मध्यप्रदेश सरकार ने मेधावी छात्राओं को स्कूटी तो दे दी, लेकिन खंडवा में एक छात्रा को स्कूटी के 90 हजार रुपए नहीं मिल पाए। जिस बैंक खाते में लैपटॉप की राशि डली थी, उसी में दिक्कत बता दी गई। नया खाता खुलवाया, फिर भी पैसे नहीं आए। परेशान पेरेंट्स ने जिस शोरूम से स्कूटी उठाई थी, उसी शोरूम पर वापस रख दी।
मामला गर्माया तो डीईओ ने शोरूम संचालक को पैसे देने की हामी भरी। पेरेंट्स को आश्वस्त किया और शोरूम से स्कूटी को घर ले जाने को कहा।
मामला खंडवा जिले का है। गांव बड़गांव भीला निवासी शाइन मंसूरी को मेधावी छात्र सम्मान में स्कूटी दी गई थी। 23 अगस्त को शिक्षा विभाग ने शहर के खड़कपुरा स्थित नेशनल मोटर्स से पेट्रोल वाली स्कूटी खरीदकर दी थी। स्कूटी की कुल कीमत एक लाख 12 हजार रुपए थी। 90 हजार रूपए शासन के द्वारा छात्रा के खाते में डाले जाने थे।
बाकी 22 हजार रुपए की मार्जिन मनी स्वयं छात्रा के पेरेंट्स को देना थी। छात्रा के पेरेंट्स और शोरूम संचालक आपस में रिश्तेदार हैं। इसलिए मार्जिन मनी भरने में कोई दिक्कत नहीं थी। लेकिन, शासन के 90 हजार रुपए ना मिलने के कारण चिंता हो गई।
छात्रा के पेरेंट्स का कहना था कि जिस खाते में लैपटॉप के 25 हजार रुपए आ गए, लेकिन स्कूटी के रुपए नहीं आए। उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी से शिकायत की तो खाते में दिक्कत बता दी गई। फिर दोबारा नया खाता खुलवाया गया। इस खाते में मात्र 13 हजार रुपए डल पाए, बाकी राशि का भुगतान ही हुआ। पेरेंट्स ने फिर शिकायत की। सुनवाई ना होने पर उन्होंने सीएम हेल्पलाइन 181 पर शिकायत कर दी। शनिवार को उन्होंने स्कूटी को शोरूम पर ले जाकर रख दी। तर्क दिया कि स्कूटी आरटीओ में रजिस्टर्ड नहीं है। बगैर रजिस्ट्रेशन और बगैर बीमा के इसे सड़क पर कैसे दौड़ाएं। जब शासन के पैसे मिलेंगे तब ले जाएंगे।
डीईओ बोले- सोमवार तक अकाउंट पर डल जाएंगे
डीईओ पीएस साेलंकी से इस बारे में चर्चा की। उनका कहना था कि सभी छात्र-छात्राओं के खाते में स्कूटी प्रोत्साहन राशि ट्रांसफर की जा चुकी है। एक छात्रा (शाइन मंसूरी) के खाते में समस्या थी। दोबार खाता खुलवाया है। शनिवार ट्रेजरी की छुट्टी थी, इसलिए सोमवार तक रुपए डल जाएंगे। पेरेंट्स को डर था कि पैसे नहीं मिलेंगे तो इतनी बड़ी रकम कौन भुगतेगा। इसलिए मैंने हामी भर ली और शोरूम संचालक इस्माइल खान को भी बता दिया है। छात्रा के पेरेंट्स वापस स्कूटी ले गए है।