कल डूबते सूर्य को दिया जाएगा पहला अर्घ्य, सूर्य उपासना के महापर्व छठ को लेकर तैयारियां, नदी-घाटों पर की जाएगी पूजा अर्चना
कटनी। गुरूवार को उगते सूर्य र्का अध्र्य के साथ होगा छठ महापर्व का समापन होगा। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से जातक को सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन खुशहाल होता है। इस व्रत को विवाहित महिलाएं विधिपूर्वक करती हैं, साथ ही पुरुष भी जीवन में आने वाले संकटों को दूर करने के लिए भगवान सूर्य देव की उपासना करते हैं। पंचांग के अनुसार छठ पूजा के पर्व की शुरुआत कल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि सेे हो गई है। पर्व का समापन सप्तमी तिथि पर होगा। छठ पूजा के पहले दिन कल मंगलवार को नहाय खाय किया गया। व्रतधारियों ने नदियों में स्नान किया और पूजा अर्चना की। दूसरे दिन आज दूसरे दिन खरना पूजा की गई और शाम के समय व्रती गुड़ की खीर बनाकर छठ मैया को भोग लगाया जाएगा। कल तीसरे दिन छठ का पर्व मनाया जाएगा, जिसमें अस्त होते सूर्य को पहला अध्र्य दिया जाएगा। चौथे दिन सप्तमी तिथि को उगते हुए सूर्य को अघ्र्य देकर छठ पर्व को समापन किया जाता है। इस साल षष्ठी तिथि 7 नवंबर गुरुवार को दोपहर 12 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी और 8 नवंबर शुक्रवार को रात्रि 12 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी।
दुल्हन की तरह सजाया जा रहा नदीघाटों को
शहर में छठ की विशेष पूजा गायत्री नगर के सिमरौल नदी स्थित बाबा घाट व उपनगरीय क्षेत्र छपरवाह स्थित सिमरौल नदी के हनुमान घाट चक्की घाट में की जाएगी। नगर निगम प्रशासन द्वारा दोनों ही जगह नदी घाटों को साफ-सफाई करने के साथ ही दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है तथा आकर्षक विद्युत साज सज्जा की गई है। छठ पूजा मुख्यत: बिहार, उत्तरप्रदेश एवं इसके आसपास के क्षेत्रों में मनाई जाती है। एनकेजे क्षेत्र से होकर गुजरी जंलगार नदी में बजरंग कालोनी में निवास करने वाले उत्तर भारतीय लोगों द्वारा छठ पूजा की जाएगी। शहर में रहने वाले कटाएघाट, मोहनघाट व मसुरहा में भी छठ पूजा करेंगे।