉक्यूमेंट्स से बाइक फाइनेंस करवाई, वो गांव वालों के थे। जिन्हें इस बारे कोई जानकारी नहीं थी कि उनके नाम पर करोड़ों का लोन ले लिया गया है।