टंडन का पत्ता कटा तो क्या कोई महिला होगी भाजपा जिलाध्यक्ष ? 26 को होगी रायशुमारी : चर्चा में संगठन चुनाव की नई गाइडलाइन

कटनी। भारतीय जनता पार्टी में जिलाध्यक्ष के चुनाव की बिसात बिछ चुकी है। कल 25 दिसंबर को खजुराहो में पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम से फुरसत होने के फौरन बाद पूरी पार्टी नए जिलाध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया में लग जाएगी। जानकारी मिली है कि कटनी में जिलाध्यक्ष के नाम पर रायशुमारी के लिए 26 दिसंबर की तारीख तय हो गई है। इस दिन चुनाव प्रभारी हरिशंकर खटीक सह चुनाव प्रभारियों के साथ मिलकर नेताओं और कार्यकर्ताओं से दावेदारों के नामों पर चर्चा करने के बाद सारा कुछ अपनी डायरी में नोट कर भोपाल रवाना हो जाएंगे। रायशुमारी के लिए पार्टी किसी पर्यवेक्षक को भी कटनी भेज सकती है।
नई गाइड लाइन चर्चा में
इस बीच जिलाध्यक्ष को चुनाव को लेकर कल से सोशल मीडिया में वायरल हुई गाइड लाइन चर्चा है। इसे केंद्र से जारी निर्देश माने जा रहे है। अगर इन्हें एमपी के संगठन चुनाव में एप्लाई किया गया तो वर्तमान जिलाध्यक्ष रिपीट नहीं हो पाएंगे। पार्टी किसी नए नेता को इस पद पर आसीन होने का मौका देगी। गाइड लाइन में एक बात और स्पष्ट की गई है कि आगामी समय में महिला आरक्षण को देखते हुए संगठन चुनाव में भी महिलाओं को प्राथमिकता दिया जाना है, ऐसी स्थिति में प्रदेश में कम से कम 9 जिलों में महिलाओं को जिलाध्यक्ष बनने का मौका मिल सकता है। महिला नेतृत्व वाले ऐसे जिलों में कटनी का नंबर लगेगा या नहीं, यह तो भविष्य की गर्त में है, किंतु इस पद के योग्य भाजपा नेत्रियों को तलाशना ही इस जिले में कठिन काम है। जिलाध्यक्ष के पद के महत्व और इसकी गरिमा के हिसाब से देखें तो पूर्व राज्यमंत्री श्रीमती अलका जैन का नाम सर्वसम्मत हो सकता है, किंतु वे 60 वाले उम्र के क्राइटेरिया से बाहर है। इस मामले में महिला कोटे को देखते हुए पार्टी उम्र के बंधन में कोई शिथिलता बरत दे तो बात अलग। महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष श्रीमती सीमा जैन सोगानी, पूर्व महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष भावना सिंह और पूर्व जिला उपाध्यक्ष गीता गुप्ता के नाम पर भी विचार हो सकता है। इन सीनियर नेत्रियों ने संगठन में समय समय पर मजबूती के साथ अपनी भूमिका निभाई है। इन नामों के अतिरिक्त भी कुछ और नेत्रियां पार्टी में सक्रिय हैं, जिनके नाम पर पार्टी विचार कर सकती है।
रायशुमारी पर टिकी निगाहें
26 दिसंबर को होने वाली रायशुमारी पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। कार्यकर्ताओं और नेताओं की राय जानने की प्रक्रिया पर काफी कुछ निर्भर है।नेताओं से व्यक्तिगत या समूहों में मुलाकात होगी, यह भी अहम होगा। वन टू वन रायशुमारी हुई और प्रभारियों ने ईमानदारी से इसके नतीजे भोपाल पहुंचा दिए तो चौंकाने वाले परिणाम आ सकते है। वैसे रायशुमारी में किन लोगों को अपनी राय देने की पात्रता होगी, यह भी अहम होगा। जिला संगठन में वर्तमान में जो टीम पावरफुल है, उसने सारी जमावट अपने हिसाब से कर रखी है। उन्हीं लोगों को रायशुमारी का पात्र बनाया जा रहा है, जो पसंद के तौर पर उनका ही नाम लें। फिर भी यदि मौजूदा कॉकस से बाहर के लोगों को मौका मिला तो कुछ भी हो सकता है, क्योंकि पार्टी के भीतर बड़ा वर्ग है जो किसी भी सूरत में रिपिटेशन नहीं चाह रहा। इन सब स्थितियों के बीच दावेदार भोपाल तक फील्डिंग जमा चुके हैं।
