जबलपुरमध्य प्रदेशराज्य

 क्यों नहीं आये प्रत्याशियों का नामांकन भराने बड़े नेता………जूतम पैजार की घटना के बाद शहर आने में कट रहे हैं स्टार प्रचारक

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जबलपुर, यशभारत। शहर की राजनीति में वर्तमान दौर अरसे तक याद रखा जाएगा। इस बार कांग्रेस की तर्ज पर भाजपा में खुलकर विद्रोह सामने आया है। यही वजह है कि यहां पर उम्मीदवारों के नामांकन भराने के लिए दोनों ही पार्टियों के राष्ट्रीय और प्रादेशिक नेता जबलपुर नहीं आए। यहा बता दे कि टिकिट वितरण सेअसंतुष्ट लोगों ने भाजपा के संभागीय कार्यालय में गालीगलौज, तोडफ़ोड़ और धक्का मुक्की के साथ केंद्रीय मंत्री के सुरक्षाकर्मी के साथ मारपीट भी की,जिस पर चार भाजपा कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने एफआईआर भी दर्ज की गई। असंतोष कांग्रेस में भी है लेकिन खुलकर सामने नहीं आया। भीतरघात बदस्तूर जारी है। प्रदेश के दोनों प्रमुख दलों में अंदरूनी कलह इतनी प्रबल हो चुकी है कि दोनों दलों के प्रखर वक्ता तक निशब्द हैं। भाजपा में जहाँ यह अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ रही है वहींकांग्रेस में कम से कम यह खुलकर उजागर नहीं हो रही है। भाजपा में मची अंदरूनी कलह में और घी डालने का काम स्वयं पार्टी के स्टार प्रचारकों ने कर दिखाया। जिनकी उपस्थिति के बाद शहर में राजनीति और गर्मा गई । स्टार प्रचारक के आने के पूर्व पार्टी कार्यालय में जूतम पैजार के बाद स्टार प्रचारक के सामने घटना का पोस्टमार्टम और बाद र में भाजपा के नगर अध्यक्ष ने इस्तीफे ने पार्टी की छवि पर असर डाला हैं। भले ही इस्तीफा मंजूर हुआ हो लेकिन शहर में पार्टी के उम्मीदवारों और से विशेष तौर पर कथित विवादित उम्मीदवारों में जनसंपर्क के दौरान शहर के शीर्ष और स्थानीय य नेताओं का इससे किनारा जनता में अच्छा संदेश नहीं दे रहा है। वहीं पार्टी का थिंक टैंक कहे जाने वाले आरएसएस की चुनाव के पूर्व भेजी गई रिपोर्ट में के बाद वर्तमान में दी जा रही गोपनीय रिपोर्ट वर्तमान उम्मीदवारों के साथ शहर में पार्टी के में दिग्गजों का मनोबल तोड़ रही हैं। आलम ये है कि भाजपा के उम्मीदवारों के नामांकन दाखिले में शहर ाँ के एक दो शीर्ष नेताओं के अलावा प्रदेश या राष्ट्रीय स्तर का एक भी नेता नजर नहीं आया है। भाजपा ो की तरह ही शहर कांग्रेस में भी कम उथल पुथल का माहौल नहीं हैं। टिकिटों के वितरण को लेकर दोनों र ही शीर्ष दलों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पनपे में असंतोष के चलते हुआ डैमेज इस तरह अनकंट्रोल क हो चुका है कि दिग्गजों तक से मैनेज नहीं हो पा रहा र है। दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व से लेकर स्थानीय शीर्ष दो नेताओं की स्थिति उगलत निगलत पीर घनेरी जैसी बन गई हैं। आलम ये है कि दिग्गज शीर्ष नेताओं के साथ अन्य स्टार प्रचारक तक शहर आने से परहेज कर रहे हैं, जिसके संकेत दिखाई देने लगे हैं। बताते हैं प्रचार के लिए आने वाले नेताओं को भी प्रचार- प्रसार छोड़ डैमेज कंट्रोल में जुटना पड़ रहा है, जिसका असर उनके प्रचार प्रसार पर भी देखा जा रहा है।

 

 

 

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