जबलपुर

नियमों को ताक पर रखकर बांट रहे चावल

 

जबलपुर यश भारत। चावल की गुणवत्ता के साथ जिस तरह का खिलवाड़ हो रहा है इसको लेकर यश भारत में लगातार समाचार प्रकाशित हो रहे हैं। इसी क्रम में एक और बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। जिसमें नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारी नियमों को ताक पर रखकर चावल का वितरण कर रहे हैं।

चावल के वितरण को लेकर सरकार ने नियम बनाया है कि जो चावल वेयरहाउस में पहले जमा होगा उसे राशन दुकानों में वितरण के लिए पहले भेजा जाएगा । जिसे फीफो नियम कहा जाता है। लेकिन अधिकारी अपने मनपसंद के राइस मिलरों का चावल पहले वितरण करवा देते हैं। ताकि कोई भी जांच टीम आने पर गोदाम में कोई सबूत न बचे। जिस चावल की क्वालिटी जितनी ज्यादा घटिया होती है वह चावल उतने जल्दी राशन दुकानों में भेज दिया जाता है। ताकि शासकीय गोदाम में घटिया स्टॉक न बचे और अधिकारियों के ऊपर आंच न आए।

 

गोदाम में पड़ा है 6 महीने पुराना स्टॉक 

जिले में लगातार राइस मिलरों के द्वारा चावल जमा कराया जा रहा है। जिसे राशन दुकानों में बांटने के लिए भेजा जाता है । लेकिन गोदाम में 2 महीने से लेकर 6 महीने पुराना चावल रखा हुआ है। जबकि कुछ चावल ऐसा है जो गोदाम में जमा होने के 10 से 15 दिन के अंदर ही राशन दुकानों में भेज दिया जाता है। जबकि बहुत बड़ी मात्रा में 2 से 6 महीने पुराना चावल गोदाम में रखा हुआ है। जबकि फीफो के नियम के अनुसार अधिकारियों को पहले इस चावल का वितरण करना था, लेकिन उनकी सह पर निजी कंपनी के सर्वेयरों द्वारा जो निम्न गुणवत्ता का चावल जमा कराया गया है उसे ठिकाने लगाने के लिए पुराने चावल को छोड़कर नए चावल को बांट दिया जाता है।

 

कमीशन का है खेल

पूरे मामले में राइस मिलर और अधिकारियों के बीच कमीशन का खेल चलता है। अधिकारियों और मिलरो के बीच प्रति क्विंटल के हिसाब से एक रेट फिक्स हो जाता है। उसके बाद नए आए हुए चावल को नियमों को ताकत पर रखकर राशन दुकानों में भेज दिया जाता है। वही गोदाम में कुछ पुराने चावल को शोकेस बनाकर भी रखा जाता है। ताकि कोई भी जांच टीम आने पर उसे चावल का सैंपल दिखाया जा सके और घटिया चावल को तत्काल ठिकाने लगाया जाता है। यदि वेयरहाउसिंग कारपोरेशन के आवक और जावक रजिस्टर की जांच की जाए तो चंद मिनटो में ही यह काला चि_ा खुल जाएगा कि कौन सा स्टॉक कब आया था और कब चला गया।

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