अगर मोक्ष नहीं बढाता मदद के हाथ तो लवारिश मानकर हो जाता अंतिम संस्कार
विक्षिप्त बेटे का इलाज कराने आए पिता की अज्ञात हादसे में मौत से फं स गई थी पुलिस और मेडिकल प्रशासन की कलम
जबलपुर। विक्षिप्त बेटे का मेडिकल में इलाज कराने आए पिता का रास्तें में दुर्घटना के चलते एक्सीडेंट हो गया, जिसे अज्ञात लोगों द्वारा मेडिकल में भतीज़् कराने के लिये लाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी। इसके बाद पेच फं सा पोस्टमाटज़्म के समय जब पुलिस ने कागजी खाना पूतिज़् के लिये दुघज़्टना की वास्तविक जगह मालूम न होने के कारण मृतक का पोस्टमाटज़्म में व्यवधान शुरू हो गया। दिन भर शव ऐसे ही पडा रहा ऐसे में जब जानकारी मोक्ष संस्था के आशीष ठाकुर को लगी तो उन्होने आगे आकर इस समस्या के निराकरण के लिये प्रयास शुरू कर दिये। इसी बीच मृतक का विक्षिप्त पुत्र भी कही गायब हो गया जिसे ढूंढा गया और आशीष द्वारा मृतक के आधार कार्ड के आधार पर उनके घरवालों को इसकी सूचना घरवालों को मिलते ही बालाघाट निवासी मृतक अजब लाल की पत्नी पहुंची। मोक्ष संस्था द्वारा सीएमओ और मेडिकल प्रशासन के अन्य जिम्मेवारों तथा पुलिस से चर्चा कर मामले का हल निकाला गया जिसके बाद मृतक का पोस्टमाटज़्म हुआ। अगर इस तरह की पहल मोक्ष संस्था नहीं करती तो मृतक को लवारिश मान लिया जाता।
दो बच्चों का पिता है मृतक
जानकारी के अनुसार मेडिकल में एसिडेंट की जानकारी अज्ञात में डाली गई थी जिसके बाद मौत हो जाने पर दुर्घटना के स्थान की पुष्टि न होने से पुलिस की कलम भी फं स गयी थी। सारा दिन मेडिकल और पुलिस की असमंजस की स्थिति होने के चलते सुबह से शाम हो गई। लेकिन ठीक समय पर मोक्ष संस्था ने सहायता कर एक पति और पिता के शव को लवारिश होने से बचा लिया।
मोक्ष संस्था ने कराया अंतिम संस्कार
मृतक अजब लाल की मृत्यु और उसके पोस्टमार्टम के पश्चात मोक्ष संस्था द्वारा उसका अंतिम संस्कार कराया गया इसके साथ ही संस्था के सदस्यों ने उसके विक्षिप्त पुत्र के इलाज का जिम्मा भी उठाने का फैसला लिया। गौरतलब है कि अज्ञात मौतों को लेकर मेडिकल और पुलिस का रवैया सदैव यही रहा है, यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि मोक्ष संस्था द्वारा इस मामले में मदद नहीं की जाती तो मृतक को लवारिश मानकर ही अंतिम संस्कार कर दिया जाता।