मुंबई। आज ही के दिन 28 सितंबर 1929 की रात सुविख्यात नाटक अभिनेता गायक मास्टर दीनानाथ मंगेशकर की पत्नी शेवंती ने एक कन्यारत्न को जन्म दिया ‘इंदौर के सिख मोहल्ले में स्थित शेवंती की बहन के घर में और कन्या जो पैदा हुई उसका नाम रखा गया लता मंगेशकर। जिसके जन्म के समय मास्टर दीनानाथ सफलता के शिखर पर थे और मराठी रंगमंच के सबसे लोकप्रिय गायक अभिनेता माने जाते थे। उनका बनवाया हुआ 13 कमरों का विशाल बरामदे वाला दो मंजिला भवन सांगली के जिस रास्ते पर था उसका नाम है दीनानाथ रोड नागपुर से लेकर खानदेश तक हर शहर के बैंक में उनका खाता था। दीनानाथ का इरादा तो यह था कि अगर लक्ष्मी की ऐसी ही कृपा रही तो 50 वर्ष की आयु होने तक पुर्तगालियों से गोमन्तक (गोवा) को खरीद लेंगे उनका मूल घराना तो हर्डिकर था परंतु पुर्तगालियों से गोवा प्रदेश में अपने देवस्थानों की रक्षा हेतु अपने रुधिर का अभिषेक करने वाला यह घराना अभिषेकी के नाम से जाना गया दीनानाथ के पुरखों के गांव का नाम था मंगेशी एवं कुल देवता का नाम मंगेश अपने आप को मंगेश का हाथ मानते हुए मंगेशकर नाम अपनाया और गांव गांव घूमती नाटक कंपनी में शामिल हो गए!दीनानाथ की सफलता और धन प्राप्ति का श्रेय घर में आई लक्ष्मी लता के आगमन को दिया लता जब सिर्फ 6 महीने की थी घर के आंगन में घुटनों के बल चलते हुए लता मुंह में मिट्टी डालने ही वाली थी कि निकट बैठे सारंगी बजा रहे पिता ने उसे देख बच्चे को रोकने की मंशा से सारंगी की छड़ी दिखाई तो बच्ची ने मिट्टी का कोर रोककर सारंगी पर बजाया जा रहा संगीत का टुकड़ा हूबहू गले से निकाल दिया पिता चकित रह गए और बोले यह लड़की है कौन? लता नाम रखने की रोचक कथा है दीनानाथ का एक लोकप्रिय नाटक भाव बंधन’था जिसमें एक पात्र लतिका थी उस स्त्री कि भूमिका को मास्टर दीनानाथ निभाते थे!जब शेवन्ती प्रेग्नेंट हुई तब दीनानाथ ने तैयारी कर रखी थी कि उन्हें पुत्र रत्न होगा तो नाम हृदयनाथ होगा और हो गई लड़की इसलिए नाम हृदय रखा और पालने का नाम ‘हेमा’ पर पत्नी ने कहा जब लड़का होगा तो उसका नाम हृदय रख लेना इसे तो मैं लता ही कहूंगी, लता जब बड़ी हुई उसके दिल में एक अरमान था कि वह रेडियो खरीदे उन्होंने कुछ पैसे इकट्ठे किए और 500 का एक रेडियो खरीद लिया उन दिनों 500 बहुत ही ज्यादा होते थे और रेडियो भी उस जमाने में बहुत बड़े साइज का होता था।रेडियो घर ले आई और अलमारी पर उसको सजा कर रख दिया तथा दरी पर लेटकर रेडियो सुनने लगी और जैसे ही उन्होंने रेडियो ऑन किया तो पहली आवाज आई के.एल.सहगल नहीं रहे लता रोने लग गई क्योंकि बचपन में उनका एक सपना था कि जिस सहगल को अपना आदर्श मानती हूं मेरी इच्छा है कि मैं उनसे शादी करूं, इस खबर को सुनाने वाले रेडियो को उन्होंने बदशकुन माना और दूसरे ही दिन उस रेडियो को आधे दामों में बेच दिया,लता को सबसे ज्यादा प्रिय राग पहाड़ी था हालांकि इस राग में ज्यादातर ठुमरिया हैं पर लता जी का कहना था कि नजाने क्यों उन्हें राग पहाड़ी की सभी बंदिशें बहुत पसंद थी !पहाड़ी को पसंद करने के पीछे एक कारण यह भी था कि उनके पिताजी मास्टर दीनानाथ सबसे पहले मराठी थिएटर में यह राग लेकर आए थे, मुंबई में 1948 में अनिल विश्वास ने एक गाना रिकॉर्ड किया जो लता ने गोपाल सिंह नेपाली का लिखा हुआ था ‘कब आओगे बलमा बरस बरस बदली भी बिखर गयी,अनिल विश्वास अपनी धुन और लता की आवाज पर इस तरह रिजे हुए थे कि उन्होंने रिकॉर्डिंग की समाप्ति पर लता से कहा मैं चाहता हूं कि राज कपूर मेरे रिकॉर्डिंग स्टूडियो आकर तुम्हारा यह गाना सुने!उन दिनों आरके स्टूडियो महालक्ष्मी के पास फेमस बिल्डिंग में किराए पर था !लता नाना चैक के अपने घर में रहती थी तभी एक खूबसूरत नौजवान उनके घर मिलने आया उसने लता से कहा आपको राज कपूर साहब के लिए कुछ गीत गाने हैं इसलिए आप आर.के फिल्म थोड़ी देर के लिए मिलने आ जाइएगा लता को तब तक उस लड़के के बारे में कोई जानकारी नहीं थी सिवाय इसके कि वह राज कपूर का संदेश लेकर आया था,लता ने बहन मीना से कहा राज कपूर ने किसी को मेरे पास जिसे मिलने भेजा है,हो सकता है वह उनके ऑफिस में का चपरासी हो पर देखने में सुंदर था। लगता है आरके बैनर में काम करने वाले सभी लोग देखने में भी उतने ही सुंदर होंगे जितने राज कपूर के खानदान के लोग हैं , कुछ दिनों बाद जब वह आर के स्टूडियो गई तो वहां पर वही आदमी मौजूद था जिसका परिचय कराया गया कि वे संगीत कार जोड़ी शंकरजय किशन के जयकिशन हैयह सुनते लता जी को बड़ी शर्मिंदगी महसूस हुई कि वह जिस काबिल म्यूजिक डायरेक्टर से मिल रही थीं उसे ऑफिस का चपरासी समझ लिया था बाद में लता और जयकिशन की प्रेम कथा मशहूर हुई मेरी लता जी से मुलाकात दो बार हुई थी और उसका श्रेय मेरे बड़े भाई अभय छजलानी को जाता है जिनके मित्र राज सिंह डूंगरपुर लता जी के साथ रहते थे और उनके कारण में लता जी से मिला कुछ बातें मैंने उनसे पुँछी उनमें एक बात थी कि आपको इंदौर की क्या याद आती है तो उन्होंने कहा था कि मुझे इंदौर के दही बड़े और गुलाब जामुन बहुत पसंद है साथ ही उन्होंने क्रिकेट की दिवानगी का जिक्र किया लता जी के बारे में सबसे मुकम्मल और ऐतिहासिक बात किसी ने अगर कहीं तो वह थे उस्ताद बड़े गुलाम अली खान सा. जिन्होंने एक बार कहा था कि लता कमब्खत कभी बेसुरी ही नहीं होती लता राजनीति के क्षेत्र में सबसे ज्यादा किसी शख्सियत से प्रभावित हुई तो वह थी श्रीमती इंदिरा गांधी जिन्हें व्यक्तिगत रूप से वह बहुत पसंद करती थी लता जी के दिल के सबसे करीब एक गाना रहा जो उन्होंने मीना कुमारी के लिए गाया था “दुनिया करे सवाल तो हम क्या जवाब दें?इंदौर में उनके नाम से भव्य समारोह हर वर्ष होता है और लता मंगेशकर अवॉर्ड दिया जाता है ।हम इंदौरवासी अपनी लता दीदी को हर वर्ष याद करते हैं और अपने आप को धन्य मानते हैं कि ऐसी विरली अद्भुत देवी स्वर कोकिला भारत रत्न दुनिया की सबसे मीठी आवाज वाली कन्या लता मन्गेशकर हमारे इंदौर में ही पैदा हुई । भइये लता जी का अनन्य प्रशंसक डॉ.हरीश भला इंदौरी लाल
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