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रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार और लापरवाही के खिलाफ एनएसयूआई का अनोखा प्रदर्शन, कुलपति का मुखौटा लगा रिक्शा मे बैठाकर कराया प्रशासनिक भवन का भ्रमण।

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जबलपुर यश भारत।भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) जबलपुर के जिला अध्यक्ष सचिन रजक के नेतृत्व में छात्रों ने कुलपति का मुखौटा पहनाकर उन्हें रिक्शा में घुमाया, ताकि उन्हें एहसास हो कि जब छात्र संसाधनों के बिना भटक रहे हैं, तब उन्हें 25 लाख से अधिक की गाड़ी में घूमने का कोई हक नहीं!

छात्रों से वसूली जा रही है लाखों की फीस
जब विश्वविद्यालय ज्ञान और चरित्र निर्माण का केंद्र होना चाहिए, तब रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में प्रशासन छात्रों के भविष्य की नींव को खोखला करने में जुटा है! छात्रों से लाखों की फीस वसूलने वाला यह विश्वविद्यालय, आज उनकी सबसे बुनियादी सुविधाएँ भी देने में असफल है। जब छात्रों के लिए लैब नहीं, रिसर्च संसाधन नहीं, पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया नहीं, डिजिटल शिक्षा के साधन नहीं हैं?

कुलपति के वाहन को लेकर उठे सवाल
छात्र कार्यकर्ताओं ने कहा कि शासन के नियमों के अनुसार, कुलपति को अधिकतम 10 लाख रुपये तक का वाहन उपयोग करने की अनुमति है, लेकिन वे 25 लाख से अधिक की इनोवा क्रिस्टा में सफर कर रहे हैं। ज्ञात हो कि मध्यप्रदेश शासन वित्त विभाग के पत्र क्रमांक एफ/11 16/2012/नियम/चार दिनांक 28/12/2017 में उल्लेखित है कि 8900 से अधिक ग्रेड पे में आने वाले समस्त अधिकारियों के लिए वाहन पात्रता के रूप में वे वाहन शामिल होंगे जिनकी अधिकतम कीमत रुपए दस लाख (ex showroom) तक हो।

गेस्ट हाउस का हो रहा दुरपयोग
संगठन का आरोप है कि विश्वविद्यालय द्वारा विशिष्ट अतिथियों, जैसे महामहिम का राज्यपाल महोदय और उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों के लिए, सर्वसुविधा युक्त वीआईपी सूट्स का निर्माण किया गया था। इनका उद्देश्य केवल विशिष्ट अतिथियों के अस्थायी प्रवास के लिए था, न कि किसी प्रशासनिक अधिकारी के निजी आवास के रूप में उपयोग के लिए। लेकिन वर्तमान कुलगुरु, प्रो. राजेश कुमार वर्मा, पिछले एक वर्ष से इन वीआईपी सूट्स में स्वयं निवास कर रहे हैं, जो न केवल अनैतिक है, बल्कि विश्वविद्यालय संसाधनों के दुरुपयोग का स्पष्ट उदाहरण भी है। विश्वविद्यालय प्रशासन को उनसे एक वर्ष का गेस्ट हाउस किराया वसूलकर उसकी समुचित भरपाई करनी चाहिए, ताकि संस्थान के आर्थिक संसाधनों का सही उपयोग सुनिश्चित हो सके।

पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया तीन वर्षों से ठप
एनएसयूआई का कहना है कि रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में राज्यपाल की समन्वय समिति के आदेश के बावजूद पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया तीन वर्षों से ठप पड़ी है, जिससे सैकड़ों शोधार्थियों का भविष्य अंधकार में डूबा हुआ है। BCA, MCA और B.Tech के छात्रों के पास प्रयोगशालाओं की कमी के कारण वे बिना किसी व्यावहारिक ज्ञान के डिग्री लेने को मजबूर हैं। विश्वविद्यालय के कृषि विभाग को अब तक ICAR से मान्यता नहीं मिली, फिर भी छात्रों का दाखिला जारी है—क्या यह उनके करियर के साथ खुला धोखा नहीं? NAAC की पीयर टीम ने भी बार-बार लैब और डिजिटल संसाधनों की कमी पर सवाल उठाए, लेकिन प्रशासन कानों में रुई डालकर बैठा है। छात्र रोज़ परेशान होकर विश्वविद्यालय के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन कुलपति और अधिकारी अपनी ऐशो-आराम की दुनिया में मग्न हैं।

उग्र आंदोलन की चेतावनी
जिला अध्यक्ष सचिन रजक ने कहा कि अब एनएसयूआई सिर्फ चेतावनी देने के मूड में नहीं, बल्कि इस लूट और अनदेखी के खिलाफ निर्णायक संघर्ष के लिए तैयार है। यदि जल्द ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों की समस्याओं का समाधान नहीं किया, तो एनएसयूआई पूरे जबलपुर और मध्यप्रदेश में उग्र आंदोलन करेगी। कुलपति से तुरंत वीआईपी गेस्ट हाउस का किराया वसूल किया जाए, पात्रता से अधिक का वाहन उपयोग किए जाने पर अतिरिक्त राशि के व्यय का समायोजन कराया जाए, छात्रों के लिए आधुनिक लैब्स और तकनीकी संसाधन तुरंत उपलब्ध कराए जाएं, पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया को बिना किसी देरी के शुरू किया जाए, कृषि विभाग में खेती की ज़मीन, प्रैक्टिकल के लिए आवश्यक संसाधन और विश्वविद्यालय के सभी विभागों में स्मार्ट क्लास एवं अन्य तकनीकी सामग्रियों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।

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