किचिन में घुसा हुआ था मॉनिटर लिजर्ड :रेस्क्यू कर विलुप्त हो रही गोह को जंगल में छोड़ा गया
जबलपुर के गंगासागर में रहने वाले आशीष सौंधिया के घर में उस समय हड़कंप मच गया जब एक ढाई फीट का लंबा गोह बाहर से भागते हुए उनके किचन में जा घुसा। गोह को देखते ही परिवार वालों में अफरा-तफरी मच गई। जिसके बाद सर्प विशेषज्ञ गजेंद्र दुबे को रेस्क्यू करने के लिए सूचना दी गई। गजेंद्र दुबे ने किचन में छिपे गोह को पकड़ने के लिए कड़ी मशक्कत की और करीब 2 घंटे में गोह को पकड़ा। सर्प विशेषज्ञ ने बताया कि अक्सर गर्मी में तपिश से व्याकुल होकर ठंडक पाने के लिए घरों में घुस जाती है, उन्होंने बताया कि गोह बहुत ही सीधी होती है। इसका वैज्ञानिक नाम मॉनिटर लिजर्ड है। बकौल दुबे सौंधिया के घर से पकड़ी गोह को बरगी के जंगल में छोड़ दिया है।
सर्प विशेषज्ञ ने बताया कि रहवासी क्षेत्रों में घूम रहे चूहे पक्षियों को खाने के लिए अक्सर यह घरों के आसपास ही देखी जाती है। 35 डिग्री सेल्सियस से अधिक का तापमान इसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होता है, यही वजह है कि ठंडक पाने के लिए गर्मी में यह तालाब नदी के किनारे या फिर घरों के आसपास देखी जाती है। उन्होंने बताया कि गोह की तस्करी भी होती है, यही वजह है कि भारत सरकार ने इस सरीसृप को विशेष संरक्षण दिया है।
‘गोह’ जिसे कि इंग्लिश में मानिटर लिजर्ड भी कहते है जिससे लोग बहुत डरते भी है, पर हम आपको बता दे कि यह सरीसृप बहुत ही सीधासादा और शांत होता है, इतना ही नहीं लोगों के मन में एक भ्रम भी है कि यह जहरीला होता है पर ऐसा बिल्कुल नहीं है। भारत सरकार ने वन्यप्राणी सुरक्षा अधिनियम 1972 के अंतर्गत गोह को संरक्षित प्रजाति में शामिल किया है।
बताया जाता है कि मॉनिटर लिजर्ड आमतौर पर अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया अरब और एशियाई देशों में पाए जाते हैं, उन की अधिकतम लंबाई 8 फिट तक होती है और इनका रंग भूरा और काला होता है। भारत में गोह की 6 जातियां पाई जाती हैं, इनकी पूंछ लंबी, चपटी और शरीर की अपेक्षा ज्यादा भारी होती है। ऐसा बताया जाता है कि पुराने समय में जब युद्ध लिए सैनिकों को हमला करना होता था तब वह मॉनिटर लिजर्ड की कमर में रस्सी बांधकर ऐसी दीवारों पर फेंक देते थे। पंजों की मजबूत पकड़ के सहारे यह दीवारों को जमकर पकड़ लेती थी, और सैनिक रस्सी के सहारे ऊपर चढ़ जाते थे।