कटनीजबलपुरमध्य प्रदेश

खजुराहो सीट पर गेम ओव्हर या पिक्चर अभी बाकी है…, निर्विरोध निर्वाचन के लिए बीजेपी का प्लान बी एक्टिव

यशभारत कटनी और पन्ना टीमl  खजुराहो में बीजेपी ने अब अपने प्लान बी को एक्टिव कर दिया है। पार्टी के तमाम नेता उन 13 उम्मीदवारों की घेराबंदी में जुट गए हैं, जिनके फार्म स्कूटनी में वैध पाए गए।

 

नई परिस्थिति में बीजेपी अब खजुराहो में निर्विरोध फतह की बिसात बिछाने की ओर आगे बढ़ चुकी है और सारे खेल को नाम वापसी के दिन अंजाम दे दिया जाएगा, क्योंकि मीरा यादव का फार्म रिजेक्ट होने के बाद अब चुनाव मैदान में कोई ऐसा चेहरा नहीं, जो सीधे तौर पर वीडी शर्मा को चुनौती दे पाए।

 

इस बीच बौखलाया विपक्ष आज राजधानी भोपाल में बड़ी बैठक करने जा रहा है। इंडिया गठबंधन के हिस्सेदार बने सारे राजनीतिक दलों की बैठक में पन्ना कलेक्टर के निर्णय को कोर्ट में चुनौती देने पर विचार होगा।

 

इस मामले ने एमपी से लेकर यूपी की सियासत तक हलचल पैदा कर दी है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इसे सीधे तौर पर लोकतंत्र की हत्या करार दे दिया है तो राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने भी ट्वीट कर कहा है कि कलेक्टर का रवैया बहुत उदासीन और नकारात्मक था। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी से लेकर विपक्ष के तमाम नेता इस मामले को चुनावी मुद्दा बनाकर बीजेपी को घेरने का एलान कर चुके हैं। अब सवाल यह पैदा हो रहा है कि क्या वोटिंग से पहले खजुराहो सीट पर इंडिया एलाइंस का गेम ओव्हर हो गया।

 

क्या एमपी में गठबंधन की यह अकेली सीट भी मंझधार में फंस गई या फिर पर्दे के पीछे कोई बहुत बड़ा खेल है, जिसके रहस्य से अब तक पर्दा उठा नही है, क्योंकि फार्म निरस्त होने से लेकर आज तक कोई यह मानने को तैयार नही की यूपी और एमपी की अलग-अलग सीटों से चार चुनाव लड़ चुके मीरा और दीपनारायण यादव नॉमिनेशन फार्म में ऐसी मामूली गलती कर सकते हैं।

 

सूत्र बताते हैं कि बीजेपी खजुराहो में निर्विरोध फतह के जरिये एमपी के मिशन 29 के लिए विपक्ष का मनोबल गिराने की योजना बना चुकी है। दरअसल गठबंधन की सबसे बड़ी चिंता भी यही है।

 

खजुराहो सीट का चुनाव अब दिलचस्प हो चला है। विपक्ष को जहां बीजेपी के खिलाफ लड़ाई का नया मुद्दा मिल गया तो दूसरी ओर भाजपा खजुराहो सीट को अब चुनाव से पहले ही जीती हुई मानकर चल रही है।

 

लड़ाई अब 28 सीटों पर आ गई है। यह अलग बात है कि नामांकन निरस्त होने के फौरन बाद पन्ना में सपा प्रत्याशी के पति पूर्व विधायक दीपनारायण यादव ने मीडिया से बातचीत में साफ किया कि हम बीजेपी के लिए खाली मैदान नही छोड़ेंगे, बल्कि नामांकन भरने वाले उम्मीदवारों में से जो मजबूत नजर आएगा उसे पूरा गठबंधन मिलकर समर्थन देगा।

 

उन्होंने इस मामले को कोर्ट में ले जाने की बात कहते हुए यह भी कहा कि कलेक्टर ने उन्हें निर्वाचन नियमों के तहत प्रक्रिया या फार्म में कमी पूरी करने का समय नही दिया, जबकि वे स्कूटनी के टाइम 12 से 3 बजे तक जिला निर्वाचन अधिकारी के कक्ष में उपस्थित थे।

 

यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव सवाल करते हैं कि जब नामांकन फार्म में कोई त्रुटि थी तो एक दिन पहले फार्म जमा करते वक्त निर्वाचन अधिकारी ने बताया क्यों नहीं और फार्म कैसे स्वीकार कर लिया। अखिलेश यादव का तल्ख आरोप है कि बीजेपी लोकतंत्र का गला घोंट रही है।

 

राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने इस रूप में आक्रोश जाहिर किया कि कलेक्टर साहब यह दिन आपको याद रहे। दरअसल पीसीसी चीफ जीतू पटवारी से लेकर इंडिया गठबंधन के तमाम बड़े नेता यह मानकर चल रहे हैं कि सारी बिसात पर्दे के पीछे बीजेपी की बिछाई हुई है। पन्ना कलेक्टर ने भाजपा के इशारे पर फार्म निरस्त किया, क्योंकि इस लोकसभा क्षेत्र से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा उम्मीदवार हैं।

 

इसके उलट बीजेपी नेता कहते हैं कि इंडिया गठबंधन शुरू से ही भ्रमित है। चुनाव लडऩे को लेकर उनकी बेहद सतही तैयारी इसी बात से जाहिर होती है कि पहले तो उन्होंने मनोज यादव का नाम घोषित किया और दो ही दिन में प्रत्याशी बदलकर मीरा यादव को सामने कर दिया।

 

गठबंधन के पास कोई प्लानिंग नहीं। बीजेपी नेताओं का दावा है कि हमारी रणनीति हर बूथ पर मजबूत है। पिछली बार करीब 5 लाख वोट के अंतर से वीडी शर्मा चुनाव जीते थेए इस बार जीत का रिकार्ड बनेगा। इससे भाजपा को कोई फर्क नही पड़ता कि गठबंधन का कोई उम्मीदवार मैदान में रहे या न रहे।

इधर मंथन, उधर बीजेपी जुटी निर्दलीयों की घेराबंदी में

जीतू पटवारी के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन इस मुद्दे को धार देने के लिए आज भोपाल में बैठक कर रहा है, जिसमें जिला निर्वाचन अधिकारी के फैसले को कोर्ट में चुनौती देने को लेकर कानूनी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा और आगे की रणनीति बनाई जाएगी।

 

उधर विपक्ष के इस कदम से बेफिक्र बीजेपी ने खजुराहो को लेकर अपने अगले प्लान पर बहुत तेजी से कदम बढ़ा दिये हैं। भरोसेमंद सूत्रों की मानें तो भाजपा के रणनीतिकार अब इस पहलू पर काम कर रहे हैं कि नाम वापसी के पहले मैदान में बचे बाकी उम्मीदवारों को इस बात पर राजी कर लिया जाए कि वो मैदान से हट जाएं और सारा किस्सा ही खत्म हो जाये।

 

इस राह में केवल बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी कमलेश कुमार रोड़ा बने हुए हैं, जो यूपी की पृष्ठभूमि से आते हैं। बाकी की खास चिंता बीजेपी को नही हैं। सबको येन-केन प्रकारेण नाम वापस लेने के लिए राजी कर लिया जाएगा। भाजपा के अति विश्वस्त सूत्र बता रहे हैं कि पार्टी के भीतर इस मसले पर दो तरह की सोच काम कर रही है। एक वर्ग का मानना है कि निर्दलीयों को मैदान में रहने दिया जाए और चुनाव लडक़र रिकार्ड मतों की जीत दर्ज की जाए।

 

दूसरी सोच यह है कि सबको सैट कर निर्विरोध निर्वाचन का मैसेज दिल्ली दरबार को दिया जाये ताकि वीडी शर्मा का राजनीतिक कद मोदी और शाह की नजर में और बड़ा हो सके। बहरहाल भाजपा की इस योजना के इंतजार के बीच लोगों को अब इंडिया गठबंधन के अगले कदम की प्रतीक्षा है कि अब गठबंधन के सारे दल किसे आगे करते हैं या सीधे तौर पर किस पर दांव लगाते हैं।

 

निर्वाचन अधिकारी ने ये कमी बताकर रद्द किया फार्म

निर्वाचन अधिकारी सुरेश कुमार मिश्रा ने दो कमियां बताकर सपा प्रत्याशी मीरा दीपनारायण यादव का नामांकन फार्म निरस्त किया। श्री मिश्रा ने मीडिया को बताया कि फार्म के दो पन्नों में से एक में प्रत्याशी के हस्ताक्षर नही थे। दूसरी वजह यह कि उन्होंने फार्म के साथ सर्टिफाइड लेटेस्ट वोटर लिस्ट की कॉपी जमा नही की।

 

इस मामले में दीपनारायण यादव कहते हैं कि उन्होंने सर्टिफाइ कॉपी के लिए 2 अप्रैल को आवेदन दिया था, जो कि 3 अप्रैल को भी नही मिली। इस वजह से उनके पास जो कॉपी थी, वो लगाई गई। अगर वह कॉपी खराब थी तो हमें सूचना दी जाना चाहिए था हम दूसरी लगा देते। इसके अलावा फार्म में कोई कमी थी तो उसे भी पूरा कर देते, लेकिन कलेक्टर ने कोई अवसर नही दिया।

क्या है एक्सपर्ट व्यू

पूरे मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता मिथलेश जैन का कहना है कि नामांकन फार्म में कोई कमी थी तो उसे पूरा करने के लिए प्रत्याशी को समय दिया जाना चाहिए था। फार्म जमा करते समय निर्वाचन कक्ष में कई अधिकारी और कर्मचारियों की ड्यूटी होती है, जो नामांकन पत्रों को चैक करते हैं।

 

फार्म में कोई कमी होती है तो उसे बताकर पूरा कराया जाता है। जिला निर्वाचन अधिकारी भी प्रत्याशी को समय दे सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नही किया। मिथलेश जैन ने कहा कि इस मामले को न्यायालय में चुनौती देने का रास्ता खुला है।

 

उदासीन मतदाता, नीरस चुनाव

पूरे देश में लोकतंत्र के इस महायज्ञ के अनेक रंग बिखरे नजर आ रहे हैं किंतु राष्ट्रीय महत्व की सीट खजुराहो में पूरा नजारा ही अलग किस्म का है। कांग्रेस के जनाधार वाली यह सीट सपा को दे दिये जाने के बाद से वैसे भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं से लेकर मतदाताओं में उदासीनता देखी जा रही थीए अब गठबंधन प्रत्याशी के भी मैदान से बाहर हो जाने के बाद पूरा चुनावी परिदृश्य नीरस हो गया है। एक तरह से पूरा खेल ही वन साईडेड हो चला है। ऐसे में कोई रोमांच रह ही नही जाता। मतदाता अब खामोशी अख्तयार कर चुका है। कार्यकर्ता लगभग सुस्त पड़ चुके हैं।

 

बीजेपी ने इस सीट को अभी से जीता हुआ मान लिया है तब नेताओं और कार्यकर्ताओं के पास अब ज्यादा कुछ करने को रह नही जाता। 12 अप्रैल को विजयराघवगढ़ में पार्टी के चाणक्य अमित शाह की आमसभा की जानकारी जरूर बीजेपी सूत्रों सेवलग रही है, पर सवाल वही है कि अब चुनाव में बचा क्या है जिसके लिए अमित शाह मशक्कत करें। या फिर ये माना जाए कि कुछ दिन पहले जब अमित शाह खजुराहो आये थे, तब ही इस खेल की सारी स्क्रिप्ट लिख गए थे।

 

स्कूटनी के बाद चुनाव मैदान के ये 14 चेहरे

लोकसभा निर्वाचनअंतर्गत नाम निर्देशन पत्रों की संवीक्षा के बाद चुनाव मैदान में शेष रह गये अभ्यर्थियों में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार विष्णुदत्त शर्मा एवं बहुजन समाज पार्टी के अभ्यर्थी कमलेश कुमार शामिल है, जबकि 12 निर्दलीय अभ्यर्थी मोहम्मद इमरान, कपिल गुप्ता भारतीय, केशकली, गिरन सिंह, नंदकिशोर, पंकज मौर्य कुशवाहा, पन्ना लाल त्रिपाठी एडव्होकेट, फिरोज खां, बिटइया अहिरवार, आर बी प्रजापति राजा भैया, पूर्व आईएएस लक्ष्मी प्रसाद और पेंटर सुनमान सिंह लोधी शेष रह गए हैं।

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