कागजों में चल रहे मुरैना के नर्सिंग कॉलेज के प्रैक्टिकल एग्जाम में सामूहिक नकल हुई। शुक्रवार को कई नर्सिंग कॉलेज के स्टूडेंट जिला अस्पताल में एग्जाम देने पहुंचे थे। स्टूडेंट्स ने अस्पताल के फर्श, गैलरी, वेटिंग रूम के साथ ही पार्किंग में खड़ी गाड़ियों पर बैठकर एग्जाम दिया। इन छात्र-छात्राओं में से अधिकांश बिहार, झारखंड और उप्र के थे, जो मुरैना के नर्सिंग कॉलेजों में पढ़ते हैं।
नर्सिंग कॉलेज फर्स्ट ईयर के प्रैक्टिकल एग्जाम 6 अप्रैल तक चलेंगे। इस प्रैक्टिकल एग्जाम में नर्सिंग के स्टूडेंट्स को जिला अस्पताल में मरीजों से मिलाया जाता है। इसके बाद कॉपी लिखने को दी जाती है। परीक्षा में धांधली यह हुई कि स्टूडेंट्स मोबाइल पर गूगल और वॉट्सऐप खोलकर सवालों के उत्तर लिख रहे थे।
कॉलेज कहां है, नहीं पता
बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के स्टूडेंट्स ने मुरैना के अपने नर्सिंग कॉलेजों को देखा तक नहीं है। पटना से एग्जाम देने आए देव कुमार ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि उनका कॉलेज कहां है। यही हाल और भी छात्र-छात्राओं का था। स्टूडेंट़्स ने बताया कि उनसे एक साल के दो से ढाई लाख रुपए फीस ली गई है। जबकि, हकीकत में फीस 30 हजार रुपए है। टीचिंग स्टाफ से इस तरह एग्जाम होने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि बच्चे मरीजों से पूछ रहे हैं और मोबाइल में नोट कर रहे हैं, इसके बाद मोबाइल पर देखकर पेपर दे रहे हैं।