जबलपुरमध्य प्रदेश

जबलपुर ननि के खिलाफ एएसआई ने सीएम हेल्प लाइन में की शिकायत : 7 घंटे पड़ा रहा ब्रिज के नीचे अधेड़ का शव, नोंच रहे थे कुत्ते

पुलिस ने कराया अंतिम संस्कार, ननि में हड़कंप, मामले की जांच जारी

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जबलपुर, यशभारत। संस्कारधानी में इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला एक मामला सामने आया है। जहां शोभापुर रेलवे ब्रिज के नीचे एक अधेड़ का शव मिलने के बाद पहुंची पुलिस ने शव वाहन के लिए ननि को फोन लगाया, लेकिन सात घंटे बीत जाने के बाद भी नगर निगम का शव वाहन मौके पर नहीं पहुंचा। जिसके बाद पुलिस ने सीएसआई अधिकारी सहित नगर निगम कमिश्रर को फोन लगाया, लेकिन फोन स्विच ऑफ आया। इसी बीच शव को कुत्ते नोंचने लगे। जिसकी शिनाख्तगी नहीं हो सकी। थकहार कर जबलपुर पुलिस ने सीएम हेल्प लाइन का सराहा लिया और नगर निगम की शिकायत कर, स्वयं शव का अंतिम संस्कार किया। वहीं, शिकायत के बाद ननि में हड़कंप की स्थिति है और अब वह शिकायत वापस लेने की मिन्नतें कर रहे हैं। मामले की जांच की जा रही है।

जानकारी अनुसार पुलिस ने पूरे मामले की जानकारी देते हुए बताया कि विगत दिवस शोभापुर रेलवे ब्र्रिज के नीचे एक शव मिलने की सूचना मिली। पुलिस ने शव की शिनाख्तगी के प्रयास किए। आसपास के थानों में सूचना दी और गुमशुदगी की रिपोर्ट खंगाली, लेकिन शव की पहचान नहीं हो सकी।

डी कंपोस्ड हो रहा था शव
पुलिस ने बताया कि शव मिलने के बाद नगन निगम को फोन लगाया गया। ताकि शव को ले जाया जा सके। लेकिन मौके पर सात घंटे बीत गए। इस दौरान शव भी डीकंपोस्ड होने लगा। जिसके बाद जब ननि से संपर्क किया गया तो कहा गया कि फिलहाल शहर में कोई वाहन मौजूद नहीं है। जो शव को उठा सके।

पुलिस ने की शिकायत
रांझी थाने में पदस्थ एएसआई मनोज गोस्वामी ने बताया कि जब मौके पर शव वाहन नहीं पहुंचा तो उन्होंने सीएम हेल्प लाइन में शिकायत दर्ज करवाई। इसके पहले उन्होंने सीएसआई, नगर निगम कमिश्रर से संपर्क भी किया। लेकिन फोन स्विच ऑफ आ रहा था। शिकायत के बाद शव का चौहानी में पूरे रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार करवाया गया। लेकिन ननि ने खबर तक नहीं ली। इस दौरान मौके पर रेलवे का अमला भी मौजूद रहा।

करीब 15 लाख की आबादी में है 10 शव वाहन
जबलपुर की बात करें तो शहर में करीब 15 लाख की आबादी में 10 शव वाहन मौजूद है। अलग-अलग शमशान घाटों और कब्रिस्तान से लिए गए आंकड़ों के अनुसार शहर में करीब 100 लोगों का प्रतिदिन अंतिम संस्कार होता है। तो वहीं शहर में अनेक संगठनों के सेवार्थ शव वाहन भी मौजूद है। बावजूत उसके अनेक शवों को मुक्तिधाम तक पहुंचाने में घंटों प्रतीक्षा करनी पड़ती है। तो वहीं अनेक मामलों में तो मजबूरीवश बिना वाहन के भी शवों को मुक्तिधाम और कब्रिस्तान तक पहुंचाया जाता है। ताकि समय सीमा पर संस्कार हो सके।

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