एक्टिव मोड में दिखेगी कांग्रेस, तेज होंगे आंदोलन, जनता के बीच दिखेंगे कांग्रेसी

कटनी, यशभारत। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय अधिवेशन में पार्टी ने संगठन को मजबूत करने के लिए अंदरूनी तौर पर बड़े स्तर के बदलाव के संकेत दे दिए हैं जिसमें संगठन में उन्हीं नेताओं

पार्टी सूत्र बता रहे हैं कि अब विधानसभा और लोकसभा चुनाव के बाद से निष्क्रिय चाल रहे नेताओं को कांग्रेस संगठन में बने रहने के लिए सक्रिय होना पड़ेगा। कांग्रेस के तय मुद्दे जातिगत जनगणना, बेरोजगारी, अजा अजजा अत्याचार, महंगाई, भ्रष्टाचार आदि पर नेताओं को विरोधी दलों और सरकारों के खिलाफ जनआंदोलन खड़ा करना होगा। उधर खबर है कि एआईसीसी के अधिवेशन के बाद कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी जल्द ही प्रदेश स्तरीय अधिवेशन की रूपरेखा तैयार करेंगे। इससे पहले वे प्रदेश भर का दौरा करेंगे। कटनी में इस दौरान नियुक्तियां भी हो सकती है ताकि आंदोलनों को धार दी जा सके। मप्र कांग्रेस का अधिवेशन अगले महीने हो राजधानी भोपाल में हो सकता है। इससे पहले वे संगठनात्मक स्तर पर लंबित फैसलों पर निर्णय ले सकते है। बताया गया कि प्रदेश स्तरीय अधिवेशन से पहले जिलाध्यक्ष एवं ब्लॉक अध्यक्ष तय हो जाएंगे। अब पार्टी का फोकस हर ग्राम पंचायत में पंचायत समिति और शहरी क्षेत्र में मोह समिति बनाने पर है।
घर बैठे नेता होंगे एक्टिव
लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव हारने के बाद मप्र कांग्रेस के ज्यादातर बड़े नेताओं ने खुद को सीमित कर लिया था। कांग्रेस की बैठकों एवं पार्टी के कार्यक्रम, आंदोलनों से भी दूरी बना ली थी। लेकिन अब ऐसा नहीं चलेगा। सभी नेताओं को पार्टी के कार्यक्रमों में भागीदारी करनी होगी। अभी तक कांग्रेस के दूसरे नेता सिर्फ बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते थे, खासकर कई मामलों में संगठन की कार्यप्रणाली को लेकर भी सवाल उठा चुके हैं। निकट भविष्य में कांग्रेस की कार्यप्रणाली में बदलाव की संभावना है। ज्यादातर बड़े कार्यकम दिल्ली से तय होंगे जिसमें सभी नेताओं की भागीदारी सुनिश्चित होगी। प्रदेशाध्यक्ष को ज्यादा अधिकार मिलेंगे।
केंद्रीय नेतृत्व तय करेगा एजेंडा
कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में नेताओं ने संकेत दे दिए हैं कि भविष्य में पार्टी किन एजेंडों के तहत आगे बढ़ेगी। प्रमुख एजेंडों में जातिगत जनगणना, पिछडू, किसान, अज, अजजा महिला अत्याचार, जबान भूमि अधिग्रहण, महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार शामिल हैं। देश के ज्यादातर राज्यों में कांग्रेस सरकार से बाहर हैं। ऐसे में समाज के बड़े वर्ग को साधने के लिए एजेंडे केंद्र से तय होंगे। इन्हीं एजेंडों के आधार पर पार्टी अलग-अलग वर्ग से जुड़ेगी और जनआंदोलन खड़ा करेगी।