केरल हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है, जिसमें कहा कि किसी इंसान को अपने आईडेंटिटी डॉक्यूमेंट्स में पिता का नाम नहीं लिखने का पूरा अधिकार है। कोर्ट ने यह आदेश अविवाहित मांओं और रेप विक्टिम्स के बच्चों के होने वाली परेशानियों को देखते हुए सुनाया। कोर्ट ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता के पैरेंट्स के रूप में केवल मां के नाम वाला सर्टिफिकेट जारी किया जाए।
महाभारत के कर्ण का दिया उदाहरण
सुनवाई के दौरान जस्टिस कुन्हीकृष्णन ने महाभारत के कर्ण का जिक्र करते हुए कहा कि “हम एक ऐसा समाज चाहते हैं जिसमें कर्ण न हों, जो अपने जीवन को कोसते हैं। अपने माता-पिता का नाम नहीं जानने के लिए उन्हें अपमान का सामना करना पड़े। इसके बाद कोर्ट ने बर्थ सर्टिफिकेट से पिता के नाम को हटाने और पैरेंट्स के रूप में सिर्फ मां के नाम वाले सर्टिफिकेट जारी करने का निर्देश दिया।