अब गर्म कपड़ों में सज रहे जगत के पालनहार, भक्तों को चिंता- कहीं भगवान को न लगे जाए ठंड, कटनी के मंदिरों में ठंड पर विशेष इंतजाम
गर्म पानी से भगवान को स्नान, ऊनी कपड़े और हीटर, ऊनी बिछौने का इंतजाम
कटनी। सर्दियों का मौसम चल रहा है, और इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है। ठंड का असर हर कोई महसूस कर रहा है । इस मौसम में इंसानों के साथ-साथ देवी-देवताओं को भी इस बदलाव के अनुसार ढलना पड़ रहा है। अब न केवल भगवान की की मूर्तियों को गर्म ऊनी कपड़े पहनाए जा रहे है बल्कि कुछ मंदिरों में भगवान को कंबल और रजाई ओढ़ाई जा रही है। जबकि कुछ मंदिरों के गर्भगृह में हीटर की व्यवस्था की गई है ताकि ठंड से राहत मिल सके। सुबह के समय भगवान के अभिषेक और भोग के लिए गर्म पानी का इस्तेमाल किया जा रहा है। साथ ही, भोग प्रसाद में भी ठंड के मौसम को ध्यान में रखते हुए बदलाव किया गया है।
गर्म पानी से भगवान को स्नान
घरो व मंदिरों में भगवान को गर्म पानी से स्नान कराया जा रहा है।
शहर के विभिन्न मंदिरों में कड़ाके की सर्दी को लेकर विशेष इंतजाम किए गए है। भगवान को गर्म कपडे पहनाएं जा रहे है, ऊलन कपड़ों का ही भगवान का बिस्तर लगाया जाता है।
गर्भगृह में ब्लोअर, रजाई ,के अलावा हीटर की भी व्यवस्था की गई हैं।
भोग में काजू-बादाम, दूध
इसके साथ ही भगवान के दैनिक भोग को भी मौसम के अनुकूल कर दिया गया है। गर्म खाद्य सामग्री के अलावा बादाम, पिस्ता, काजू, गुड़ का भोग लगाया जा रहा है। साबूदाना की खिचड़ी और कुडू के आटे की पुड़ी का भोग लगाया जा रहा है। ठंड के चलते सुबह भगवान को मेवा दूध फ़ल का भोग लगाया जाता है। दोपहर को भोजन और संध्या के बाद विशेष व्यजंन से भोग के साथ शयन आरती की जाती है।
भगवान के ऊनी वस्त्रो की मांग बढ़ी
बाजार में भी सर्दी को देखते हुए भगवान के लिए एक से बढ़कर एक वैरायटी के कपड़ों का बाजार सजा है। श्रद्धा भक्ति स्टोर में भगवान के उलन, के झबले कपड़े, शॉल, कंबल, रजाई, गद्दे की बिक्री में तेजी आई है।
इनका कहना है
शहर की महारानी मां जलापा के मंदिर में माता के लिए ठंड में विशेष इंतजाम किए गए हैं। जब से ठंड की शुरुआत हुई है तब से ही माता के लिए गर्म कपड़े का इंतजाम किया गया था। इसके साथ ही शयन के लिए माता के शेज में चद्दर के स्थान पर ऊनी बिछौना और रजाई रखी जा रही है। जब तक ठंड पड़ेगी तब तक यह व्यवस्था रहेगी। हालांकि माता के भोग-प्रसाद में कोई बदलाव नहीं हुआ।
*लाल जी पंडा* जलापा माता मंदिर(फोटो)
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इन दिनो पड़ रही जोरदार सर्दी से पूरा शहर कांप रहा हैं। ऐसे में भगवान जगन्नाथ जी को ठंड से बचाने के लिए ऊलन कपड़े के साथ विशेष कंवल भगवान को ओढ़ाया जाता है। गर्भगृह के अंदर ब्लोअर भी लगाया गया है। भोग प्रसाद भी कुछ विशेष बदलाव तो नही है। पर भगवान जगन्नाथ जी को ठंड के अनुसार उनके रुचि भोग कराया जाता हैं।
*उमेश दुबे,पुजारी जगन्नाथ मंदिर* (फोटो)
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वैसे तो ईश्वर परम् ब्रह्म हैं उनको क्या सर्दी क्या गर्मी क्या बरसात उनकी इक्छा से संपूर्ण सृष्टि चलायमान हैं। पर भक्तों का मानना हैं की जैसे हम खुद ठंड गर्मी महसूस करते हैं ठीक उसी तरह भगवान जी को भी महसूस होता हैं। इसलिए
इस कड़कड़ाती ठंड में भगवान को गर्म कपडे पहनाएं जा रहे है, ऊलन कपड़ों का ही भगवान का बिस्तर लगाया जाता है।
मंदिर में बाबा भोले नाथ के साथ राधारमण सरकार और राजा श्रीराम जी का दरवार हैं। इसलिए ठंड के हिसाब से सुबह ताजे जल से स्नान मंगलआरती भोग प्रसाद, संध्या आरती भोग के बाद विशेष विछोना पलंग पर नितप्रति लगाया जाता है। ठंड में गर्म कपड़े रजाई ,कंवल में भगवान विश्राम करते है।
*राम कृष्णाचार्य पुजारी*
मघई मंदिर (फोटो)
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मंदिर में स्थित प्राचीन कुएं के ताजे जल से सुबह साढ़े पांच बजे भगवान स्नान करते हैं,मौसम के अनुकूल भगवान बस्त्र धारण करते है। प्रातः की मंगल आरती के बाद भगवान गाय के दूध, मेवा, फल का भोग करते हैं। दोपहर के बाद मंदिर में ही स्थित रसोई में भगवान के रुचि के अनुसार बनाए भोज्य पदार्थों का भोग करते है।
संध्या के बाद विशेष व्यजंन से भोग के साथ शयन आरती की जाती है और भगवान अपने विशेष विछाने में शयन करते है।
पुजारी के अनुसार ये सब नियमित दिन चर्या में शामिल है। मंदिर में ही भगवान जी की अलग रसोई है। ठंड में भगवान को गर्म बस्त्रो का विशेष इंतजाम किया जाता हैं।
*दुर्गा प्रसाद दुबे पुजारी*
लक्ष्मी नारायण मंदिर
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