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शिव विदिशा तो वीडी का भोपाल से नाम: केन्द्रीय चुनाव समिति आज कर सकती है मप्र की एक दर्जन सीटों के प्रत्याशियों की घोषणा

 

भोपाल। भाजपा की केन्द्रीय चुनाव समिति की बीती देर रात चली लंबी बैठक में भाजपा ने करीब सवा सौ नामों ाके तय कर लिया है, इसमें मप्र की एक दजर्न सीटें भी बताई जा रही हैं। जिन सीटों के लिए नाम तय कर लिए गए हैं उनमें भोपाल सीट से प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा, विदिशा से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम ग्वालियर सीट से लगभग तय हो गया है।

 

इसके साथ ही प्रदेश की एक दर्जन सीटों के लिए भी नाम तय कर लिया गए है। माना जा रहा है कि भाजपा की करीब सवा सौ नामों वाली पहली सूची आज व कल में आ सकती है जिसमें प्रदेश की एक दर्जन सीटों के प्रत्याशियों की भी घोषणा कर दी जाएगी। माना जा रहा है कि पार्टी इस बार ज्यादा से ज्यादा महिलाओं और युवाओं को मौका दे सकती है।

 

पार्टी का सबसे ज्यादा फोकस उन सीटों को जीतने पर है, जिन पर साल 2014 और 2019 के चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था। इन सीटों को जीतने के लिए गहन विचार और मंथन बैठक में किया गया। केन्द्रीय चुनाव समिति की बैठक में प्रदेश की जिन लोकसभा सीटों के लिए प्रत्याशी तय किए जाने की खबर है, उनमें प्रदेश की एक दर्जन सीटें हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि राकेश मिश्रा का सतना, जनार्दन मिश्रा का नाम रीवा से, मोना सुस्तानी का नाम राजगढ़ से लाल सिंह आर्य का नाम ङ्क्षभड से वीरेन्द्र खटीक का नाम टीकमगढ़ से नत्थन शाह कवरेती का नाम छिंदवाड़ा से गजेन्द्र सिंह का नाम खरगौन से बताया जा रहा है।

किन उम्मदवारों को टिकट देना है, हुआ तय केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक बुधवार रात 11 बजे शुरू हुई और वह सुबह करीब तीन बजे बैठक खत्म हुई। बैठक में सबसे पहले उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों की लोकसभा सीटों पर विचार और मंथन किया गया। पार्टी ने इस बात पर विचार किया कि किन उम्मीदवारों को टिकट देना है, जो बीजेपी को बंपर जीत दिला सकें। हालांकि उम्मीदवारों के नाम भी बैठक में फाइनल कर लिए गए है। अब सिर्फ नामों का ऐलान होना बाकी रह गया है। इस रणनीति से तय किए उम्मीदवार बता दें कि उम्मीदवारों के नामों पर मुहर लगाने के लिए बीजेपी को लंबे-चौड़े प्रोसेस से गुजरना पड़ा।

 

नमो ऐप पर जनता से सांसदों के बारे में फीडबैक लिया गया. लोगों से उनके क्षेत्र में तीन सर्वाधिक लोकप्रिय बीजेपी नेताओं के नाम पूछे गए. वहीं बीजेपी सांसदों से पिछले दो सालों में किए गए उनके काम के बारे में रिपोर्ट मांगी गई. सर्वेक्षण करने वाली एजेंसियों से हर संसदीय क्षेत्र की रिपोर्ट मांगी गई. बीजेपी शासित राज्यों में हर संसदीय क्षेत्र में मंत्रियों की ड्यूटी लगाई गई. इन मंत्रियों से कहा गया कि वे लोक सभा सीटों का दौरा कर सांसदों के बारे में रिपोर्ट लें. जिसके बाद पार्टी ने मंत्रियों और संगठन से मिली रिपोर्ट को प्रदेश स्तर पर चुनाव समिति की बैठक में रखा. संगठन महासचिवों ने आरएसएस का फीडबैक भी लिया. राज्यों की चुनाव समितियों की बैठकों में हर संसदीय सीट पर उम्मीदवारों के नामों का पैनल तैयार किया गया.

 

संघ की भी अहम भूमिका दिल्ली में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक से पहले हर राज्य के कोर ग्रुप की बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और संगठन महासचिव बी एल संतोष के साथ संबधित प्रदेशों के अध्यक्षों व भाजपा शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक हुई। इस बैइक में हर सीट पर संभावित उम्मीदवारों के नामों की चर्चा हुई. केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक से पहले प्रधानमंत्री मोदी के आवास पर पीएम मोदी के साथ गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा की लंबी बैठक हुई.

 

इस बैठक में भी उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा हुई और उसके बाद केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में राज्यवार उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा की गई. बीजेपी ने हर सीट के हिसाब से रणनीति तैयार की है. यह देखा गया कि हर सीट को जीतने के लिए सबसे बेहतरीन उम्मीदवार कौन हो सकता है. वहीं उम्मीदवार अगर दूसरी पार्टी का है तो उसे बीजेपी में लाने के लिए पूरा जोर लगाया गया, इसके लिए बाकायदा हर राज्य में और केंद्रीय स्तर पर समितियां बनाई गईं. ये भी तय किया गया कि जिन सांसदों का प्रदर्शन ठीक नहीं है, उनका टिकट बिना किसी झिझक के काट दिया जाएगा.

 

नए चेहरों को मिलेगा मौका दरअसल पीएम मोदी पहले ही कह चुके हैं कि हर सीट पर कमल लड़ रहा है. लोकसभा चुनाव में करीब 60-70 सांसदों के टिकट काटे जाएंगे. दो बार जीत चुके और उम्रदराज कई सांसदों की जगह नए चेहरों को मौका दिए जाने पर सहमति बनी है. हालांकि ज्यादा ओबीसी सांसदों के टिकट नहीं काटे जाएंगे. साल 2019 में बीजेपी के 303 में से 85 ओबीसी सांसद जीत कर लोकसभा पहुंचे थे, इस बार भी पार्टी इसी तरह की रणनीति को फॉलो करना चाहती है.

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