यश भारत परिवार के संपादकीय प्रमुख गिरीश बिल्लौरे का अवसान
अंतिम यात्रा कल 21 अक्टूबर को दोपहर 2 बजे ग्वारीघाट जाएगी

जबलपुर, यश भारत। महिला बाल विकास में पूर्व सहायक संचालक, बाल भवन से सेवानिवृत निदेशक, कला, साहित्य, संस्कृति के लिए समर्पित यश भारत परिवार के वरिष्ठ सदस्य, संपादकीय प्रमुख एवं लेखक गिरीश बिल्लौरे का 63 वर्ष की आयु में आकस्मिक निधन हो गया। रविवार शाम को अचानक उनकी तबीयत बिगडी और हृदयघात के कारण उनका निधन हो गया। उन्होंने लंबे समय तक महिला बाल विकास में अपनी सेवाएं देते हुए अनेक महत्वपूर्ण कार्य किये। शासकीय सेवा में होने के बावजूद भी लेखन में उनकी विशेष रुचि रही और वे अनेक सामाजिक सांस्कृतिक संगठनों से भी जुड़े रहे हैं। तथा सामायिक विषयों पर उनकी लेखनी के सभी कायल थे। उन्होंने अनेक समाचार पत्र पत्रिकाओं के लिए भी लेखन कार्य किया। उनका एक बेटा और एक बेटी है और दोनों ही बाहर हैं। उन्होंने अपने जीवन काल में कला साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान भी दिया है।। उनका निधन शहर के लिए एक बड़ी क्षति है। श्री बिल्लौर स्टेडियम किंग ग्रुप से भी जुड़े हुए थे। श्री बिल्लोरे साहित्यिक, सामाजिक, सांस्कृतिक संस्थाओं से संबंध थे। अभी हाल ही में उन्होंने यश भारत के संपादकीय विभाग में सक्रियता पूर्वक सेवाएं देना प्रारम्भ किया था। श्री बिल्लोरे समसामयिक विषयों पर निरंतर लेखन करते थे। उनकी कविताओं में विषमताओं के प्रति आक्रोश एवं सर्वहारा वर्ग के उत्थान की चिंता रहती थी। आप हरीश, सतीश बिछोरे के भ्राता एवं शिवानी व श्रद्धा के पिता थे। उनके असामयिक निधन से साहित्यिक सामाजिक जगत में शोक व्याप्त हो गया। अंतिम यात्रा उनके निवास कमला नेहरू नगर से कल 21 अक्टूबर को दोपहर 2 बजे ग्वारीघाट जाएगी।
पर पराजित नहीं हुआ
गिरीश बिल्लौरे ने यशभारत के साथ जुड़ते ही लिखा था कि आपने जिस सम्मान के साथ मुझे अपनाया है, उसे मैं जिंदगी भर नहीं भूलूंगा। कैंसर पेशेंट हूं पर पराजित नहीं हुआ। जितने दिन भी आपके साथ सकारात्मक कार्य कर सकूं मुझे अच्छा लगेगा।
बस यही स्नेहा विश्वास मेरे साथ रहे
इस अखबार के माध्यम से एक मुद्दा उठाया था जिसमें अनाथ बच्चों के वर्ग निर्धारण को लेकर जो मैंने आर्टिकल बनाया था उसे मंत्री जी के ओएसडी को भेजा था।, उन्होंने बताया कि संबंध में एक फाइल चल रही है। परंतु हमने जब उनसे महाराष्ट्र पैटर्न पर अनाथ बच्चों को विशेष वर्ग में रखकर शिक्षा में आरक्षित वर्ग की तरह लाभ तथा एक प्रतिशत के होरिजेंटल आरक्षण की बात की तो, उनकी सहायक ने बताया कि फाइल में अगर कोई कुरी लगकर वापस आती है तो हम यह पॉइंट भी जोड़ देंगे। वास्तव में अनाथ बच्चे ही शासकीय नौकरी के लिए अन्य आरक्षित वर्ग की अपेक्षा सबसे ज्यादा जरूरी वर्ग में आते हैं। अगर ऐसा हो जाता है तो यश भारत की बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। वह आर्टिकल सुरक्षित रखा है।
यशभारत परिवार की ओर से श्रद्धांजलि।
ईश्वर का विधान इतना निर्दीय होगा, यह लिखते वक्त गिरीश बिल्लौर का सेवानिवृत्ति के बाद यशभारत को मजबूत करने का जुनून से प्रभावित होकर लिखने मजबूर हो, न्याय नहीं यह धोखा है, सेवानिवृत्ति के पहले से आशीष हम यशभारत में सेवाये देंगे, वायदे के तहत गिरीश भैया आ गए, हमने उनको अपना चेम्बर दे दिया, निश्चिंत आशीष का चेम्बर में याशिका ने कंप्यूटर लगाकर कहा, आप यहाँ बैठकर अच्छे से बैठिये, क्या मालूम था अब जब भी आएगी पूछेगी दादा नहीं आए तो क्या जवाब दूँगा, मम्मी के साथ महिला बाल विकास विभाग, नवीन दुनिया में पापा के साथ मैंने उनको देखा, यशभारत के एक एक खबर को हिज्जे तक की गलती अब कोन सुधारेगा, शारीरिक परेशानी को अपना हौसला बनाए रखना गिरीश भैया से सीखने काबिल था, चुनाव के वक्त यशभारत की गलती को ठीक भी वही कराते थे, काफी कम दिनों में यशभारत को जो उन्होंने दिशा दी उससे हर वक्त यशभारत आत्मसाथ करना ही आत्मीय श्रद्धांजलि होगी।
– आशीष शुक्ला







