
यश भारत l क्या मंच, क्या मान-सम्मान, क्या पंचांग और क्या मानद उपाधि। हर जगह छाए हैं जादूगर आनंद। कलाधानी के नाम से मशहूर मध्यप्रदेश की शान कहे जाने वाले जादूगर आनंद अब एक ऐसा नाम है, जिससे जुड़कर हर सम्मान सम्मानित हो जाता है। अंतर्राष्टÑीय ‘मास्टर आॅफ मैजिक’ अलंकरण सहित कई सम्मान से विभूषित जादूगर आनंद ‘द आर्ट एंड कल्चरल ट्रस्ट आॅफ इंडिया’ द्वारा जादू के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड मास्टर आॅफ मैजिक’ से भी नवाजे जा चुके हैं। यही नहीं भारतीय वर्चुअल यूनिवर्सिटी की विद्या परिषद द्वारा आपको महान जादुई उपलब्धियों के मद्देनजर डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया था।

दुनिया में किया नाम रोशन-
उल्लेखनीय है कि जिन कुछ लोगों ने जबलपुर मध्यप्रदेश और देश का नाम अंतर्राष्टÑीय स्तर पर रोशन किया है, उनमें ‘जादूगर आनंद’ का नाम प्रथम पंक्ति की सूची में है। इस जादूगर के मायाजाल ने समूची दुनिया को अपने भ्रमजाल में फं सा उन्हें खुशी का असीम आकाश दिया है। मप्र की संस्कारधानी कहे जाने वाले जबलपुर की इस शख्शिियत के जादू की यदि दीवानी पूरी दुनिया है, तो इसका कारण जादू के प्रति उनका समर्पण भी है।
खून में है जादू-
आनंद के करीबी बताते हैं कि आनंद भाई के खून में जादू है। स्वयं जादूगर आनंद की यदि सुनें तो वे कहते हैं जादू उनके लिए जुनून और उनके दिल का लव है। बचपन से वे जादूगर बनने का सपना देखते थे। इस सपने को साकार करने में उन्होंने जीवन खपा दिया। मंचीय शो के साथ अंधी यात्रा और तकनीकी दृष्टि से ‘मेगा फायर शो’ ने भी उन्हें अंतर्राष्टÑीय स्तर पर चर्चित किया है।
अनोखा रहा जादू का सफर–
जादूगर आनंद का जादुई सफर मदारियों के खेल से शुरू हुआ। वर्तमान में यह मंच के भव्यतम स्वरूप से लेके फायर शो सहित अन्य चर्चित आयोजनों तक जा पहुंचा है। इसका विश्राम किस समृद्धि पर होगा, ये आनंद भी नहीं जानते। वे कहते हैं कि मेरा काम तो जादू की साधना करना है। गीता दर्शन को मानते हुए मैं तो कर्म विधान में जुटा हूं। जो भी फल मिलेगा, उसे अंगीकार कर लूंगा।
रायपुर से जादुई सफर-
आनंद का जन्म तो जबलपुर में हुआ। लेकिन उनका जादुई सफर शुरू हुआ रायपुर से। आनंद ने बाल्यावस्था में ही सोच लिया था कि उन्हें जादूगर के अलावा और कुछ नहीं बनना है। परिजनों के विरोध, डांट-फटकार, मार-पीट के बाद भी आनंद ने अपने संकल्प से समझौता नहीं किया। और फिर एक समय ऐसा भी आया जब उनका संकल्प सिद्ध हो गया। आनंद ने रायपुर से अपनी जादूकला का श्रीगणेश किया और आज विश्व के सातों महाद्वीपों का वे चक्कर लगा जबलपुर तथा प्रदेश का नाम विश्व में रोशन कर चुके हैं।
मायूस चेहरों पर झलकता है आनंद-
जादूगर आनंद का जादुई पिटारा ऐसा है, कि मायूस और दुखी चेहरों पर भी आनंद की लहर लहराने लगती है। उन्हें मंच पर देख लोग सब कुछ भूल जाते हैं। उन्हें सिर्फ एक ही शब्द याद रहता है और वो है जादुई ‘आनंद’। उनके जादुई मनोरंजन में सदैव नवीनता बनीं रहे, इसके लिए वे हर शहर में कई नए और चौकाने वाले आयटम जोड़ लेते हैं। दुनिया में 60 हजार हाउस फुल शो का रिकॉर्ड अपने नाम करने वाले आनंद की जादुई यात्रा में कई सम्मानित पड़ाव आए हैं। अनेकों बार विभिन्न राज्यपाल, मुख्यमंत्री, संतगण, फिल्म-क्रिकेट स्टार आदि बतौर दर्शक उनके सामने बैठे हैं। सभी ने आनंद के आर्ट को सराहा है। किसी योगी की तरह साक्षी भाव रखते हुए वे प्रशंसा-आलोचना को गले लगाते हैं। उन्हें सबसे ज्यादा पसंद यदि कुछ है, तो वो है हंसते-खिलखिलाते दर्शकों की तालियों का शोर।
जादू को कला माना जाय-
आनंद इस बात से दुखी भी हैं कि जादू को मनोरंजन तो माना जाता है, पर इसे कला के रूप में वह सम्मान नहीं मिला, जिसकी ये विधा हकदार है। खेल, कला, साहित्य सहित हर विधा सम्मान की यदि हकदार हैं तो जादू क्यों नहीं। जबलपुर से खास प्रेम करने वाले जादूगर आनंद यहां मैजिक अकादमी बनाने के पक्षधर हैं। यही नहीं वे हर स्टेट की कैपिटल में मैजिक अकादमी चाह रखते हैं।
इस बार जन्मोत्सव परिजनों के साथ
जादूगर आनंद का जन्मदिन उनके चाहने वाले कभी बांधव गढ़ में मनाते हैं, तो कभी कान्हा राष्टÑीय उद्यान तो कभी सूरजपुर में। जन्मदिन के आयोजन में में देश भर की जादुई हस्तियां शामिल होती रही हैं। लेकिन इस बार परिजनों के आग्रह पर जादूगर आनंद अपना जन्मदिन सिर्फ परिजनों के साथ मना रहे हैं। दशकों बाद ये पहला अवसर है, जब जन्मदिन में आनंद अपने परिवार वालों के साथ रहेंगे।
पवन पांडेय