कटनीमध्य प्रदेश

चैक अनादरण के आरोपी को एक वर्ष के कारावास की सजा, 1 लाख 85 हजार 500 रूपए का अर्थदंड भी लगाया न्यायालय ने

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कटनी, यश भारत। न्यायालय श्रीमती शीतल बघेल, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी कटनी ने चैक अनादरण के अपराध में आरोपी धूरी बंधी स्लीमनाबाद निवासी ऋषिराज यादव पिता शिवकुमार यादव को  एक वर्ष के सश्रम कारावास एवं 1 लाख 85 हजार 500 रूपए का अर्थदंड से दंडित किया है। मामला इस प्रकार है कि आरोपी ने एक कामधेनू क्रेसर एवं केच व्हील और पाईप लाईन 2,17,000 रूपए में क्रय करके 1,50,000 रूपए का चैक अपने बैंक खाते का जारी किया था।  चैक अनादरण मेमो मिलने के पश्चात आरोपी को नोटिस जारी किया था, किंतु आरोपी द्वारा कोई भुगतान नहीं दिया गया, जिस पर परिवादी ने परिवाद पत्र अंतर्गत धारा-138 निगोसियेवल इंस्टूमेंट का प्रस्तुत किया था। आरोपी द्वारा अपने बचाव में यह कहा गया कि जब वह नाबालिग था, तब उसने चैक जारी किया था। जिसके प्रतिवाद में परिवादी शंकर धामेचा के अधिवक्ता कमल अग्रवाल द्वारा तर्क दिया गया कि नाबालिग व्यक्ति को बैंक द्वारा चैक बुक जारी नहीं की जाती है, इसके अलावा जब आरोपी ने 2020 में समक्ष नोटरी कटनी वचन पत्र दिया था, तब वह बालिग था तथा उसके पश्चात आरोपी ने परिवादी फर्म को चैक जारी किया था। विचारण न्यायालय द्वारा आरोपी को चैक अनादरण के अपराध में दोषसिद्ध पाते हुए एक वर्ष के सश्रम कारावास एवं 1,85,500 रूपए के अर्थदंड से दंडित किया गया। जुर्माना राशि के भुगतान न देने की दशा में 2 माह का अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतना होगा।कटनी, यश भारत। न्यायालय श्रीमती शीतल बघेल, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी कटनी ने चैक अनादरण के अपराध में आरोपी धूरी बंधी स्लीमनाबाद निवासी ऋषिराज यादव पिता शिवकुमार यादव को एक वर्ष के सश्रम कारावास एवं 1 लाख 85 हजार 500 रूपए का अर्थदंड से दंडित किया है। मामला इस प्रकार है कि आरोपी ने एक कामधेनू क्रेसर एवं केच व्हील और पाईप लाईन 2,17,000 रूपए में क्रय करके 1,50,000 रूपए का चैक अपने बैंक खाते का जारी किया था। चैक अनादरण मेमो मिलने के पश्चात आरोपी को नोटिस जारी किया था, किंतु आरोपी द्वारा कोई भुगतान नहीं दिया गया, जिस पर परिवादी ने परिवाद पत्र अंतर्गत धारा-138 निगोसियेवल इंस्टूमेंट का प्रस्तुत किया था। आरोपी द्वारा अपने बचाव में यह कहा गया कि जब वह नाबालिग था, तब उसने चैक जारी किया था। जिसके प्रतिवाद में परिवादी शंकर धामेचा के अधिवक्ता कमल अग्रवाल द्वारा तर्क दिया गया कि नाबालिग व्यक्ति को बैंक द्वारा चैक बुक जारी नहीं की जाती है, इसके अलावा जब आरोपी ने 2020 में समक्ष नोटरी कटनी वचन पत्र दिया था, तब वह बालिग था तथा उसके पश्चात आरोपी ने परिवादी फर्म को चैक जारी किया था। विचारण न्यायालय द्वारा आरोपी को चैक अनादरण के अपराध में दोषसिद्ध पाते हुए एक वर्ष के सश्रम कारावास एवं 1,85,500 रूपए के अर्थदंड से दंडित किया गया। जुर्माना राशि के भुगतान न देने की दशा में 2 माह का अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतना होगा।
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