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राज्यपाल पुरस्कार पाने नामांकित शिक्षक संजय रजक: शिक्षा का उजियारा लाने सुविधाविहीन गांव में बनाया बसेरा

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जबलपुर,यश भारत. जिले के दूरस्थ आदिवासी क्षेत्र घंसौर विकासखण्ड के ग्राम भिरा के शासकीय प्राथमिक शाला में पदस्थ शिक्षक संजय रजक (53) ने शिक्षा में समर्पण और बच्चों को शिक्षा देने के नए तरीकों से अपनी अलग पहचान बनाई है। जिसकी बदौलत उन्हें इस वर्ष के शिक्षक दिवस पर राज्यपाल पुरस्कार के लिए चुना गया है।

शिक्षा के क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य करने पर यह पुरस्कार शिक्षकों को 11 आयामों पर आधारित गतिविधियों के आधार पर दिया जाता है। जिसमें विगत पांच वर्षों की बोर्ड परीक्षाओं में शत-प्रतिशत परिणाम, शाला में शत-प्रतिशत नामांकन के लिए किए गए प्रयास, शाला एवं कक्षाओं का व्यवस्थित संचालन, राष्ट्रीय एकता अखंडता एवं एकीकरण के लिए की गई गतिविधियां, शिक्षण के दौरान नवाचारी प्रयोग, क्रियात्मक अनुसंधान एवं उनके परिणाम, शासन के आदेशों के अतिरिक्त बच्चों एवं समाज के लिए किए गए प्रयास, शिक्षण-प्रशिक्षण में सहभागिता, छात्रों का श्रेष्ठ प्रदर्शन- प्रगति, शिक्षक के लिखे गए लेख-आलेख या पुस्तक, शिक्षक के किए गए कार्य के लिए प्राप्त पुरस्कार, छात्रों के संस्कार एवं कर्तव्य बोध के लिए किए गए कार्य शामिल हैं।

शिक्षक के समर्पण ने दिलाया सम्मान
शिक्षक के प्रयास से आदिवासी बाहुल्य वन ग्राम के बच्चे शिक्षा पाने के लिए उत्साहित होकर हर दिन स्कूल आते और शिक्षा के साथही पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधे लगाने, स्वच्छता कार्य, स्वास्थ्य के प्रति सभी को जागरुक करने जैसी गतिविधियों में न सिर्फ स्वयं शामिल होते हैं, बल्कि दूसरों को भी प्रेरित कर रहे हैं। शिक्षक ने बताया कि विगत वर्ष में राज्य शिक्षा केंद्र एवं लीप फॉर वर्ड मुंबई की तरफ से प्राथमिक शिक्षक संजय रजक का चयन आईआईएम अहमदाबाद के लिए भी हो चुकाहै। संजय की लिखित कहानी का चयन राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल के लिए हुआ, जिसे अब मध्यप्रदेश की सभी शालाओं के पुस्कालयों मे बच्चों के पढ़ने के लिए भेजा गया है। शिक्षक को उनके किए गए विशेष शिक्षण कार्य के पूर्व मे जनपद पंचायत, स्कूल शिक्षा विभाग, लोक शिक्षण संचालनालया भोपाल में भी सम्मानित किया जा चुका है।

मुश्किलों का सफर, फिर भी फैलाया शिक्षा का उजियारा

ग्राम भिरा में पहुंचने के लिए पक्की सड़क नहीं है। शिकारा से पांच किमी की दूरी जैसे-तैसे तय करके यहां पहुंचा जा सकता है। वन क्षेत्र के ग्राम भिरा में महज 20 मकान हैं, इनमें सभी परिवार आदिवासी हैं, जिनमें शिक्षा का अभाव है। ऐसे ग्रामीणों को शिक्षा का महत्व बताने और बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए शिक्षक संजय रजक ने अपना निवास भी इसी गांव में बना लिया। वे पूरा समय यहां के बच्चों की शिक्षा में बेहतरी और लोगों की समस्याओं के समाधान में देते हैं। जरूरत पड़ने पर संजय अपने संकुल केन्द्र शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय विद्यालय शिकारा और अन्य अधिकारियों से भी समाधान के लिए व्यक्तिगत प्रयास करते हैं। इससे ग्रामीण भी शिक्षक संजय रजक से खासे प्रभावित हैं।

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