भोपालमध्य प्रदेश

मप्र में मनेगा उत्सव:मंदिरों-नदियों में 22 जनवरी को होगा दीपदान

भोपाल, यशभारत। अयोध्या में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पर 22 जनवरी को प्रदेश में उत्सव मनाया जाएगा। इसके लिए विशेष कार्य योजना बनाई गई है। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का सीधा प्रसारण प्रदेश के सार्वजनिक स्थानों के साथ प्रमुख मंदिरों में बड़ी-बड़ी स्क्रीन लगाकर किया जाएगा। मंदिरों-नदियों में दीपदान होगा। उज्जैन, रतलाम, देवास, सीहोर, सलकनपुर, छिंदवाड़ा, अमरकंटक, जबलपुर आदि स्थानों पर बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। शासकीय भवनों में 21 से 26 जनवरी तक रोशनी की जाएगी। चित्रकूट, ओरछा जैसे महत्व के स्थानों पर विशेष आयोजन होंगे।

ओरछा में रहेंगे सीएम मोहन यादव

यह जानकारी मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने कैबिनेट बैठक से पहले मंत्रियों को संबोधित करते हुए दी। साथ ही बताया कि वे स्वयं भी 22 जनवरी को ओरछा में रहेंगे। सरकार प्रदेशवासियों को अयोध्या मंदिर दर्शन के लिए ले जाएगी। मंत्रियों को कहा गया कि वे इन यात्राओं में साथ रहें। डा.यादव ने चित्रकूट में 16 जनवरी को हुई श्री रामचंद्र पथ गमन न्यास की पहली बैठक का उल्लेख करते हुए कहा कि राम वन पथ गमन के विकास की कार्य योजना को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। प्रथम चरण में पथ के अयोध्या से चित्रकूट तक के विकास के लिए मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश सरकारों द्वारा अपने-अपने क्षेत्र में गतिविधियां संचालित की जाएंगी। पांच विशेषज्ञों की समिति बनाकर कार्य आरंभ किया जाएगा, जो क्षेत्र चिह्नित है वहां पहले कार्य आरंभ होगा।

चित्रकूट का होगा चहुंमुखी विकास

अमरकंटक का विकास व मंदाकिनी नदी का संरक्षण भी समन्वित रूप से किया जाएगा। बाबा महाकाल मंदिर से पांच लाख लड्डू अयोध्या भेजे जा रहे हैं। प्रदेश में सभी स्थानों पर प्रभात फेरी, कलश यात्रा जैसे आयोजन किए जा रहे हैं। मंत्रियों से उन्होंने कहा कि मंदिरों में 11 से 22 तक चलने वाले स्वच्छता अभियान में सभी मंत्री और जनप्रतिनिधि भाग लें। मुख्यमंत्री ने बताया कि मंदिरों और नदियों में 22 जनवरी को दीपदान की व्यवस्था की जाएगी। अयोध्या में होने वाले कार्यक्रम का प्रसारण सार्वजनिक स्थलों पर एलइडी लगाकर किया जाएगा। पंचायत स्तर पर रामचरितमानस, रामायण पाठ, हनुमान चालीसा आदि का आयोजन किया जाए। प्रयास यह हो कि वर्षभर प्रदेश में कार्यक्रम हों तथा चित्रकूट से अयोध्या की यात्राएं भी की जाएं। सभी देवस्थान और तीर्थ स्थलों का रखरखाव बेहतर हो।

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