जिला अस्पताल में फर्जी डॉक्यूमेंट के जरिए फर्जी ड्रेसर 10 साल तक करता तरह नौकरी : शिकायत के बाद तीन सदस्यीय जांच दल गठित

ग्वालियरl स्वास्थ्य विभाग में एक के बाद बड़े फर्जीवाड़े उजागर हो रहे है।फर्जी डॉक्टर,फर्जी अस्पताल के बाद ग्वालियर में अब फर्जी डॉक्यूमेंट के जरिए फर्जी ड्रेसर का मामला सामने आया है। हैरानी की बात यह है कि फर्जी डॉक्यूमेंट के जरिए 10 साल तक नौकरी की गयी और सैलरी भी ली गयी। शिकायत के बाद अब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एक्शन लेने की बात कर रहे हैं।
– ग्वालियर के श्रीमंत माधव सिंधिया जिला अस्पताल मुरार का यह मामला है, यहां ड्रेसर के पद पर नौकरी करने वाला अरविंद कुमार उर्फ नीरज गुप्ता फर्जी डॉक्यूमेंट के जरिए 10 साल से नौकरी करता रहा,नीरज गुप्ता अस्पताल में मनोज कुमार के नाम से नोकरी करता रहा और सैलरी भी लेता रहा। नीरज गुप्ता के इस फर्जीबाड़े का खुलासा तब हुआ जब नीरज के भाई ने इसकी शिकायत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से की।शुरुआती जांच में सामने आया है कि आरोपी नीरज गुप्ता ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए स्वास्थ्य विभाग की मिली भगत से साल 2015-16 में टीकमगढ़ में ड्रेसर के पद पर नियुक्ति हासिल की थी।वहां से ट्रांसफर लेकर ग्वालियर आ गया। इस दौरान वह हर महीने नियमित वेतन भी लेता रहा। नीरज गुप्ता की फर्जी तरीके से नोकरी हासिल करने की शिकायत के बाद तीन सदस्यीय जांच समिति बनाई गई।जिसने पुष्टि की है कि आरोपी नीरज ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए नियुक्ति हासिल की थी। यह भी खुलासा हुआ है कि आरोपी को भिंड जिले के कोषालय और सीएमएचओ कार्यालय से फर्जी यूनिक कोड दिया गया था। जिसके जरिए ही उस नियुक्त किया गया। ऐसे में दस्तावेजों के फर्जीवाड़े के साथ ही नियुक्ति प्रक्रिया में भी बड़ा फर्जीबाड़ा उजागर हुआ। यही वजह है की जांच समिति ने स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की भूमिका को भी संदिग्ध माना है। क्षेत्रीय स्वास्थ्य संचालक डॉक्टर नीलम सक्सेना का कहना है कि रिपोर्ट आने के बाद सीएमएचओ को निर्देशित किया गया है कि फर्जी कर्मचारि के खिलाफ सभी जांच के आधार पर वैधानिक कानूनी कार्रवाई की जाए।