कटनीमध्य प्रदेश

आज 9 अगस्त भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ : कटनी में 700 क्रांतिकारियों ने दी थी गिरफ्तारियां

कटनी ( आशीष सोनी )। अगस्त क्रांति की वर्षगांठ आज समूचा देश मना रहा है। कटनी के स्वतंत्रता सेनानियों ने भी इस दिन क्रांति का बिगुल फूंक दिया था। महात्मा गांधी की अगुवाई में शुरू हुए आंदोलन को कटनी में व्यापक समर्थन मिला। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने अगस्त 1930 की अपनी बंबई बैठक में देश भर में जंगल सत्याग्रह करना तय किया। कटनी तहसील की कांग्रेस कमेटी ने भी यह निर्णय लिया कि अब नमक सत्याग्रह और शराबबंदी की जगह जंगल सत्याग्रह चलाया जाएगा। कांग्रेस की ओर से सर्वप्रथम पंडित नारायण दास शर्मा ने जंगल सत्याग्रह किया। उन्हें और उनके साथी मोतीलाल शर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया। एक जत्था जगन्नाथ प्रसाद गुप्ता के नेतृत्व में मझगवां के जंगल में गया और वहां सत्याग्रह करने के बाद पूरा जत्था गिरफ्तार कर लिया गया। उधर अमरनाथ पाण्डेय ने अपने क्षेत्र में घूम-घूमकर जंगल सत्याग्रह का प्रचार किया और करेला, बरही, कुंआ, सलैया, सिहोरा, पिपरियाकला, खितौली, सुतरी आदि गांव के जंगल को काटकर सत्याग्रह किया। इस तरह से पूरी तहसील में जंगल सत्याग्रह दावानल की तरह फैल गया। उन दिनों के ज्ञात इतिहास पर चर्चा करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार राजेंद्र सिंह ठाकुर बताते हैं कि आंदोलन के चलते स्थानीय पुलिस भी चौकस हो गई थी। जब पंडित अमरनाथ पाण्डे, नारायण प्रसाद तिवारी एवं पूरनचंद शर्मा जंगल सत्याग्रह से कटनी आए, तब पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। अमरनाथ पाण्डे को 6 माह कारावास की सजा एवं 500 रूपये जुर्माना लगाया गया। कुछ समय पश्चात गया प्रसाद स्वर्णकार तथा अन्य लोगों को भी गिरफ्तार कर लिया गया। बिलहरी में सत्यदेव शास्त्री एवं वंशीलाल ताम्रकार को भी गिरफ्तार कर लिया गया। बिलहरी के शिक्षक राष्ट्रवादी रामविशाल शर्मा ने अपनी ओजस्वी कविताओं के माध्यम से बड़ जन-जागरण किया। तहसील में जंगल सत्यागह इतने व्यापक रूप से चला कि कांग्रेस एवं भारत नव जवान सभा के 600 से 700 स्वयं सेवकों ने विभिन्न क्षेत्रों में जाकर जंगल काटकर सत्याग्रह किया। पुलिस ने पूरी तहसील में सघन अभियान चलाकर करीब 700 लोगों को कुल्हाड़ी सहित बंदी बनाया था। इन सभी को मुकदमा चलाने हेतु कटनी लाया गया, जब उन्हें रेलगाड़ी से उतारकर पैदल ही कटनी नगर में प्रवेश कराया जा रहा था। तब संपूर्ण मार्ग में लोग कतारबद्ध होकर उनका स्वागत कर रहे थे। और इन राष्ट्रभक्ता की जय-जयकार से संपूर्ण मार्ग गुंजायमान था। महिलाएं इन वीरों को देखकर आँसू बहा रही थी और अंग्रेज शासन को कोस रही थीं। पुलिस ने इन सत्याग्रहियों को भूखे पेट ही लॉकअप में बंद कर दिया। अगले दिन सभी को अदालत में पेश किया गया जहाँ पर कुछ लोगों को सजा हुई और बहुत से लोग छोड़ दिए गएScreenshot 20240809 131454 WhatsApp

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