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गौर नदी को बना दिया गोबर की नदी, वेंटीलेटर पर वर्षों पुरानी नदी पर्यावरण-प्रदूषण विभाग की कोशिशें हवा-हवाई साबित हुई

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जबलपुर, यशभारत। दर्जनों ताल तलैया वाले शहर को जल विहीन करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। एक के बाद एक कई जल स्त्रोत का नामोनिशान मिट गया। गौर नदी भी इसी कतार में है। जल संरक्षण, प्रदूषण और पर्यावरण के जिम्मेदारों के आखों के सामने गौर नदी वेन्टीलेटर पर बाद भी कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं। इनकी सारी कोशिशें हवा हवाई हो गई। बेंटीलेटर पर पहुंच चुकी गौर। एक वक्त था जब गौर नदी में स्वच्छ पानी हुआ करता था। लोग इसका पानी पीने से लेकर हर कार्य में इसका उपयोग करते थे। लोग इसमें तैरकी भी करते थे। पहले नदी में स्वच्छ पानी होने के कारण ही इसका नाम गौर नदी पड़ा। अब इस नदी का पानी बेहद कम और प्रदूषण की मात्रा इतनी बढ़ गई है कि यह पानी उपयोग करने लायक तक नहीं रहा। नदी के आसपास रहने वाले बताते हैं कि यहां डेयरियों की भरमार है। तमाम डेयरियों की गंदगी सीधे गौर नदी में मिल रही है।

प्रदूषण रोकने में नाकाम

जल एवं बायू प्रदूषण की रोकथाम और पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिये विभाग बनाए गये हैं। इसमें जिनको नियुक्त किया गया है। उन्हें मोटा वेतन भी दिया जाता है। इसके बाद भी वो जल प्रदूषण को रोकने में सफल नहीं हो रहे हैं। गौर नदी में लगातार गंदा पानी मिल डर रहा है। नदी का जल दिन पर दिन प्रदूषित हो रहा है। जिम्मेदार विभाग को पता है कि नदी के जल से प्रदूषण खत्म करने के लिये क्या-क्या किया जाना चाहिये। इसके बाद भी विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।

सी केटेगरी का हो गया गौर का पानी

प्रदूषण की जांच करने वाले वैज्ञानिक जल प्रदूषण को 4 केटेगरी ए, बी, सी और डी में रखे हैं। ए केटेगरी वाला पानी एकदम स्वच्छ रहता है। बी और सी केटेगरी मतलब जल में प्रदूषण बढ़ रहा है। यदि डी केटेगरी तक प्रदूषण पहुंच गया तो जल से आॅक्सीजन समाप्त हो जाता है। गौर का पानी सी केटेगरी में पहुंच गया है। यदि इसका प्रदूषण कंट्रोल नहीं किया गया तो यह नदी तबाह हो जायेगी।

तालाब बिके एक दिन नदी भी बिक जायेगी

शहर में करीब 56 ताल तलैया हुआ करते थे। इसमें से कई तालाब गायब हो गये। जानकार बताते हैं कि कुछ तालाबों को भूमाफिया निगल गये। कुछ को प्रशासन ने ही पूरकर उसमें स्टेडियम और गार्डन आदि बनवा दिये। आज भी कुछ तालाबों पर भू माफियाओं की नजरें गड़ी हुई है। वे इसे भी निगलने के लिये मौके की तलाश में रहते हैं। गौर नदी पर भी खतरा मंडरा रहा है। नदी के किनारे अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है।

संरक्षण का प्लान वर्षों से बना रहे

जल संरक्षण के जिम्मेदार गौर नदी को. स्वच्छ करने का प्लान वर्षों से बना रहे हैं। जानकार बतते हैं कि इस पर लाखों रुपये खर्च कर दिया गया। दिखावे के लिये कुछ डेयरियां हटवा दी गई। लेकिन आज भी बड़ी संख्या में नदी के किनारे डेयरियां चल रही है। इसकी जानकारी जिम्मेदार विभाग को भी है। लेकिन वे कुछ नहीं कर रहे हैं। बताया जाता है कि अब गौर नदी के आस- पास की डेयरियों को खमरिया तरफ शिफ्ट करने का प्लान बनाया जा रहा है। यह प्लान
कब पूरा होगा कुछ कहा नहीं जा सकता।

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