जबलपुर में ग्राम पंचायत बंदरकोला की महिलाओं के पास खाने के लाले थे, आज कमा रही एक लाख सलाना
12 महिलाएं एलोवेरा की खेती कर बनी आत्मनिर्भर
जबलपुर। गांव में महिलाओं की पहचान सिर्फ चूल्हा चौका के लिए जानी जाती है। स्थानीय स्तर पर ग्रामीण कस्बों में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास तो बहुत हुए पर धरातल में परिणाम सामने में काफी समय लगा। इसी का नतीजा है कि जबलपुर जनपद की ग्राम पंचायत बंदरकोला की 12 महिलाएं आत्मनिर्भर बन चुकी है। गरीबी के बोझ में दबे इन महिलाओं के घरों में कभी दीपावली-होली नहीं होती थी परंतु अब हर रोज त्यौहार मनाए जा रहे हैं। इस गांव की महिलाएं एलोवेरा की खेती कर सलाना एक लाख रुपए कमा रही है। खास बात यह है कि इन महिलाआेंं की मदद से ग्राम पंचायत सरपंच ने 50 एकड़ में एक घना जंगल तैयार किया है। महिलाओं के इस कार्य की सराहना आसपास की पंचायतों में हो रही है। इनके कार्यों से प्रेरित होकर अन्य लोग भी इस कार्य में जुटने तैयार हो रहे हैं।
10 एकड़ में एलोवेरा की खेती कर रही महिलाएं
बंदरकोला ग्राम पंचायत के सरपंच अजय सिंह पटेल ने बताया कि गांव में कोई रोजगार नहीं है। पुरुष भी इतना नहीं कामाते है कि उनका घर ठीक ढंग से चल सकें। इसी सब को ध्यान में रखकर पंचायत में खाली पड़ी 10 एकड़ शासकीय भूमि में एलोवेरा की खेती के लिए दुर्गा स्वसहायता समूह नाम एक एक समूह बनाया गया जिसमें गांव की 12 महिलाओं को शामिल किया। महिलाओं को जिला पंचायत की तरफ एलोवेरा की खेती के लिए प्रशिक्षण दिया गया था।
4 साल से कर रही खेती
बंदरकोला ग्राम पंचायत की महिलाएं बीते 4 साल से एलोवेरा की ख्ोती कर रही है। हर 6 माह में 50 हजार का एलोवेरा महिलाएं बेचती है। एक साल में 1 लाख से ज्यादा का एलोवेरा बेच लेती है।
50 एकड़ में घना जंगल बसा
गांव की महिलाएं सिर्फ एलोवेरा की खेती तक सीमित नहीं रही है। उन्होंने पंचायत और शासन की योजनाओं पर हाथ बांटना शुरू कर दिया और 50 एकड़ में एक घना जंगल तैयार कर दिया। मनरेगा की 14 लाख की मदद से महिलाओं ने सरपंच के साथ मिलकर जंगल तैयार किया।
खास बातें…
ै- जिले में किसी भी ग्राम पंचायत के पास बंदरकोला पंचायत जैसा जंगल नहीं है।
– बंदरकोला को छोड़ अन्य किसी भी पंचायत में एलोवेरा की खेती नहीं हो रही है।
– जितना इस पंचायत की महिलाएं कमा रही है किसी और पंचायत या गांव की महिलाएं नहीं कमा रही है।
बंदरकोला ग्राम पंचायत की महिलाओं द्वारा किया गया कार्य सराहनीय है। सभी जनपद अधिकारियों से कहा गया कि वह बंदरकोला ग्राम पंचायत से प्रेरणा लेकर पंचायतों में काम शुरू कराएं।
रितु बाफना, जिला पंचायत सीईओ